संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने 16 तारीख को मध्य पूर्व सवाल पर मंत्री स्तरीय मीटिंग बुलाई, मीटिंग में अमरीका और रूस द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव पारित किया गया, जिस में फिलिस्तीन और इजराइल के बीच राजनीतिक वार्ता जारी रखने का समर्थन किया गया ।
संयुक्त राष्ट्र महा सचिव बान कीमून, चीनी उप विदेश मंत्री ह याफी, अमरीकी विदेश मंत्री राइस, रूसी विदेश मंत्री लावरोव, ब्रिटिश विदेश मंत्री मिलिबांड तथा सुरक्षा परिषद के अन्य सदस्य देशों के प्रतिनिधियों ने मीटिंग में भाग लिया । श्री बान कीमून ने मीटिंग में भाषण देते हुए कहा कि मध्य पूर्व शांति प्रक्रिया के विभिन्न पक्षों को विभिन्न शुरू हुए कामों को आगे जारी रखने की गारंटी देना चाहिए, ताकि अंत में फिलिस्तीन देश की स्थापना और इजराइल व फिलिस्तीन में शांतिपूर्ण सहअस्तित्व कायम होने का लक्ष्य प्राप्त हो सके। उन्हों ने कहाः
हमें विभिन्न शुरू हुए कामों को लगातार जारी रखते हुए अंत में उपलब्धि प्राप्त करने देना चाहिए । यह उपलब्धि सर्वविदित है यानी 1967 से आरंभ हुई कब्जे की स्थिति का अंत किया जाए, मध्य पूर्व में तमाम लोग शांति व संपूर्ण सुरक्षा पान के हकदार बनें । फिलिस्तीन जनता को अपना देश स्थापित करने देना चाहिए और उन्हें इजराइल के साथ शांति व सुरक्षा के परिवेश में संयुक्त रूप से रहने देना चाहिए एवं इजराइल व अरब दुनिया के बीच शांतिपूर्ण सहअस्तित्व कायम हो।
श्री बान कीमून ने कहा कि चूंकि इस साल इजराइल व फिलिस्तीन दोनों में पूर्वानुमान की भांति संपूर्ण शांति का समझौता संपन्न नहीं हो पाया, इसलिए वर्ष 2009 मध्य पूर्व शांति प्रक्रिया के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण होगा।
उन्हों ने कहा कि हम 2009 में कदम रखने वाले हैं, हमें गाजा व पश्चिम तट की स्थिति को स्थिर बनाए रखना चाहिए और सभी प्रयासों को मजबूत करना चाहिए । इस के लिए संबंधित सभी पक्षों को परस्पर एकता सुदृढ़ कर और गुनों प्रयास करना चाहिए, जिसमें इजराइल, फिलिस्तीन, क्षेत्र के संबंधित देश, अरब लीग, वार्ता के चारों पक्ष और नयी अमरीका सरकार व संयुक्त राष्ट्र शामिल हैं।
चीनी उप विदेश मंत्री ह याफी ने मीटिंग में मतदान से पहले भाषण देते हुए राजनीतिक वार्ता के जरिए स्थाई शांति पाने की अपील की। उन्हों ने कहा कि चीन हमेशा इस का पक्षधर रहा है कि सुरक्षा परिषद को मध्य पूर्व सवाल पर अपनी भूमिका अदा करनी चाहिए । चीन अमरीका व रूस द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव का स्वागत करता है। श्री ह ने कहाः
इस प्रस्ताव का मर्म है फिलिस्तीन व इजराइल के बीच राजनीतिक वार्ता जारी रखने का समर्थन करना । हमारा बराबर यह रूख रहा है कि राजनीतिक वार्ता मध्य पूर्व में स्थाई शांति कायम करने का एकमात्र सार्थक रास्ता है। हम दोनों पक्षों से आग्रह करते हैं कि वे नयी स्थिति में जल्द ही वार्ता की प्रवृत्ति बढ़ाएं । हम इस की अपेक्षा करते हैं कि दोनों पक्ष संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव और भूमि के बदले शांति की प्राप्ति के सिद्धांत पर वार्ता की प्रक्रिया तेज करें, ताकि यथाशीघ्र दोनों के शांतिपूर्ण सहअस्तित्व का लक्ष्य प्राप्त हो जाए।
श्री ह याफी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान कीमून की उम्मीद की तरह चीन भी आशा करता है कि वर्ष 2009 में मध्य पूर्व शांति प्रक्रिया में सफलता प्राप्त होगी, इस लक्ष्य के लिए फिलिस्तीन और इजराइल दोनों को अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के साथ समान कोशिश करनी चाहिए।
उन्हों ने कहा कि वर्तमान में फौरी जरूरी है कि इजराइल और फिलिस्तीन अपना अपना कर्तव्य संजीदगी से निभालें और वार्ता व विश्वास को भंग करने वाली किसी भी कार्यवाही से बच जाएं ।
अमरीकी विदेश मंत्री सुश्री राइस ने अपने भाषण में अमरीका व रूस के प्रस्ताव को स्पष्ट कर दिया और बलपूर्वक कहा कि अंनापोलिस शांति प्रक्रिया अपरिवर्तनीय है । उन्हें इजराइल और फिलिस्तीन के बीच संपूर्ण शांति समझौता संपन्न होने पर पूरा विश्वास है।
अंनापोलिस सम्मेलन से प्रेरित हुई फिलिस्तीन इजराइल वार्ता के चलते मुझे दोनों स्वतंत्र देशों का समान लक्ष्य साकार होने पर पूरा विश्वास है। दोनों देशों का शांतिपूर्ण सहअस्तित्व और अच्छे पड़ोसी बनना कोई दिवा सपना नहीं है, बल्कि संबंधित पक्षों और अन्तरराष्ट्रीय समुदाय का गंभीर वायदा है। शांति प्रक्रिया अपरिवर्तनीय है, हम केवल आगे बढ़ सकेंगे।
रूसी विदेश मंत्री लावरोव ने भी मध्य पूर्व शांति केलिए प्रस्ताव के महत्व पर बल दिया और कहा कि मध्य पूर्व शांति के लिए अंतिम प्रेरणा शक्ति इजराइल फिलिस्तीन दोनों पक्षा का समाय प्रयास है ।
सुरक्षा परिषद के अन्य सदस्य देशों के प्रतिनिधियों ने भी प्रस्ताव का स्वागत किया और दोनों पक्षों से वार्ता बढ़ा कर जल्द ही सार्थक प्रगति पाने की अपील की।