जाहिर है, इन परिस्थितियों में पूंजीवाद का विकास नहीं हो सकता था।
सारे देश में अब भी आत्मनिर्भर औ1र प्राकृतिक अर्थव्यवस्था की ही प्रधानता थी।
चीन की धरती पर बस ने वाली तमाम जातियों के लोगों ने अपनी मातृभूमि की महान संस्कृति का सृजन और विकास किया।
छिङ राजवंशकाल में चीन की सीमा के अन्दर 50 से अधिक जातियां, जिनमें हान जाति के लोगों की संख्या अन्य जातियों से कहीं अधिक थी।
साथ साथ रहने लगी थीं और उन के आपसी सम्बन्ध पहले से कहीं ज्यादा घनिष्ठ हो गए थे।
छिङ सरकार ने राजोधानी में अल्पसंख्यक जातियों के मामलों की समिति की स्थापना की।
जो विशेष रूप से उन सीमावर्ती इलाकों के प्रशासन के लिए जिम्मेदार थी जहां अल्पसंख्यक जातियां सघन रूप से बसी हुई थीं।
इन इलाकों के सैनिक और प्रशासनिक मामलों को निपटाने के लिए केन्द्रीय सरकार द्वारा समय समय पर वहां सैन्य अधिकारी व मंत्री भी भेजे जाते थे।
17 वीं सदी के अन्त में छिङ सरकार ने मंगोलिया पठार की मरूभूमि के पश्चिम में चुङकार मंगोल जाति के इलाके में तीन बार अपनी फौजें भेजकर वहां के विद्रोह को शान्त कर दिया।
सम्राट छ्येनलुङ के शासनकाल में उसने उइगूर जाति के प्रतिक्रियावादी अभिजात वर्ग के विरोध का भी सफलतापूर्वक अन्त कर दिया और शिनच्याङ के इलाके का एकीकरण किया।