10 दिसंबर विश्व मानवाधिकार दिवस है ।60 साल से पहले संयुक्त राष्ट्र ने विश्व मानवाधिकार घोषणा पत्र जारी करने की 60वीं वर्षगांठ है ।इस उपलक्ष्य में संयुक्त राष्ट्र संघ ने इसे मनाने के लिए सिलसिलेवार गतिविधियां आयोजित कीं ।
10दिसंबर 1948 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने विश्व मानवाधिकार घोषणा पत्र जारी कर प्रथम बार मानवाधिकार व मानव की बुनियादी मुक्ति पर घोषणा की ।वर्ष 1950 में संयुक्त राष्ट्र ने हर साल की 10 दिसंबर को विश्व मानवाधिकार दिवस तय किया ।चालू साल विश्व मानवाधिकार घोषणा पत्र जारी होने की 60वीं वर्षगांठ है ।पिछले साल की 10 दिसंबर से संयुक्त राष्ट्र संघ ने साल भर मानवाधिकार का प्रचार प्रसार करने का अभियान शुरू किया था ।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव पान की मून ने इस उपलक्ष्य में भाषण देते हुए कहा कि 60वर्ष से पहले हुआ पारित विश्व मानवाधिकार घोषणा पत्र एक मील पत्थर है ,जिस ने समृद्धि ,प्रतिष्ठा व शांतिपूर्ण सहअस्थित्व के प्रति मानव की आकांक्षा प्रतिबिंबित की ।आज ही घोषणा पत्र संयुक्त राष्ट्र संघ का एक बुनियादी भाग है ।उन्होंने बल देकर कहा कि आज हम विभिन्न चुनौतियों का सामना कर रहे हैं ,जैसे खाद्यान्न संकट ,वित्तीय संकट ,प्राकृतिक पर्यावरण की बरबादी ,राजनीतिक दमन व इत्यादि ।उन्होंने सभी लोगों से सार्वजनिक जिम्मेदारी उठाते हुए विश्व मानवाधिकार घोषणा पत्र में निर्धारित विभिन्न अधिकारों की सुरक्षा करने की आशा प्रकट की ।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार मामलात उच्च आयुक्त सुश्री नावी पिले ने एक ब्यान जारी कर कहा कि विश्व मानवाधिकार घोषणा पत्र का बडा महत्व है ।90 से अधिक देशों ने इस के आधार पर संविधान व कानून बनाया ।घोषणा पत्र में पहली बार साफ शब्दों में कहा गया कि मानवाधिकार हर व्यक्ति का जन्म सिद्ध अधिकार है ,जो प्रशासकों द्वारा जनता को दिया गया उपहार नहीं है ।उन्होंने कहा कि बडी संख्या वाले लोग विश्व मानवाधिकार अधिकार घोषणा पत्र में निर्धारित अधिकारों का उपभोग नहीं करते हैं और कुछ देशों की मानवाधिकार बढाने की राजनीतिक इच्छा उन के वायदों से अनुकूल नहीं है ।
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 10 दिसंबर को एक विशेष बैठक बुलाकर पिछले 60 वर्षों में प्राप्त अनुभवों व सबकों पर विचार किया और वर्तमान संकटों व चुनौतियों के मद्देनजर विश्व मानवाधिकार कार्य आगे बढाने पर भी विचार विमर्श किया ।संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष ब्रोकमान ने अपने भाषण में कहा कि विश्व मानवाधिकार घोषणा पत्र का मुख्य विषय शिक्षा ,स्वास्थ्य ,रोजगारी ,आवास, संस्कृति ,खाद्यान्न व मनोरंजन से जुडी मानव की बुनयादी मांगों से संबंधित है ।मानवाधिकार क्षेत्र में राजनीतिक इच्छा के अभाव की चर्चा करते हुए संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के अध्यक्ष उहोमोभी ने कहा कि विश्व के बहुत क्षेत्र गरीबी से पीडित है ,जो बडी संख्या वाले लोगों के प्रति बुनियादी मानवाधिकार प्राप्त करने की सब से बडी बाध्य है।उन क्षेत्रों में बच्चे ,वरिष्ठ नागरिकों व महिलाओं के बुनियादी हितों को सुनिश्चित नहीं किया जा सकता ।इस के अलावा नस्लवाद व नस्लवाद भेद मानवाधिकार कार्य के विकास को बडी चुनौती दे रहा है ।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार घोषणा पत्र की 60वीं वर्षगांठ मनाने के लिए विश्व के विभिन्न जगहों में तरह तरह की गतिविधियां आयोजित हुईं । विश्व मानवाधिकार घोषणा पत्र फ्रांस की राजधानी पेरिस में 60 वर्ष से पहले जारी हुई थी ।इस की स्मृति के लिए पेरिस में मानवाधिकार कार्य से जु़डी सिलसिलिवार डाक्यूमेंटरी फिल्म दिखायी गयीं ।भारत की राजधानी नयी दिल्ली में 2500 छात्रों ने मशहूर सडकों पर लंबी दौड करते हुए विश्व मानवाधिकार दिवस का स्वागत किया ।दक्षिण अफ्रीका में कई शहरों में मानवाधिकार का प्रचार करने वाली गतिविधि शुरू हुई ,जो दस दिन तक चलेगी ।संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय न्यू यार्क में अगले हफ्ते विश्व मानवाधिकार घोषणा पत्र की 60वीं वर्षगोठ मनाने के लिए एक संगीत समारोह आयोजित किया जाएगा ।