2008-12-17 15:58:59

चीनी पुराने शाही प्रासाद म्युजियम जितने पुराने तिब्बती ताथागाता मठ का दौरा

आज के इस कार्यक्रम में हम आप को तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में स्थित प्राचीन तिब्बती लामा बौद्ध धर्म की ताथागाता मठ के दौरे पर ले चलते हैं ।

ताथागाता मठ का नाम ताथागाता तिब्बती भाषा का उच्चारण है , पर तिब्बती भाषा में उस का क्या अर्थ है । हमारे गाइड च्यांगयुंगपातेन ने इस का परिचय देते हुए कहा कि हमारी तिब्बती भाषा में ताथागाता मठ का मतलब है कि दूर से देखने पर इस मठ का आकार प्रकार चावल का ढेर जान पड़ता है ।

असल में ताथागाता मठ एक पर्वत की कमर पर अवस्थित है , उस का बाह्य आकार नीचे बड़ा है और ऊपर छोटा है , दूर से देखा जाये , वह चावल से बना हुआ मालूम पड़ता है , इसलिये स्थानीय तिब्बती वासियों ने उस का नाम ताथागाता रखा ।

प्रिय दोस्तो , जैसा कि आप जानते हैं कि चीन एक बहु धार्मिक देश है , यहां पर ताउ , बौद्ध , इसलाम , कैथोलिक और क्रिश्चयन आदि अनेक धर्म पाये जाते हैं , इसलिये समूचे चीन में नाना प्रकार रूपों वाली धार्मिक इमारतें भी हर जगह पर देखने को मिलती हैं । इतना ही नहीं , विविधतापूर्ण धार्मिक इमारतों से जुड़ने वाली विभिन्न रूपों वाली ऐतिहासिक मानवीय सूचनाएं बहुचर्चित भी हैं । आज के इस कार्यक्रम में हम आप को तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में स्थित प्राचीन तिब्बती लामा बौद्ध धर्म की ताथागाता मठ के दौरे पर ले चलते हैं ।

ताथागाता मठ का नाम ताथागाता तिब्बती भाषा का उच्चारण है , पर तिब्बती भाषा में उस का क्या अर्थ है । हमारे गाइड च्यांगयुंगपातेन ने इस का परिचय देते हुए कहा कि हमारी तिब्बती भाषा में ताथागाता मठ का मतलब है कि दूर से देखने पर इस मठ का आकार प्रकार चावल का ढेर जान पड़ता है ।

असल में ताथागाता मठ एक पर्वत की कमर पर अवस्थित है , उस का बाह्य आकार नीचे बड़ा है और ऊपर छोटा है , दूर से देखा जाये , वह चावल से बना हुआ मालूम पड़ता है , इसलिये स्थानीय तिब्बती वासियों ने उस का नाम ताथागाता रखा ।

ताथागाता मंठ तिब्बती लामा बौद्ध धार्मित साम्प्रदाय कलूबा की 6 बड़ी प्रसिद्ध मठों में से एक मानी जाती है और दुनिया में सब से बड़े मंदिरों की गिनती में भी आता है । उस का निर्माण सन 1416 में हुआ था , जो पेइचिंग के विश्वविख्यात पुराने शाही प्रासाद यानी पुराने राज्य प्रासाद म्युजियम के निर्माण समय के बराबर है । दो लाख वर्गमीटर क्षेत्रफल वाला ताथागाता मठ पहाड़ी क्षेत्र पर निर्मित हुआ है , मठ में सात तिब्बती लामा बौद्ध धार्मिक चाछांग यानी सात धार्मित कालेज भी हैं , जहां पर मुख्यतः परम्परागत विद्या की पढ़ायी की जाती है । गाइड च्यांगयुंग पातेन ने कहा कि यह मठ हमारे धार्मिक नेता आचार्य चुंगकापा ने अपने शिष्यों के साथ निर्मित की है , उस समय इस मठ में कोई दस हजार से अधिक भिक्षु रहते थे , अब यहां पर केवल 8 सौ से अधिक हैं ।

हालांकि ताथागाता मंठ के बाहर कोई चार दीवारी निर्मित नहीं हुई है , पर घने रूप से निर्मित मकान नीचे से ऊपर तक व्यवस्थित रूप से खड़े हुए दिखाई देते हैं , पर्यटक मठ में कदम रखते ही मानो एक प्राचीन गढ़ में प्रवेश हो गया हो ।

यह अतीत काल में इसी ताथागाता मठ के भिक्षुओं का सूत्र पढ़ने का स्थल है , अब यहां पर चार चाछांग स्थापित हुए हैं । जिन में लोसायलिन चाछांग , गोमांग चाछांग , देयांग चाछांग और न्गाबा चाछां यह चार चाछांग सब से बड़े माने जाते हैं ।

चाछांग का मतलब है कालेज और वह तिब्बती लामा बौद्ध धर्म का एक अभिन्न संगठित भाग ही है , पर इसी प्रकार का चाछांग केवल साधारण विश्वविद्यालय की उप शाखा के बराबर है । चाछांग मठ के सर्वेपरि संगठन सोछेन के अधीन हैं । सोछेन भवन ताथागाता मठ के केंद्र में स्थित है , उस का क्षेत्रफल कोई चार हजार पांच सौ वर्गमीटर बड़ा है , भवन के सामने एक पत्थर विशाल चौक है , सोछेन भवन में प्रवेश करने के लिये सात विशाल सीढ़ियों पर चढ़ने की जरूरत पड़ती है । भवन की दोनों ओर विशाल सूत्र अध्यापन हाल सुंदर सजावटों से सुसज्जित हुए हैं , जिन के एक हजार 8 सौ वर्गमीटर वाले क्षेत्रफल पर कुल 183 ऊंचे खंभे लगाये गये हैं । हम कल्पना कर सकते हैं कि जब इन विशाल खंभों के नीचे कई सौ भिक्षु फर्श पर बैठे हुए सूत्र पढ़ते हैं , तो यहां पर चोरों तरफ कितना प्रभावित माहौल व्याप्त होगा ।

इस लेख का दूसरा भाग अगली बार पेश होगा , आशा है आप इसे आगे पढेंगे ।