2 दिसंबर की रात को चीन-भारत संयुक्त चिकित्सा दल की शुरुआती रस्म भारत के राष्ट्रीय होटल यानिकि भारत की राजधानी नयी दिल्ली में स्थित अशोक होटल में औपचारिक रूप से आयोजित की गयी। इस चिकित्सा दल का आयोजन चीन के प्रति भारत के सहायक चिकित्सा दल की 70वीं वर्षगांठ की स्मृति और उन की महान मानवीय भावना के संचरण के लिये चीनी जन वैदेशिक मैत्री संघ व भारतीय सांस्कृतिक संबंध कमेटी द्वारा इस वर्ष के आरंभ में किया गया ।
वर्ष 2008 चीन में भारतीय सहायक चिकित्सा दल के आने की 70 वीं वर्षगांठ है। चीन के जापान विरोधी युद्ध के दौरान डॉक्टर द्वारकानाथ शान्ताराम कोटनिस समेत पांच भारतीय डॉक्टरों से गठित भारतीय सहायक चिकित्सा दल युद्ध से पीड़ित चीनी सेना व चीनी जनता की सहायता करने के लिए चीन आया था। डॉक्टर कोटनिस, जिन्हें भारतीय बेथुएन माना जाता है, ने केवल केवल 32 वर्ष की अल्प आयु में अपने प्राणों का बलिदान दे दिया। चीन-भारत मैत्री संघ के अध्यक्ष श्री च्यांग चेन ह्वा ने रस्म में परिचय देते हुए कहा कि,
70 वर्ष पहले चीनी जनता के जापान विरोधी युद्ध का समर्थन करने के लिये पांच श्रेष्ठ डॉक्टरों का एक चिकित्सा दल चीन आया। उन्होंने साहस के साथ बड़ी मेहनत से मोर्चे पर जापान का विरोध करने वाले सैनिकों को चिकित्सा सेवा दी, और चीनी चिकित्सकों को प्रशिक्षण भी दिया। उन्होंने उत्कृष्ट योगदान दिया है।
श्री च्यांग चेन ह्वा ने कहा कि हालांकि समय बीत रहा है, लेकिन चीन के प्रति भारत के सहायक चिकित्सा दल व डॉक्टर कोटनिस की महान अंतर्राष्ट्रीयवादी भावना हमेशा भावी पीढ़ी को प्रोत्साहन देती रहेगी। इस बार संयुक्त चिकित्सा दल के सदस्य दोनों देशों के कुछ गरीब क्षेत्रों में जाकर स्थानीय लोगों को निःशुल्क चिकित्सा सेवा देंगे।
इस गतिविधि के प्रमुख आयोजक, भारतीय सांस्कृतिक संबंध कमेटी के अध्यक्ष श्री कर्ण सिंह ने अपने भाषण में भारतीय सहायक चिकित्सा दल की महान अंतर्राष्ट्रीयवादी भावना की बड़ी प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि,
पिछली शताब्दी के चौथे दशक में डॉक्टर कोटनिस व उन के कई साथियों ने चीन जाकर जापानी आक्रमण का विरोध कर रही चीनी जनता की सहायता की। उन में चार लोग क्रमशः भारत वापस आए, केवल डॉक्टर कोटनिस हमेशा के लिये चीन में ठहर गए।
श्री कर्ण सिंह ने कहा कि हालांकि भारतीय सहायक चिकित्सा दल की कहानी 70 वर्ष पहले की है। लेकिन लोग भारत-चीन के मैत्रिपूर्ण कार्य के लिये उन के द्वारा दिये गये योगदान को कभी नहीं भूलेंगे। और यह भावना लगातार भारत व चीन के मैत्रिपूर्ण संबंधों के विकास में सकारात्मक भूमिका अदा करेगी।
चीन-भारत संयुक्त चिकित्सा दल दोनों पक्षों के अपने-अपने दस युवा डॉक्टरों से गठित है, और दोनों देशों में कमज़ोर समूहों को निःशुल्क चिकित्सा सेवा देता है। इस वर्ष की जनवरी में भारतीय सदस्यों ने चीन के हपेइ प्रांत में निःशुल्क चिकित्सा सेवा व चिकित्सा व स्वास्थ्य से जुड़े ज्ञान का प्रसार-प्रचार आदि गतिविधियां चलायीं। भारतीय सदस्य डॉक्टर एस. अनुराधा ने चीनी नागरिकों को चिकित्सा सेवा देने के साथ-साथ चीन की स्थिति पर गहरी समझ हासिल की , और चीनी साथियों व आम चीनी जनता के साथ गहरी मित्रता स्थापित की। उन्होंने कहा कि,
मैं भारतीय चिकित्सा दल के साथ पेइचिंग, शचा च्वांङ व थांग काउंटी आदि क्षेत्रों में गयी। हमने उस समय डॉक्टर कोटनिस के रहने के स्थान की यात्रा की, और वहां लोगों से मिले । स्थानीय लोगों ने हमारा हार्दिक स्वागत किया। चीन की यात्रा ने हमारे मन पर सुन्दर छवि छोड़ी है।
इस बार चीनी सदस्य भी भारत जाकर ऐसा काम करेंगे। संयुक्त चिकित्सा दल के चीनी अध्यक्ष, हपेइ चिकित्सा विश्वविद्यालय के नंबर दो अस्पताल के उप प्रधान श्री च्यांग चिन थिंग ने कहा कि,
चीन-भारत संयुक्त चिकित्सा दल जनवरी की 14 तारीख को चीन में स्थापित किया गया। इस बार हम ने भारत की यात्रा कर रहे हैं। इस के दो अर्थ हैं। एक, चिकित्सा का आदान-प्रदान करना, और दो, दोनों देशों की मित्रता को बढ़ाना। इस दृष्टि से यह यात्रा बहुत महत्वपूर्ण है।
श्री रवि धर भारतीय राष्ट्रीय इम्मुनोलोजी कॉलेज के एक विद्वान हैं। उन्हें चीनी चिकित्सा पद्धति का बड़ा शौक है। उन के ख्याल से भारत व चीन दोनों विश्व में सब से बड़ी जनसंख्या वाले देश हैं। दोनों देशों को एक दूसरे से सीखना चाहिए और समान प्रगति करने की कोशिश करनी चाहिए । इससे ज्यादा से ज्यादा लोगों को लाभ मिल सकेगा।(चंद्रिमा)