वर्ष 2008 संयुक्त राष्ट्र सहस्राब्दी विकास लक्ष्य के कार्यान्वयन के मध्य दौर का आकलन वर्ष है । संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष 2000 में आठ सहस्राब्दी विकास लक्ष्य बनाए, जिन में प्रथम है कि वर्ष 2015 तक विश्व भर में गरीब व भूखे व्यक्तियों की संख्या वर्ष 1990 के आधे तक घटाना है । अब आधा समय बीत चुका है, लेकिन दुनिया भर में भूखी जन संख्या कम होने की बजाए बढ़ रही है । यह स्थिति लक्ष्य के सामने एक चुनौती है । अंतरारष्ट्रीय समुदाय समय पर भूख को दूर करने का वचन कैसे निभाएगा?
इस वर्ष के पूर्वार्द्ध में अंतरारष्ट्रीय अनाज का दाम लगातार बढ़ा है । सेरालिआन में चावल का दाम 300 प्रतिशत बढ़ा । मध्य अमरीका के हैती, अफ्रीका के मोज़ाम्बिक, कैमरून, कोटादिवा, एशिया के फिलीपीन्स, इन्डोनेशिया और बंगलादेश इन देशों के भूखे लोगों ने जुलूस निकाला , यहां तक कि कुछ देशों में खूनी मुठभेड़ और राजनीतिक संकट पैदा हुआ है ।
संयुक्त राष्ट्र संस्था के आंकड़ों से पता चलता है कि सहस्राब्दी विकास लक्ष्य के कार्यान्वयन का आधा समय बीतने के वक्त विश्व भर में भूखे व्यक्तियों की संख्या कम होने की बजाए बढ़ रही है,और जो अब 92 करोड़ 30 लाख तक पहुंच गई है । संयुक्त राष्ट्र महासचिव श्री बान की मून इस पर चिंतित हैं । उन्होंने कहा:
"बीते गत वर्ष में अनाज का दाम पचास प्रतिशत बढ़ा है । विश्व में दस करोड़ लोग भूख व गरीबी से पीड़ित हैं । इस से संयुक्त राष्ट्र सहस्राब्दी विकास लक्ष्य के कार्यान्वयन पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा ।"
अनुमान है कि वर्ष 2050 तक विश्व में नौ अरब लोगों के लिए वर्तमान अनाज की पैदावार को एक गुना बढ़ना चाहिए । इस चुनौती के मुकाबले के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ के अधीन 27 संस्थाओं के जिम्मेदार व्यक्तियों की भागीदारी वाला आपात उच्च स्तरीय सम्मेलन अप्रेल माह में स्वीडन की राजधानी बर्नी में हुआ । श्री बान की मून ने संयुक्त राष्ट्र के सिलसिलेवार कदम उठाने की घोषणा की ।
"हम ने संजीदगी के साथ अल्पकालीन, मध्यकालीन व दीर्घकालीन कदम उठाने का फैसला किया है । सर्वप्रथम भूख से ग्रस्त व्यक्तियों के पेट भरने के सवाल का समाधान किया जाना चाहिए । संयुक्त राष्ट्र ने अंतरारष्ट्रीय समुदाय से, विशेष कर विकसित देशों से संयुक्त राष्ट्र को 75 करोड़ 50 लाख अमरीकी डॉलर धन राशि सहायता देने की आपील की है ।"
इस वर्ष के जून माह के शुरू में विश्व अनाज सुरक्षा उच्च स्तरीय सम्मेलन संयुक्त राष्ट्र खाद्यान्न संगठन के मुख्यालय रोम में उद्घाटित हुआ, जिस में गरीब देशों की सहायता के लिए 20 अरब अमरीकी डॉलर देने का वचन दिया गया । लेकिन इस वर्ष के मध्य में पैदा हुए वित्तीय संकट से अनाज सुरक्षा सवाल और बिगड़ गया है । संयुक्त राष्ट्र खाद्यान्न संगठन की सरकारों के बीच सहयोग विभाग के निदेशक श्री अब्बास ने कहा:
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"अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संकट से उत्पादन व उपभोक्ता क्षेत्र में विश्व अनाज सुरक्षा उत्पादन पर प्रभाव पड़ेगा । वर्तमान में विश्व के महत्वपूर्ण अनाज उत्पादक देश व क्षेत्र ,अमरीका व युरोप में क्रेडिट संकट पैदा हुआ। अनाज उत्पादकों को पूंजी व ऋण प्राप्त करने में मुश्किल आ रही है । आर्थिक संकट से मांग पर प्रभाव पड़ेगा, मांस व दूध आदि खाद्य पदार्थों के उपभोक्ता कम होंगे और अनाज उपभोक्ता बढ़ेंगे ।"
एक बड़े विकासमान देश के रूप में चीन गरीब देशों के कृषि उत्पादन स्तर को उन्नत करने की यथा संभव कोशिश कर रहा है । चीनी प्रधान मंत्री श्री वन च्या पाओ ने संयु्क्त राष्ट्र सहस्राब्दी विकास लक्ष्य उच्च स्तरीय सम्मेलन में चीन सरकार द्वारा उठाए जाने वाले सिलसिलेवार कदमों की घोषणा की ।
"भावी पांच साल में चीन विकासमान देशों की सहायता के लिए कृषि तकनीक नार्मल केंद्रों की संख्या एक गुना बढ़ाएगा, विदेशों में भेजे जाने वाले कृषि विशेषज्ञों व तकनीकी कर्मचारियों की संख्या में दुगुनी बढोतरी करेगा । विकासमान देशों के तीन हज़ार व्यक्तियों को चीन में प्रशिक्षण देगा, विकासमान देशों की कृषि उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के लिए संयु्क्त राष्ट्र खाद्यान्न संगठन को तीन करोड़ अमरीकी डॉलर दे कर विश्वास कोष की स्थापना करेगा, और अनाज की कमी वाले देशों में निर्यात व सहायता बढ़ाएगा ।"
संयुक्त राष्ट्र खाद्यान्न संगठन के अधिकारी श्री अब्बास ने चीन की सहायता की प्रशंसा की । उन का विचार है कि चीन में एक अरब 30 करोड़ लोगों के पेट भरने के सवाल का समाधान विश्व अनाज सुरक्षा की प्राप्ति के लिए सब से बड़ा योगदान है । उन्होंने कहा:
"चीन एक बड़ा देश है, जिस की स्थिति बहुत जटिल है । लेकिन चीन में राजनीति स्थिर है और सरकार शक्तिशाली है । चीन की कृषि नीति में अनेक रोकथाम के कदम शामिल हैं, इस तरह गत वर्ष अनाज के दाम बढ़ने से चीन पर प्रभाव नहीं पड़ा है । अब तक चीन ने विश्व अनाज बाज़ार पर बोझ नहीं डाला है।"
विश्व अनाज सुरक्षा का मूल विश्व कृषि के विकास को आगे बढ़ाना है । संयुक्त राष्ट्र महासचिव श्री बान की मून ने कहा कि विश्व अनाज सुरक्षा के संघर्ष में हार नहीं माननी है । आशा है कि अंतरारष्ट्रीय समुदाय इस संघर्ष में अंतिम विजय प्राप्त करेगा ।(श्याओ थांग)