2008-12-12 16:53:11

चीन अधिकाधिक अंतर्राष्ट्रीय दायित्व निभा रहा है

दोस्तो , चीन अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का एक जिम्मेदाराना देश है , हम हमेशा से संजीदा व जिम्मेदाराना रुख अपनाकर अंतर्राष्ट्रीय मामलों से निपटते आये हैं । साथ ही चीन एक विकासशील देश होने के नाते अपने सामर्थ्य के परे अंतर्राष्ट्रीय दायित्व नहीं निभा सकता । हम अपने अंतर्राष्ट्रीय दायित्व को निभाते हैं , न कि किसी विशेष देश या गुट की सेवा करते हैं और उन के मापदंडों के आकलनों को भी नहीं मांनते ।

उक्त भाषण का यह अंश  चीनी विदेश मंत्री श्री यांग च्ये छी ने 12 मार्च 2008 को आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में दिया था  ।

1978 में सुधार व खुलेद्वार नीति लागू किये जाने के बाद चीन के अर्थतंत्र व समाज का तेज व सर्वांगीर्ण रूप से विकास हो गया है , अंतर्राष्ट्रीय स्थान भी निरंतर उन्नत हुआ है , जिस से चीन सकारात्मक व पहलकदमी रूख अपनाकर आधुनिक अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था में शामिल होकर अंतर्राष्ट्रीय मामलों में भाग लेता है और अधिकाधिक अंतर्राष्ट्रीय दायित्व निभाने लगा है ।

अनेक वर्षों की कठोर वार्ता के बाद दिसम्बर 2001 में चीन ने विश्व व्यापार संगठन में अपनी सदस्यता की बहाली की है । लम्बे अर्से से अंतर्राष्ट्रीय व्यापार व्यवस्था के बाहर बहिष्कृत चीन के लिये यह निस्संदेह एक प्रेरणामय घड़ी है ।

असल में चीन की अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से जा मिलने की उत्सुकता अपने सुधार व खुलेद्वार नीती से जुड़ी हुई है । सुधार व खुलेद्वार नीति से चीन व विश्व के बीच सम्पर्क बनाने के तौर तरीकों में मूल परिवर्तन हुए हैं , चीन और आत्मविश्वास व खुले रवैये के जरिये और व्यापक तौर पर अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था में शामिल हो गया है । अभी तक चीन ने करीब तीन सौ अंतर्राष्ट्रीय संधियां संपन्न की हैं और सौ से ज्यादा अंतर सरकारी अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में हिस्स लेकर सकारात्मक भूमिका निभायी है।

चीन के अंतर्राष्ट्रीय दायित्वों की चर्चा करते समय संयुक्त राष्ट्र संघ में चीन की भूमिका का उल्लेख करना जरूरी है । चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य देशों में से एक होने के नाते अंतर्राष्ट्रीय व क्षेत्रीय मामलों में एक बड़े देश की अपरिहार्य भूमिका निभायी है । चीन ने अपनी कठिनाइयों को दूर कर ठीक समय पर संयुक्त राष्ट्र संघ को अपने नाना प्रकार के देय हिस्सों को चुका कर ठोस कार्यवाहियों से संयुक्त राष्ट्र संघ का वित्तीय दायित्व निभा लिया है । चीन अंतर्राष्ट्रीय शांति व न्याय की रक्षा करने और प्रभुत्ववाद व बल राजनीति का विरोध करने में जुटा हुआ है और शांति वार्ता के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय विविदों का समाधान करने के सैद्धांतिक रूख पर कायम रहा है । चीन व्यापक विकासमान देशों के हितों की दृढ़ हिफाजत करने और न्यायपूर्ण व युक्तिसंगत नयी अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था की स्थापना करने में संलग्न भी है । 

ध्यान देने योग्य बात यह है कि 1990 से लेकर अब तक चीन ने शांति स्थापन कार्यवाहियों में भाग लेने के लिये अनेक बार संयुक्त राष्ट्र संघ के मिशन क्षेत्रों में फौजी पर्यवेक्षकों को भेज दिया है । कम्बोडिया , हैती , कांगो , सूडान और लेबनान आदि देशों में चीनी फौजी पर्यवेक्षकों की तैनाती हुई है । अक्तूबर 2007 तक चीन ने क्रमशः 17 शांति स्थापन कार्यवाहियों में हिस्सा लिया है , संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य देशों में चीन ने सब से ज्यादा शांति स्थापन सैनिकों को भेज दिया है ।

इस के अलावा मानवीय राहत सहायता कार्यवाहियों में चीन क्रियाशील भी है । वास्तव में सुधार व खुलेद्वार नीति लागू किये जाने से पहले चीन ने बार बार अफ्रीका में अपने चिकित्सकों और इंजीनियरों को भेजकर अफरीकी देशों को अपनी यथासंभवित सहायता दी है । इधर सालों में चीन ने अपनी राष्ट्रीय शक्तियों की मजबूती के चलते विश्वव्यापी प्राकृतिक संकटों के मुकाबले में पहल किया है ।

जलवायु परिवर्तन जैसे पारिस्थितिकि व पर्यावरण के सामने चीन सरकार ने सक्रिय रवैया अपनाकर पर्यावरण संरक्षण से जुड़ी लगभग सभी बहुपक्षीत प्रक्रियाओं , अंतर्राष्ट्रीय संधियों व प्रोटोकोलों में भाग लिया और एक बड़े देश की जिम्मेदारी सजगता से उठाया है ।

चीन का अंतर्राष्ट्रीय दायित्व अपने राष्ट्रीय हितों व वैश्विक हितों के बीच संतुलन की और अधिक अभिव्यक्ति कर देगा । चीन विश्व के विभिन्न देशों की जनता के साथ विश्व शांति व विकास को बढ़ावा देगा ।