2008-12-03 16:14:13

चीन और अमरीका के बीच पांचवीं रणनीतिक आर्थिक वार्ता पर समीक्षा

चीन और अमरीका के बीच पांचवीं रणनीतिक आर्थिक वार्ता 4 और 5 तारीख को पेइचिंग में होगी । अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय संकट और अमरीका में सत्ता-हस्तांतरण के वक्त चीन अमरीका की मौजूदा वार्ता विशेष ध्यानाकर्षक है। चीनी विद्वानों ने सी आर आई संवाददाताओं के साथ बातचीत में कहा कि वार्ता के जरिए चीन और अमरीका व्यापार-संरक्षणवाद रोकने तथा द्विपक्षीय बाजार प्रवेश बढ़ाने के क्षेत्र में सिलसिलेवार सहमतियां प्राप्त कर सकेंगे।

चीनी उप प्रधान मंत्री वांग छीशान तथा अमरीकी वित्त मंत्री पोल्सन अपने अपने देश के राज्याध्यक्ष के विशेष प्रतिनिधि के रूप में मौजूदा आर्थिक रणनीतिक वार्ता में भाग लेंगे । वार्ता का मुख्य विषय चीन अमरीका दीर्घकालीन आर्थिक साझेदारी संबंधों का आधारशिला पुख्ता करना है । वार्ता के विषयों में समग्र अर्थ-नीति, वित्तीय संकट के मुकाबले के उपाये, ऊर्जा व पर्यावरण सहयोग, व्यापार संवर्द्धन, मुक्त व्यापार को बढ़ाना तथा अन्तरराष्ट्रीय आर्थिक क्षेत्र में चीन अमरीका सहयोग आदि शामिल हैं ।

चीनी आधुनिक संबंध अनुसंधान अकादमी के रणनीति अध्ययन केन्द्र के प्रधान श्री क्वो जुक्वी ने कहा कि वर्तमान विश्वव्यापी आर्थिक मंदी की हालत में पांचवीं चीन अमरीका आर्थिक रणनीतिक वार्ता का विशेष महत्व होगा। उन्हों ने कहाः

ऐसी स्थिति में चीन और अमरीका किस तरह आर्थिक क्षेत्र में समन्वय व सलाह मशविरा बढ़ाएंगे, जिस का अत्यन्त बड़ा महत्व है। वार्ता में जी-20 शिखर सम्मेलन की भावना को अमली जामा पहनने, दोनों देशों के बीच समग्र आर्थिक नियंत्रण बढ़ाने, वित्तीय बाजार को स्थिर बनाने , विश्व अर्थतंत्र को बेहतर करने तथा दोनों देशों की आर्थिक वृद्धि बनाए रखने और वित्तीय संकट को ठोस आर्थिक समुदायों में फैलने से रोकने के पहलु में कुछ ठोस उपाये निकाले जा सकेंगे।

विश्लेषकों का कहना है कि वार्ता में वित्तीय संकट पर विचार विमर्श के अलावा दोनों पक्ष अपने अपने ध्यान वाले विषयों का भी उल्लेख करेंगे । जिन में व्यापार-संरक्षणवाद को रोकने का सवाल संभवतः चीन का दिलचस्पी वाला विषय होगा । अमरीका में आर्थिक मंदी के कारण वहां व्यापार-संरक्षणवाद का सिर फिर उठने लगा है, यदि इस रूझान को रोका नहीं जाए, तो उस का चीन के निर्यात उद्योग पर असर पड़ेगा । जबकि अमरीका चाहता है कि चीनी बाजार में प्रवेश का और विस्तार हो जाए और अमरीकी कंपनियों को चीन में निवेश व व्यापार की और बड़ी स्वतंत्रता प्रदान किया जाए ।

श्री क्वो जुक्वी ने कहा कि हितों से जुड़े दो पक्ष, चीन और अमरीका दोनों चाहते हैं कि वार्ता में अपनी अपनी चिंता वाले आर्थिक सवालों में प्रगति प्राप्त हो । श्री क्वो ने कहाः

पिछली वार्ता में ऊर्जा किफायत व पर्यावरण संरक्षण पर सहयोग के बारे में दीर्घकालीन योजना संपन्न हुई थी। मौजूदा वार्ता में उसे ब्यौरेदार बनाया जाएगा और अमल के ठोस प्रस्ताव पेश किये जाएंगे। जिन सवालों, जैसाकि उत्पाद गुणवत्ता, खाद्यपदार्थ सुरक्षा, बाजार और खोलने तथा दोनों देशों के बीच, यहां तक समूची दुनिया में वित्तीय खुलेपन बढ़ाने एवं व्यापार संरक्षणवाद को बढ़ने से रोकने पर दोनों पक्षों का ध्यान है , उन के समाधान में कुछ सहमतियां और ठोस उपलब्धियां प्राप्त हो सकेंगी ।

विश्लेषकों का ध्यान है कि मौजूदा वार्ता में चीनी मुद्रा रन मिनबी की विनिमय दर और व्यापारिक असंतोलन जैसे ठोस सवालों पर वाद प्रतिवाद नहीं होगा और समग्र आर्थिक नीति, वित्तीय संकट के मुकाबले तथा ऊर्जा व पर्यावरण सहयोग जैसे सच्चे रणनीतिक सवालों पर विचार विमर्श होगा। इस पर पेइचिंग विश्वविद्यालय के प्रोफेसर श्री जु फङश्यान ने कहाः

चीनी मुद्रा की विनिमय दर के सवाल से चीन की आर्थिक वास्तविकता प्रतिबिंबित होनी चाहिए । एक बड़े निर्यातक देश होने के नाते चीन विश्व बाजार और विश्व आर्थिक विकास के लिए योगदान कर सकेगा । अब तक चीनी मुद्रा रन मिनबी का मूल्य 20 प्रतिशत बढ़ गया है, विश्व ध्यानाकर्षक रन मिनबी की विनिमय दर पर चीन ने युक्तिसंगत प्रतिक्रिया की है।

अमरीका में सत्ता के हस्तांतरण के कारण मौजूदा वार्ता खास ध्यानाकर्षक बन गयी । चीनी अमरीका रणनीतिक आर्थिक वार्ता ने चीन अमरीका आर्थिक व्यापारिक संबंधों को बढाने तथा चीन अमरीका के रचनात्मक सहयोग संबंध का विकास करने में भारी भूमिका निभायी है। चीनी विद्वानों का विश्वास है कि ओबामा सत्ता पर आने के बाद भी यह यह रणनीतिक वार्ता जारी रहेगी ।