2008-12-09 10:27:53

चीनी फ्रांस सवाल के विशेषज्ञ का विचार है कि सार्कोजी के दलाई लामा से मुलाकात करने से गंभीर रूप से चीन-फ्रांस संबंध को नुकसान पहुंचा है

फ्रांसीसी राष्ट्रपति सार्कोजी ने छह तारीख को चीनी जनता के जबरदस्त विरोध और चीन के बारंबार विरोध की परवाह न कर फ्रांस के राष्ट्रपति और युरोपीय संघ के वर्तमान अध्यक्ष की हैसियत से दलाई लामा से मुलाकात की, उन की ऐसी कार्यवाही ने चीन के अंदरूनी मामलों में उद्दंडता से दखल दिया है, जिस से चीनी जनता की राष्ट्रीय भावना को ठेस लगी है और चीन-फ्रांस व चीन-यूरोप संबंध के राजनीतिक आधार को नुक्सान पहुंचा है। सुनिए इस संदर्भ में एक रिपोर्टः

तिब्बत से संबंधित सवाल चीन की प्रभुसत्ता व प्रादेशिक अखंडता और चीन के मूल हितों से जुड़ा हुआ है । फ्रांस ने चीन की महत्वपूर्ण चिंता व चीन फ्रांस संबंध की परवाह न कर तिब्बत सवाल पर सट्टेबाज़ी की है। फ्रांस स्थित चीन के पूर्व राजदूत, चीनी विदेश मंत्रालय के वैदेशिक नीति परामर्श समिति के सदस्य श्री वू च्येनमिन ने हमारे संवाददाता के साथ एक विशेष साक्षात्कार में कहा कि सार्कोजी की इस कार्रवाई से युरोपीय जनता व चीनी जनता के हितों पर ध्यान नहीं दिया है। उन का कहना है:

"ऐसा करना विवेकपूर्ण नहीं है । युरोपीय संघ के मौजूदा अध्यक्ष की हैसियत से ऐसा करने से चीन और युरोपीय संघ के संबंधों पर भारी कुप्रभाव पड़ेगा । उन्होंने युरोपीय जनता और युरोपीय संघ हितों को प्राथमिकता नहीं दी ।"

युरोपीय संघ के वर्तमान अध्यक्ष के रूप में फ्रांस के तिब्बत सवाल पर विवेकपूर्ण कार्रवाई न करने से चीन फ्रांस संबंध को क्षति पहुंचेगी, साथ ही चीन युरोप के बीच वार्ता, आदान-प्रदान व सहयोग को भी नुक्सान पहुंचेगा। श्री वू च्येनमिन ने कहा कि देश और देश के बीच संबंध, चीन युरोप संबंध पारस्परिक सम्मान और समानता व आपसी लाभ के आधार पर कायम किया जाता है । सार्कोजी के दलाई लामा से भेंट करने से इस सिद्धांत का उल्लंघन किया गया है। उन्होंने कहा:

"वर्ष 1946 में चीन और फ्रांस के बीच कूटनीतिक संबंध की स्थापना के बाद से लेकर आज तक द्विपक्षीय संबंध का बड़ा विकास हुआ है। चीन और युरोप के बीच वर्ष 1975 में कूटनीतिक संबंध स्थापित किए जाने के बाद से लेकर अब तक अभूतपूर्व प्रगति हुई है। चीन युरोप संबंध के विकास से दोनों पक्षों को वास्तविक लाभ मिला है। सार्कोजी की ऐसी हरकत ने चीन के मूल हितों को क्षति पहुंचायी है । पारस्परिक सम्मान की सब से पूर्व शर्त दूसरे की प्रभुसत्ता और प्रादेशिक अखंडता का समादर करना है । सार्कोजी ने दलाई लामा से भेंट करके इस सिद्धांत का उल्लंघन किया है, साथ ही चीन-फ्रांस संबंध और चीन-युरोप संबंध को भी नुक्सान पहुंचाया है।"

सार्कोजी क्यों दलाई लामा से भेंट करने पर अडिग रहे ?चीनी अंतरराष्ट्रीय सवाल अनुसंधान केंद्र के युरोपीय संघ अनुसंधान विभाग के अनुसंधानकर्ता श्री ल्यू च्येन का विचार है कि सार्कोजी का दलाई लामा से भेंट करने का मकसद अपने आप को राजनीतिक मुसीबतों से बाहर निकालने की कोशिश करना है । उन्होंने कहा:

"सार्कोजी का रूख कभी-कभार बदलता रहता है । पेइचिंग ऑलंपिक की पवित्र अग्नि रिले युरोपीय देशों में आयोजित किए जाने के दौरान सिलसिलेवार घटनाएं हुईं । वे युरोपीय संघ के वर्तमान अध्यक्ष बनने के वक्त युरोपीय लोगों का नेतृत्व कर संकट के निपटारे की अपनी क्षमता दिखाना चाहते हैं, जिस से वे वर्तमान में देशी-विदेशी राजनीतिक मुसीबतों से बाहर निकल सकें । दूसरी तरफ़, फ्रांसीसी नागरिकों का तिब्बत के प्रति गलत ऐतिहासिक दृष्टिकोण है, उन का विचार है कि तिब्बत एक स्वतंत्र देश है । सार्कोजी इन व्यक्तियों की ऐसी गलत विचारधारा के अनुसार देश में अपना समर्थन प्राप्त करना चाहते हैं ।"

आज विश्व बहुध्रुवीकरण और आर्थिक भूमंडलीकरण का लगातार विकास हो रहा है । चीन और फ्रांस समेत युरोपीय संघ के सदस्य देशों के बीच व्यापक समान हित मौजूद हैं । चीन युरोप संबंध को मज़बूत करना दोनों पक्ष यहां तक कि सारी दुनिया के हितों से मेल खाता है । विशेष कर वर्तमान स्थिति में चीन और युरोपीय संघ को अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संकट, खाद्य पदार्थ व ऊर्जा सुरक्षा तथा जलवायु परिवर्तन आदि विश्व व्यापी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है । श्री वू चियेमिन ने आशा जतायी कि फ्रांस चीन की प्रभुसत्ता व प्रादेशिक अखंडता को क्षति पहुचाने वाली गतिविधि को बंद कर बिगड़े हुए चीन-फ्रांस संबंध को ठीक करेगा। उन्होंने कहा:

"चीन-फ्रांस संबंध और चीन-युरोप संबंध को सामान्य रास्ते पर वापस लौटाने के लिए फ्रांस को सक्रिय कदम उठाने चाहिंए, चीन की प्रभुसत्ता व प्रादेशिक अखंडता को क्षति पहुंचाने वाली कार्रवाई को बंद करना चाहिए ।"

चीन हमेशा चीन फ्रांस संबंध को भारी महत्व देता है और पहले की ही तरह द्विपक्षीय संबंध के दीर्घकालिक व स्वस्थ विकास के लिए सकारात्मक कोशिश करने को तैयार है । फ्रांसीसी नेताओं को वास्तविक स्थिति के आधार पर अपने द्वारा दिए गए वचन का पालन कर चीन-फ्रांस संबंध को बनाए रखना चाहिए । वरना चीनी जनता की भावना और द्विपक्षीय सहयोग के आधार को क्षति पहुंचेगी ।(श्याओ थांग)

© China Radio International.CRI. All Rights Reserved.
16A Shijingshan Road, Beijing, China. 100040