इस वर्ष के मई माह में उत्तर पूर्वी चीन के हेलुंगच्यांग प्रातं के छीथाईहो शहर की सरकारी अधिकारी तु चीमिंग को तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की रनबू कांउटी वासी रोबू त्सेरन द्वारा भेजा गया एक धन्यवाद-पत्र मिला, जिस में कहा गया है कि उस की पत्नी अनेक साल से पत्थरी रोग से ग्रस्त है । तिब्बती लोग पश्चिमी चिकित्सा स्वीकार नहीं करते , इस लिए उस की पत्नि का अच्छी तरह इलाज नहीं हुआ । लेकिन तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की सहायता करने आए छी थाईहो शहर के चिकित्सक उन के घर आए और लगातार सलाह की , फिर पत्नि ने पश्चिमी चिकित्सा इलाज स्वीकार किया, अंत में उस का रोग दूर किया गया ।
तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की रनबू कांउटी एक बहुत छोटी सी कांउटी है, जिस में कुल तीस हज़ार व्यक्ति रहते हैं । समुद्र की सतह से रनबू कांउटी 4000 से मीटर ऊंची है, यहां की प्राकृतिक स्थिति बहुत बुरी है, बाढ़, भूस्खलन, भूकंप और सूखा आदि प्राकृतिक विपदा आती रहती है।
इस वर्ष की फरवरी में यहां उत्तर पूर्वी चीन के हेलुंगच्यांग प्रांत के छीथाईहो ने शहरी जन अस्पताल के वक्ष-शल्यचिकित्सा विभाग के उप प्रधान सी छुंगमिन, चेतनाहर डॉक्टर वेइ श्याओवन और ऑपरेशन नर्स छ्यू लीह्वेई से गठित चिकित्सा दल भेजा । वे रनबू कांउटी में आधे साल तक तकनीकी सहायता प्रदान करेंगे । चिकित्सा दल रनबू कांउटी स्तरीय जन अस्पताल में पहुंचा, कुछ समय बाद गर्भवती तिब्बती महिला चोमा प्रसव पीड़ा के साथ अस्पताल आईं । चिकित्सा दल ने इलाज करने के बाद निश्चय किया कि ऑपरेशन से उस के बच्चे को जन्म दिया जाएगा। इस दौरान चोमा के साथ आए तिब्बती ऑपरेशन कक्ष के बाहर खड़े हुए हैं और बातचीत कर रहे हैं । चोमा की उन्हें चिंता है । क्योंकि इस क्षेत्र में डॉक्टर व दवाएं कम हैं, तिब्बती बंधुओं को पश्चिमी तरीके से ऑपरेशन करने पर चिंता है ।
एक घंटा पचास मिनट के बाद तिब्बती महिला चोमो और उस का बेटा सही सलामत ऑपरेशन कक्ष से बाहर आए । यह खबर पाने के बाद चोमा के परिजन बहुत खुश हुए । ऑपरेशन कक्ष से बाहर आने वाले डॉक्टर सी छुंगमिन ने विषेश तौर पर चोमा की सास को अपनी बहू की देखभाल करने की विस्तृत जानकारी दी ।
तिब्बत की सहायता करने आए इस चिकित्सा दल का यह ऑपरेशन रनबू कांउटी में किसी बच्चे का सर्जिकल तरीके से जन्म होने का प्रथम मामला है । इस के बाद चिकित्सा दल के प्रति अनेक तिब्बती बंधुओं की आशंका दूर हो गयी, और पश्चिमी चिकित्सा तरीके से रोगों के इलाज पर उन का विश्वास बढ़ा है ।
पेशेवर तकनीकी कर्मचारियों के अभाव के कारण, तिब्बत की सहायता वाले इस चिकित्सा दल के आगमन के पूर्व रनबू कांउटी में पांच साल में कोई बी शल्यचिकित्सा ऑपरेशन नहीं किया गया । अस्पताल में कम रोगी आते हैं । तीस हज़ार तिब्बती लोगों को सौ किलोमीटर से अधिक दूर स्थित शिकाज़े क्षेत्र के अस्पताल, यहां तक कि राजधानी ल्हासा के अस्पताल जाना पड़ता था । इसी कारण अनेक रोगों का इलाज ठीक तरीके से नहीं हो पाता था। यहां तक कि कुछ तिब्बती रोगी बीमार के वक्त अस्पताल जाने के बजाए मठ जाकर प्रार्थना करते थे, इस तरह उन की बीमारी की स्थिति और गंभीर हो जाती थी । चिकित्सा दल के डॉक्टर सी छुंगमिन ने इस की याद करते हुए कहा:
"ऐसी स्थिति देखने के बाद हम ने एक उपाय खोजा, यानि हमें जल्द ही तिब्बती किसानों व चरवाहों के घर जा कर वैज्ञानिक ज्ञान का प्रसार करना चाहिए। हम अपनी चिकित्सा तकनीक के जरिए तिब्बती बंधुओं के रोगों को दूर करना चाहते हैं, हम उन की जान बचाने की कोशिश करना चाहते हैं ।"
इस लेख का दूसरा भाग अगली बार प्रस्तुत होगा, कृप्या इसे पढ़े।(श्याओ थांग)