2008-12-16 09:58:17

श्री बुश की आकस्मिक अफगानिस्तान यात्रा

अमरीकी राष्ट्रपति बुश 15 तारीख को इराक की यात्रा समाप्त कर अफगानिस्तान की यात्रा के लिए काबुल पहुंचे,यह अपना कार्यकाल समाप्त होने से पहले उन की अंतिम अफगानिस्तान यात्रा है, जिस पर विश्लेषकों का कहना है कि बुश की मौजूदा आकस्मिक अफगान यात्रा का मकसद अफगान सरकार को यह जताना है कि अमरीका की नयी सरकार भी अफगानिस्तान का समर्थन करेगी। इस के अलावा अमरीकी सेना का हौसला भी बढ़ाया जाएगा ।

रिपोर्टों के अनुसार श्री बुश स्थानीय समय के अनुसार तड़के साढे पांच बजे काबुल के निकट बागराम हवाई अड्डे पर पहुंचे, वहां उन्हों ने अमरीकी सेना के अफसरों और सैनिकों से मुलाकात की । इस के बाद बुश हैलिकोप्टर से काबुल गए और उन्हों ने अफगान राष्ट्रपति करजाई के साथ वार्ता की। श्री बुश की अफगानिस्तान यात्रा संक्षिप्त है, फिर भी विश्लेषकों का कहना है कि उन की इस संक्षिप्त यात्रा के कई लक्ष्य हैः

पहले, उन्हों ने यात्रा के दौरान अफगान युद्ध की उपलब्धियों पर बल दिया । श्री बुश ने बागराम हवाई अड्डे पर कहा कि सात साल पहले के अफगानिस्तान की तुलना में वर्तमान अफगानिस्तान में भारी परिवर्तन आया है । उन्हों ने कहा कि 2001 में अमरीका द्वारा अफगानिस्तान युद्ध छेड़े जाने के बाद अफगानिस्तान में सुरक्षा की स्थिति काफी सुधर गयी, स्कूलों, अस्पतालों और सड़कों आदि का पुनर्निर्माण किया गया । परन्तु श्री बुश ने यह भी माना कि इस देश में हिंसक कार्यवाहियां अब भी बढ़ती जा रही हैं । पर बुश ने इस का कारण यह बताया कि अब अमरीकी सेना वहां भी भेजी गयी है ,जहां पहले सेना नहीं थी, इसलिए स्थानीय सशस्त्र शक्तियों ने तीव्र प्रतिक्रिया की है।

दूसरे, बुश ने अपनी यात्रा के जरिए अफगानिस्तान को नयी अमरीका सरकार का समर्थन पहुंचाने की कोशिश की है। उन्हों ने कहा कि हालांकि ह्वाइट हाउस का मालिक बदला है, किन्तु अफगानिस्तान को अमरीका का समर्थन मिलता रहेगा । अमरीका द्वारा चलाए युद्ध के कारण तालिबान सत्ता पलट हो गयी थी, किन्तु इधर के सालों में तालिबान की सशस्त्र शक्ति ने फिर सिर उठाया और अफगानिस्तान के अधिकांश क्षेत्रों में तालिबान की कार्यवाही पायी गयी, यहां तक करजाई सरकार का नियंत्रण केवल काबुल और उस के आसपास तक सीमित हो गया । बुश सत्ता से छूट जाएंगे, अमरीका के नए राष्ट्रपति ओबामा ने पहले ही घोषित किया था कि वे आतंक विरोधी युद्ध को इराक से अफगानिस्तान में स्थानांतरित करेंगे । करजाई द्वारा आयोजित न्यूज ब्रिफींग में श्री बुश ने कहा कि अफगान अपनी सरकार की भांति नयी अमरीकी सरकार पर भरोसा कर सकता है।

तीसरे, उन्हों ने पाकिस्तान से आतंक विरोध पर जोर देने का आग्रह किया । वर्तमान में पाक में आतंकी हमलों और हिंसों का बोलबाला है, पाक और अफगान के सीमांत क्षेत्र में अल कायदा की कार्यवाही सक्रिय रही है। अमरीका मानता है कि पाक अफगान सीमांत क्षेत्र में आतंकी कार्यवाहियों के कारण आतंक विरोधी संघर्ष को भारी खतरे का सामना करना पड़ा। बुश ने न्यूज ब्रिफींग में कहा कि यदि पाकिस्तान आतंकी हमलों से ज्यादा ग्रस्त होने वाला देश बना, तो अफगानिस्तान युद्ध का विजयी होना मुश्किल होगा । श्री बुश का कहना है कि पाक और अफगान आतंक विरोधी सहयोग को और मजबूत करेंगे, तो सीमांत क्षेत्र में आतंकी शक्तियों का दमन करने में मदद मिलेगी । उन्हों ने यह भी कहा कि अमरीका पाक के साथ सहयोग कर सीमांत क्षेत्र की सशस्त्र शक्तियों पर प्रहार करेगा।

श्री बुश की यात्रा का अंतिम मकसद है कि वहां तैनात अमरीकी सेना का हौसला बढाना । अफगानिस्तान युद्ध हुए सात साल हो चुके हैं, वहां लगातार सैनिक भेजे जाने के बावजूद तालिबान की ताकत कमजोर होने के बजाए बढ़ती जा रही है । तालिबान ने दक्षिण के कंधार शहर पर कब्जा कर लिया और काबुल व दक्षिण अफगान के बीच यातायात काट दी । अब अफगानिस्तान में 31 हजार अमरीकी सैनिक हैं । लेकिन अमरीकी सेना के कमांडर ने कहा कि वहां और 20 हजार सैनिकों की जरूरत है। अमरीकी रक्षा मंत्री गेट्स ने घोषित किया कि अगली गर्मियों से पहले अफगान में तीन युद्धक ब्रिगेड भेजे जाएंगे। बुश ने भी यात्रा के दौरान अफगान में कुमकी सेना भेजने का वचन दोहराया, जिस से अमरीकी सेना को प्रोत्साहन मिलेगा ।

सूत्रों के अनुसार बुश सरकार हाल में अफगान युद्ध का पुनः आकलन कर रही है और एक नयी योजना भी बना रही है , जिस के अनुसार अमरीका अफगान सरकारी सेना की शक्ति बढाएगा, ताकि युद्ध जीत कर अमरीकी सेना वहां के कठिन युद्ध से छूट जाए। अपितु, श्री बुश का कार्यकाल जल्द ही समाप्त होगा और वह नयी योजना केवल नयी सरकार को विचारार्थ छोड़ी जाएगी, इस के साथ एक अन्तहीन दिखने वाला अफगान युद्ध भी छोड़ा जाएगा।

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