2008-12-02 17:22:16

पिछले तीस सालों में चीन के मानवाधिकार कार्य में भारी प्रगति

विश्व मानवाधिकार घोषणा पत्र के प्रकाशन की 60 वीं जयंती तथा चीन के सुधार व खुलेपन की नीति लागू होने के तीस साल के उपलक्ष्य में चीनी मानवाधिकार अध्ययन सोसाइटी ने 2 दिसम्बर को पेइचिंग में चीनी सुधार व खुलेपन तथा मानवाधिकार कार्य के विकास के 30 सालों के बारे में एक अकादमिक संगोष्ठी बुलाई, जिस में देश के विभिन्न स्थानों से 60 से ज्यादा जाने माने विशेषज्ञों और विद्वानों ने भाग लिया। उन्हों ने कहा कि चीन में सुधार व खुलेपन की नीति लागू होने के पिछले तीस सालों में आर्थिक व सामाजिक विकास के साथ साथ चीन के मानवाधिकार कार्य में भी ऐतिहासिक भारी प्रगति प्राप्त हुई है ।

चीनी राज्य परिषद के प्रेस कार्यालय के प्रधान श्री वांग छन ने 2 तारीख को संगोष्ठी में भाषण देते हुए कहा कि चीन में सुधार व खुलेपन के तीस सालों में देश की सामाजिक स्थिति में गहरा परिवर्तन आया है और मानवाधिकार कार्य का भी सब से तेज विकास हुआ है । उन्हों ने कहाः

सुधार व खलेपन की नीति लागू होने के पिछले तीस सालों में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी और चीन सरकार हमेशा आर्थिक निर्माण को केन्द्रीय कार्य बना कर संपूर्ण रूप से सामाजिक प्रगति बढाने पर कायम रहती है और उन्हों ने मानवाधिकार की व्यापकता को चीन की वास्तविकता के साथ जोड़ कर मानवाधिकार कार्य को बढ़ावा देने तथा मानवाधिकार की रक्षा करने में अथक कोशिश की और ऐतिहासिक प्रगति हासिल की है।

श्री वांग छन ने कहा कि पिछले तीस सालों में चीन की औसत वार्षिक आर्थिक वृद्धि दर 10 प्रतिशत के साथ लगातार बढ़ती गयी, औसत प्रति व्यक्ति के हिस्से में सकल घरेलू उत्पादन मूल्य में करीब दस गुने की बढ़ोतरी हुई, शहरों और गांवों के निवासियों की आय और समृद्धि का स्तर काफी उन्नत हो गया और जन समुदाय के रोजगारी, शिक्षा, चिकित्सा व सामाजिक प्रतिभूति का स्तर भी लगातार उन्नत होता गया । चीनी जनता के जीवन और विकास के अधिकार की अभूतपूर्व मजबूत गारंटी की गयी है।

चीनी मानवाधिकार अध्ययन सोसाइटी के अध्यक्ष श्री लो होछे ने संगोष्ठी में कहा कि आर्थिक उदारीकरण ने चीन के आर्थिक विकास को तेज गति प्रदान की है और मानवाधिकार कार्य के विकास के लिए पुख्ता भौतिक आधार मुहैया किया है और सीधे आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों के विकास को बढ़ावा दिया है । इस के दौरान चीन की लोकतांत्रिक राजनीतिक व्यवस्था भी निरंतर सुधर गयी और परिपूर्ण होने जा रही है । नागरिकों की राजनीतिक मामलों में भागीदारी के अधिकार का भी निरंतर विस्तार किया जा रहा है । श्री लो ने कहाः

चीन के तीस सालों के सुधार व खुलेपन की बुनियादी दिशा समाज के विभिन्न तबकों की स्वतंत्रता बढ़ाना, नागरिकों की भागीदारी का विस्तार करना, व्यापक जन समुदाय के हितों की रक्षा करना तथा सब से बहुसंख्या वाले लोगों के मूल्य अवधारण व मान मर्याद को साकार करना है।

सूत्रों के अनुसार चीन की जन प्रतिनिधि सभा व्यवस्था को निरंतर परिपूर्ण बनाया जा रहा है, जिस में विषम अनुपातिक चुनाव और सत्रों का नियमित बदलाव व्यवस्थागत बनाया गया है, चीन के गांवों में व्यापक रूप से गांववासी कमेटी का प्रत्यक्ष चुनाव होता है । इस के अलावा चीन के बुनियादी स्तरीय इकाइयों में लोकतंत्र लगातार विस्तृत हो गया है , नागरिकों के सुव्यवस्थित रूप से राजनीतिक मामलों में भाग लेने का रास्ता सुगम होता है और नागरिकों के बुनियादी अधिकार और स्वतंत्रता प्रबल रूप से सुनिश्चित हो गए हैं।

इन के अतिरिक्त पिछले 30 सालों में चीन ने सक्रिय रूप से कानून आधारित प्रशासन के विकास, कानून निर्माण, कानून के पालन तथा न्यायिक कार्य में मानवाधिकार की रक्षा और अधिक मजबूत की है । कानून निर्माण में मानवाधिकार गारंटी की भावना विभिन्न कानूनों में समाहित की है । चीन ने न्यायिक काम में जन समुदाय के हितों को नुकसान पहुंचाने तथा पदों के दुरूपयोग जैसी कानून उल्लंघन की हरकतों को दुरूस्त करने की कोशिश की है और मुकदमे में कानूनी निगरानी को मजबूत कर कानून न्याय की गारंटी की और अदालतों के स्वतंत्र सुनाई का सिद्धांत लागू किया है।

सुधार व खुलेपन से पहले चीन बहुत कम अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार कार्य में भाग लेता था । लेकिन चीन में सुधार व खुलेपन की नीति लागू होने के बाद चीन अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार सहयोग का अहम सदस्य बन गया । अब तक चीन ने आर्थिक, सामाजिक व सांस्कृतिक अधिकार वाली अन्तरराष्ट्रीय संधि समेत 25 अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार संधियों में भाग लिया है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की परामर्शता कमेटी के विशेषज्ञ श्री छन शिच्यो ने संवाददाता से कहा कि इधर के सालों में चीन ने खुले रवैये से अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार कार्य को गतिशील बनाया है और सक्रिय रूप से अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार वार्तालाप तथा सहयोग में हिस्सा लिया है। उन्हों ने कहाः

हम ने यूरोपीय संघ और यूरोप के अलग अलग देश के साथ नियमित मानवाधिकार वार्ता की व्यवस्था की है और अमरीका के साथ मानवाधिकार पर बातचीत शुरू की है और ओस्ट्रेलिया के साथ भी मानवाधिकार वार्ता कायम की है , चीन ने विकासमान देशों के साथ मानवाधिकार पर आदान प्रदान किया है और कुछ सवालों पर सलाह मशविरा किया है। वर्तमान स्थिति से देखा जाए तो मानवाधिकार क्षेत्र में वार्ता और आदान प्रदान में प्रगति प्राप्त हुई है और इस प्रकार के तरीके को सब लोग स्वीकार कर सकते हैं। वार्तालाप, आदान प्रदान और सहयोग सही दिशा होना चाहिए, अब वह एक रूझान ही नहीं, बल्कि एक धारा का रूप भी ले चुका है।