चीनी दक्षिण एशिया अंतर्राष्ट्रीय शोध अध्ययन मंच का आरंभ सब से पहले पेइचिंग विदेशी भाषा विश्वविद्यालय, पेइचिंग यूनिवर्सिटी व शनचेन विश्वविद्यालय द्वारा संयुक्त रुप से किया गया। क्योंकि दक्षिण एशिया के विभिन्न देशों के साथ सांस्कृतिक आदान-प्रदान करना चीनी जन वैदेशिक मैत्री संघ के कामों का एक महत्वपूर्ण भाग है,इसलिये वैदेशिक मैत्री संघ भी इस गतिविधि का एक प्रमुख आयोजक बन गया, और इस गतिविधि को बड़ा समर्थन दिया। इस मंच का आयोजन करने के कारण की चर्चा करते हुए चीनी जन वैदेशिक मैत्री संघ के सांस्कृतिक आदान-प्रदान विभाग की प्रधान सुश्री वांग श्यू यून ने कहा कि, चीन व दक्षिण एशिया के मैत्रिपूर्ण आदान-प्रदान का लंबा इतिहास है। वह चीन के छिन राजवंश से शुरू होकर हान राजवंश तक पहुंचते-पहुंचते समृद्ध हुआ है, और स्वेइ व थांग राजवंश में अपनी चोटी पर पहुंच गया। दो हजार वर्ष से ज्यादा आदान-प्रदान के इतिहास में संस्कृति हमेशा महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती रही है। चीन की पेपर निर्माण की तकनीक, रेशम, चीनी, चाय व संगीत आदि ने भारत में प्रवेश करके भारतीय संस्कृति को समृद्ध किया। साथ ही भारत से बौद्ध धर्म, संगीत, नृत्य, खगोल विज्ञान, पंचांग, साहित्य, भाषा तथा चीनी बनाने की तकनीक आदि ने भी चीन में प्रवेश करके चीनी संस्कृति व दर्शन-संबंधि विचारों पर गहरा प्रभाव डाला। चीन व भारत दोनों पुरातन सभ्यता वाले देश हैं, और दोनों नये विकासशील देश भी हैं। आदान-प्रदान का विस्तार करने और समझ व मित्रता को मजबूत करने का एशिया यहां तक कि सारी दुनिया की शांति व विकास के लिये गहरा व सकारात्मक महत्व है।
इस वर्ष के आरंभ में भारतीय प्रधान मंत्री श्री मनमोहन सिंह ने चीन की सफल यात्रा की। यात्रा के दौरान दोनों देशों ने 21वीं शताब्दी के समान भविष्यवाणी दस्तावेज व सहयोग ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया। और दोनों देशों ने वर्ष 2010 में क्रमशः भारतीय वर्ष व चीनी वर्ष का आयोजन करने पर सहमति प्राप्त की। मानवीय आदान-प्रदान को विस्तृत करना, जल्द से जल्द दोनों देशों की जनता में आपसी समझ को गहन करना दोनों देशों के संबंधों के विकास में महत्वपूर्ण काम बन गया है। इसलिये इस वातावरण में इस मंच के आयोजन का दोनों देशों के विद्वानों ने स्वागत किया है।
इस मंच के विषय विविधतापूर्ण हैं। शोध अध्ययन बैठक के अलावा सिलसिलेवार सांस्कृतिक गतिविधियां भी इस में शामिल हैं। इस के बारे में सुश्री वांग श्यू यून ने हमें परिचय देते हुए कहा कि, मंच का शुरूआती विचार बहुत सरल था, यानि श्री थेन यून शान व श्री शी ज्यूए यूए के जन्मदिन की 110वीं वर्षगांठ की स्मृति नामक अंतर्राष्ट्रीय शोध अध्ययन मंच का आयोजन किया जाए । लेकिन कई महिनों की तैयारी के बाद आयोजन कमेटी के सदस्यों ने बड़े उत्साह के साथ मंच में ज्यादा से ज्यादा विषय शामिल किए। शोध अध्ययन बैठक के अलावा श्री थेन यून शान व श्री शी ज्यूए यूए के जीवनकाल की प्रदर्शनी आयोजित की, श्री थेन यून शान के चीन-भारत मैत्री संग्रहालय की शुरूआती रस्म, पेइचिंग विदेशी भाषा विश्वविद्यालय के दक्षिण एशिया अध्ययन केंद्र की शुरूआती रस्म, दक्षिण एशिया सांस्कृतिक हफ्ते का उदघाटन समारोह, भारतीय फ़िल्म दिवस, भारतीय संस्कृति पर सिलसिलेवार बैठक, चीन-दक्षिण एशिया के मैत्रिपूर्ण आदान-प्रदान की चित्र प्रदर्शनी आदि का भी आयोजन किया गया। इस के अलावा आयोजन कमेटी ने इस मंच को एक दीर्घकालीन सांस्कृतिक मुद्दा बनाने का फैसला किया। अगले वर्ष दूसरा अंतर्राष्ट्रीय दक्षिण एशिया मंच भारत में आयोजित होगा।(चंद्रिमा)