आज की यात्रा हमने एक मशहूर प्राकृतिक स्थल "भूला दी गई भूमि" से शुरू की। इस यात्रा का हमने नाव में बैठकर भरपूर आनन्द लिया। इस जगह पर प्राचीन अवशेषों को देखने का मौका मिला। यहां पर हाथ से बने हुए सुन्दर कपड़े, पत्थर की छोटी-छोटी चीजें, केलिग्राफी और चांदी से बने तरह-तरह की डिजाईन की सुन्दर-सुंदर चीजें देखने को मिलीं। इसके बाद हमारी एक गोष्ठी हुई और यहां पर सब देशों से आए प्रतिनिधियों ने भाग लिया जिस में सब ने अपने-अपने विचार रखे। इस बैठक में व्यूरो के प्रमुख व अन्य नेताओं ने संबोधित किया। सी. आर. आई. के उप महा प्रबंधक व सम्पादकीय विभाग की उप महा प्रबंधक ने भी संबोधित किया। दोपहर को 4 बजकर 40 मिनट पर हमने पेइचिंग के लिए उड़ान ली और शाम को 7 बजकर 30 मिनट पर पेइचिंग पहुंचे।
एक महत्वपूर्ण घटना मेरे साथ घटी। अचानक जैसे ही हम क्वीलिन हवाई अड्डे पर पहुंचे वहां पर मेरी मुलाकात अपनी महामहिम राजदूत निरुपमाराव जी से हुई। मैंने और यांग साहिबा ने उन से बातें की। उन्होंने हमसे क्वांगशी की यात्रा के बारे में बातें की और साथ-साथ फोटो लिए। यह भी मेरे लिए सम्मान की बात रहेगी कि हमारी राजदूत और हम एक ही विमान से यात्रा कर रहे थे। एक बार फिर पेइचिंग हवाई अड्डे पर उन से हैलो हुई।