2008-12-15 14:23:07

किसान लिपि कलाकार सुश्री पिन छ्वी लिन की कहानी

सुश्री पिन छ्वी लिन छुटपन से ही चीन की परंपरागत लिपि कला और चित्र कला को पसंद करती आई हैं। 10 साल पहले उसे अन्य लोगों के विरोध के बावजूद एक स्थानीय लिपि कला और चित्र कला की दुकान खोली और अपनी लिपि कला व चित्र कला बेच कर जीवन बिताने लगी। अब उन की दुकान प्रसिद्ध हो गयी है। बहुत से लोग उन की लिपि कला व चित्र कला को पसंद करते हैं।

सुश्री पिन छ्वी लिन की लिपि कला व चित्र कला की दुकान का नाम च्ये फू चौ है। वह लान ज्यो शहर में लान ज्यो विश्वविद्यालय के द्वार के पास स्थित है। 44 वर्षीय सुश्री पिन छ्वी लिन का एक बहुत गरीब किसान परिवार में जन्म हुआ। उन के 5 भाई बहन हैं और वे परिवार में सब से बड़ी हैं। उन्हें परिवार में कृषि कार्य संभालना पड़ा और स्कूल जाने का अवसर नहीं मिला। उन्होंने कहा

हमारा परिवार बहुत गरीब है। मेरी मां बीमार रहती हैं। परिवार में पैसे नहीं हैं। स्कूल जाने के लिए फीस नहीं दे सकते। इसलिए मैं स्कूल नहीं गयी। मैं स्कूल जाना चाहती थी। बाद मेंने अपने आप लिपि कला सीखी।

इस के बाद सुश्री पिन छ्वी लिन हर दिन पत्थर पर लिपि लिखने का अभ्यास करती रहीं। उसे एक मौके पर लिपि कला के वसंत त्योहार के लिखा हुआ दो पंक्तियों का पद मिला। वह वसंत त्योहार के पद लिखने का अभ्यास करने लगी। उस बाजार में एक व्यक्ति को वसंत त्योहार का पद बेचते देखा। उस सोचा कि मैं भी अपने वसंत त्योहार पदों को बेचूंगी तो पैसे कमा सकूंगी। इस के बाद सुश्री पिन छ्वी लिन वसंत त्योहार के लिए लिखे पद बेचने लगी।

सन् 1995 में विश्व महिला सभा पेइचिंग में आयोजित हुयी। सभा के तैयारी आयोग और चीनी राष्ट्रीय महिला संघ ने विभिन्न क्षेत्रों से चीनी महिला कलाकारों को पुरस्कार समारोह में भाग लेने की अपील की जिन में लिपि कला और चित्र कला भी शामिल थे। सुश्री पिन छ्वी लिन ने अपनी एक लिपि कला इस प्रतियोगिता में भेजी जिसे पुरस्कार भी मिला। उन्होंने कहा कि

हम अक्सर पेइचिंग जाते हैं। हमारी लिपि कला व चित्र कला पेइचिंग की एक दुकान में बिकती हैं जिस से कुछ पैसे कमा सकते हैं। इसी तरह मैं ने सोचा कि लिपि कला से पैसे कमाए जा सकते हैं। मुझे विकास का एक रास्ता मिल गया।

 

पेइचिंग में विश्व महिला सभा में भाग लेते समय सुश्री पिन छ्वी लिन की चीन में कुछ लिपि कला व चित्र कला के विशेषज्ञों के साथ दोस्ती हुई। उन की मदद से सुश्री पिन छ्वी लिन ने अपनी दुकान खोलने का फैसला किया।

सन् 1995 में हम विभिन्न क्षेत्रों के 65 व्यक्तियों ने पेइचिंग में जाकर एक साथ लिपि कला में आदान-प्रदान किया। उन्होंने मुझे अभ्यास करने की भिन्न-भिन्न सलाह दीं। मैं ने सोचा कि लिपि कला का अभ्यास करने के साथ-साथ अपनी एक दुकान भी खोलनी चाहिए।

पेइचिंग में वापस आने के बाद सुश्री पिन छ्वी लिन ने कस्बे में पहली स्थानीय लिपि कला व चित्र कला की दुकान खोली जिस में वह लिपि कला व चित्र कला बेचती हैं। कई साल बाद उस की दुकान कस्बे में प्रसिद्ध हो गयी। सुश्री पिन छ्वी लिन भी लिपि कला व चित्र कला की दुकान खोलने से प्रसिद्ध हो गयीं।

सन् 2003 में सुश्री पिन छ्वी लिन ने अपनी दुकान एक स्थानीय व्यापारिक मार्ग पर स्थानांतरित की और लिपि कला व चित्र कला बेचने के साथ-साथ लिपि कला का प्रशिक्षण पाठ्यक्रम भी शुरु किया।

सुश्री पिन छ्वी लिन की लिपि कला में शिंग लिपि सब से अच्छी है। बहुत लोगों ने सुश्री पिन छ्वी लिन की लिपि कला की प्रशंसा की। लान ज्यो विश्वविद्यालय में कुछ विदेशी अध्यापकों को भी सुश्री पिन छ्वी लिन की लिपि कला पसंद आयी। बाद में लान ज्यो विश्वविद्यालय के कई विदेशी अध्यापकों ने भी लिपि कला का अभ्यास करने के लिए सुश्री पिन छ्वी लिन के प्रशिक्षण में भाग लिया। वे सुश्री पिन छ्वी लिन के साथ ध्यान से लिपि कला का अभ्यास करने लगे हैं। इस बात पर सुश्री पिन छ्वी लिन ने कहा

लान ज्यो विश्वविद्यालय में स्पेन से आए एक विदेशी अध्यापक हैं। वे लिपि कला का अभ्यास करने के साथ-साथ चीनी भाषा भी पसंद करते हैं। उन्होंने कहा कि चीनी भाषा बहुत सुंदर है। और एक जर्मनी की अध्यापिका हैं, उन का नाम है ली ना। वह अच्छी तरह चीनी भाषा बोल सकती हैं। वह भी लिपि कला पसंद करती हैं।

विभिन्न देशों, विभिन्न जातियों और विभिन्न हैसियत के लोगों ने सुश्री पिन छ्वी लिन की लिपि कला अभ्यास में भाग लिया । वे यहां लिपि कला का अभ्यास करने का आदान-प्रदान करते हैं और दोस्त भी बनाते हैं।