2008-12-11 14:40:23

चीन के कानून शिक्षा में संलग्न अमरीकी कोर्नेल यूनीवर्सीटी के पूर्व कुलपति

7 जुलाई 2007 में पेइचिंग यूनीवर्सीटी का अन्तरराष्ट्रीय कानून कालेज औपचारिक रूप से स्थापित हुआ।इस कालेज के प्रथम कुलपति अमरीका के मशहूर कानून विशेषज्ञ प्रोफेसर लेहमान है। इस से पहले, प्रोफेसर लेहमान कोर्नेल यूनीवर्सीटी के कुलपति रह चुके हैं। आइवी लीग स्कूल के पूर्व कुलपति होने के नाते, उन्होने क्यों चीन में शिक्षा कार्य चुना है, लिजीए सुनिए हमारे संवाददाता द्वारा भेजी एक रिपोर्ट।

पश्चिम सूट पहने, हल्के पीले बाल व आंखो पर ऐनक लगाए, चेहरे पर बुद्धिजीवी की मुस्कान , यह थी हमारी उनके साथ की पहली मुलाकात की छवि। प्रोफेसर लेहमान ने हमें जो महसूसता दी थी वह है उनकी वसंत जैसी सुनहरी व्यक्तित्व। प्रोफेसर लेहमान अमरीका के मीसीगेन यूनीवर्सीटी के कानून कालेज के कुलपति व अमरीका के कानून कालेज कुलपति संघ के अध्यक्ष भी रह चुके हैं, 2003 में प्रोफेसर लेहमान कोर्नेल यूनीवर्सीटी के कुलपति नियुक्त किए गए थे। अपने कार्यकाल में प्रोफेसर लेहमान ने अनेक पहलुओं में सुधार को सक्रियता से आगे बढ़ाने व कोर्नेल यूनीवर्सीटी की अन्तरराष्ट्रीयकरण यूनीवर्सीटी प्रक्रिया को बढ़ावा देने में असाधारण भूमिका अदा की है।

प्रोफेसर लेहमान ने 1998 में चीन की यात्रा की थी। 2004 में उन्होने कोर्नेल यूनीवर्सीटी प्रतिनिधि मंडल को लेकर चीन की यात्रा की थी और पेइचिंग-कोर्नेल यूनीवर्सीटी दिवस गतिविधि में भी भाग लिया, तब से उन्होने पेइचिंग यूनीवर्सीटी के साथ गहरी मित्रता स्थापित कर ली है। प्रोफेसर लेहमान ने कहा कि पिछले दस सालों की बराबरी में चीन के हर साल का परिवर्तन विभिन्न रहा है, उन्होने कहा हर बार मैं चीन आता हूं, तो मैं चीन के भारी परिवर्तन को देख सकता हूं। आज का पेइचिंग एक बहुत ही समृद्धाशाली शहर बन गया है, हरेक आदमियों के चलने के कदम तेज होने लगे हैं। यहां बहुत सी सुन्दर इमारतें हैं, मिसाल के लिए, सौन्दर्य राष्ट्रीय वृहद थियेटर, बेमिसाल केन्द्रीय टीवी स्टेशन, लगभग कोई खामी ने पाने वाला नया राष्ट्रीय ओलम्पिक स्टेडियम -- चिड़िया का घोसला, इन भारी परिवर्तनों ने मुझ पर गहरी छाप छोड़ी है। लेकिन यह सब बाहरी छाप हैं, मेरे दिन में सबसे गहरी छाप चीनी लोगों की है। 1998 में जब मैं चीन आया था तो मैने चीनी लोगों की बुद्धि दिमाग व खुलापन व्यक्तित्व महसूस किया था। आज चीनी लोग कहीं अधिक खुले हैं, कहीं अधिक मैत्रीपूर्ण व सौहार्दपूर्ण हैं, उन्होने मुझे चीन की जानकारी पाने में बहुत मदद दी है।

चीनी संस्कृति के दिन में प्यार होने पर प्रोफेसर लेहमान ने चीनी और अमरीकी यूनीवर्सीटियों के बीच के कानून शिक्षा अनुसंधान व उच्च शिक्षालयों पहलुओं में सहयोग व आदान प्रदान को प्रेरित किया है. 2005 में पेइचिंग यूनीवर्सीटी और पेइचिंग विदेशी भाषा यूनीवर्सीटी ने समान रूप से चीन-अमरीकी कानून व नीति अनुसंधान केन्द्र की औपचारिक रूप से स्थापना की । इस अनुसंधान केन्द्र के एक स्थापक होने के नाते, प्रोफेसर लेहमान इस केन्द्र के प्रमुख अध्यक्ष चुने गए और उन्होने केन्द्र के विकास के लिए महत्वपूर्ण योगदान किया है। प्रोफेसर लेहमान के साथ कई सालों तक कार्यरत सुश्री रूंग ली या ने अपना अहसास बताते हुए कहा वह एक बहुत ही अच्छे आदमी हैं, उनके हरेक काम, विशेषकर चीन-अमरीका के उच्चशिक्षालयों की शिक्षा के पहलुओं में, वह पहले खुद करके दिखाते हैं , जिस से उनके योगदान भावना प्रतिबिंबित होती है, हमने जो चीनी-अमरीकी अनुसंधान केन्द्र खोला है, उसके प्रारम्भिक दौर में हमारे पास ज्यादा धनराशि नहीं थी, इस स्थिति में, हमें धनराशि एकत्र करने का काम करना था, लेकिन बहुत से समय में हम धनराशि एकत्र नहीं कर पाते थे, कभी कभी तो हम अपने जेबों से पैसे निकालते थे, उन्होने इस काम को अपनी एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी महसूस की।

कोर्नेल यूनीवर्सीटी के पूर्व कुलपति होने के नाते, प्रोफेसर लेहमान जब कोर्नेल यूनीवर्सीटी छोड़ा था तो उनके पास कहीं बेहतरीन विकल्प थे। लेकिन उन्होने खुशी खुशी पेइचिंग यूनीवर्सीटी के अन्तरराष्ट्रीय कानून कालेज के प्रथम कुलपति के पद को स्वीकार किया। वास्तव में, पेइचिंग अन्तरराष्ट्रीय कानून कालेज की स्थापना से पहले, प्रोफेसर लेहमान ने चीन और अमरीका दोनों देशों के बीच बराबर दौड़-भाग करना शुरू कर दिया था और कालेज की स्थापना के दौर में उन्हे कभी थकान महसूस नहीं होती थी। उन्होने हमें बताया अब भी मुझे कालेज का इस पद में काम करने पर बहुत गौरव व खुशी होती है। चीन की कानून शिक्षा के परिवर्तन में बहुत तेजी से विकास हो रहा है, रिटायर के समय मैने अमरीका व फ्रांस में काम करने के नहीं सोचा था, क्योंकि इन दो देशों की कानून शिक्षा के विकास को एक बहुत लम्बा समय हो चुका है। इन दो देशों के राष्ट्रीय कानूनों व्यवस्था में कानून का परिवर्तन बहुत ही कम होता है। लेकिन चीन में, कानून शिक्षा का परिवर्तन विकास बहुत तेज रहा है, चीन का वर्तमान परिवर्तन अन्तरराष्ट्रीयकरण मापदंड का अध्ययन करना है, मैरे ख्याल में चीन कानून शिक्षा में सुधार का लिडर बनेगा, मैं इस सुधार दौर में शामिल होने पर बहुत खुश हूं।

प्रोफेसर लेहमान ने कहा कि वर्तमान बहुत से देशों की कानून शिक्षा का मुख्य ध्यान अपने देश पर ही है, हालांकि बहुत सी यूनीवर्सिटीयों में भी अन्तरराष्ट्रीय कानून पाठयक्रम खोलें गए हैं, लेकिन उन्होने शिक्षा की प्राथमिकता को अपने देश के पर्यावरण में ही रखी है। प्रोफेसर लेहमान का मानना है कि इस तरह का शिक्षा फार्मूला विश्व की एकीकरण मांग से मेल नहीं खाता है, इस में सुधार की जरूरत है। उन्होने आशा की कि उनके नेतृत्व वाला पेइचिंग अन्तरराष्ट्रीय कानून कालेज इस पहलु में कुछ उपलब्द्धियां हासिल करेगा। उन्होने इस पर बोलते हुए कहा आज यदि एक अमरीकी एक अन्तरराष्ट्रीय वकील बनना चाहता है, तो वह केवल अमरीका कानून ही नहीं सीख सकता है, उसे अनेक शिक्षा हासिल करनी होगी, मेरे ख्याल में चीनी वकीलों को भी ऐसा करना चाहिए। अलबत्ता, वर्तमान चीन के अधिकतर कानून कालेजों में केवल चीनी कानून ही नहीं बल्कि कुछ अन्तरराष्ट्रीय कानून की भी शिक्षा दी जाती है, आज के पाठयक्रम पिछली शताब्दी के 70 वाले दशक में मीसीगेन यूनीवर्सीटी में पढाए जाने वाले पाठयक्रमों से कहीं ज्यादा हैं, लेकिन मेरा मानना है कि सभी को इस से ज्यादा सीखना चाहिए, सभी कानून कालेजों को अधिक दूर तक जाना चाहिए और नये नये ज्ञानों का प्रसार करना चाहिए।

कानून जगत के एक अन्तरराष्ट्रीय जाने माने व्यक्ति होने के नाते, प्रोफेसर लेहमान चीन सरकार द्वारा कानून के आधार पर राष्ट्र निर्माण करने , एक कानून राष्ट्र का निर्माण के लक्ष्य को हासिल करने की पेशकश पर सहमत हैं। चीन द्वारा हाल ही में पारित नया श्रम अनुबंध कानून व संपत्ति कानून आदि कानूनों की चर्चा करते हुए प्रोफेसर लेहमान ने कहा कि चीन का कानूनी निर्माम की गति बहुत तेजी से चल रही है। उन्होने हमें बताया यह सच है कि मैं चीन के कानून निर्माण की नयी प्रगति के पहलु में विशेषज्ञ नहीं हूं, क्योंकि चीन का कानून निर्माण का विकास बहुत तेजी से चल रहा है। लेकिन एक बात उल्लेखनीय हैं कि चीन ने बहुत से बृहद कानून ग्रंथ निर्धारित किए हैं, बहुत से कानूनीकर्ता इसका अध्ययन कर रहे हैं, उदाहरण के लिए श्रम अनुबंध कानून। विधिकर्ताओं ने इस नए कानून को निर्धारित करने के समय बड़ी सावधानी से अन्य देशों के इस क्षेत्र के कार्यों पर गौर किया है, और चीन की स्थिति से सबसे अच्छा मेल रखने वाले कार्वाहियों को चुना है, मेरे विचार में यह विधि निर्माण का सबसे अच्छा तरीका है।

हमारे संवाददाता के साथ साक्षात्कार समाप्त होने के समय प्रोफेसर लेहमान ने अपने भविष्य पर टिप्पणी करते हुए कहा मेरी आशा है कि भावी कुछ सालों में मैं अपना योगदान करना चाहूंगा, ताकि हमारे पेइचिंग यूनीवर्सीटी में अन्तरराष्ट्रीय कानून कालेज की स्थापना के प्रयासों को मान्यता हासिल हो सके, और चीनी लोगों व चीन को इस से थोड़ी बहुत मदद मिल सके। इस के साथ, मैं यह भी आशा करता हूं कि आने वाले समय में मैं अधिक चीनी इतिहास, संस्कृति, कला, संगीत व भाषा आदि का भी अध्ययन कर सकूंगा, ताकि मैं अपनी चीन की जानकारी को अधिक प्रगाढ़ कर सकूं, इस से मेरा जीवन और अधिक रंग बिरंगा होगा। हम प्रोफेसर लेहमान के चीन में कार्य व जीवन की खुशहाली व आन्नदमय की शुभकामनाए देते हैं।