श्रोता दोस्तों, 26 तारीख की रात से पश्चिमी भारत का आर्थिक केंद्र मुम्बई शहर फिर एक बार भारी आतंकवाद की छाया में फंसा हुआ है। मुम्बई शहर के केंद्र में स्थित रेलवे स्टेशन, होटल, सिनेमाघर और सरकारी संस्थाओं समेत लगभग 10 स्थलों में एक साथ सशस्त्र शक्तियों के आतंकवादी हमले हुए। 28 तारीख के तड़के तक, 132 व्यक्तियों की मृत्यु हुई है और अन्य 300 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं।
दो वर्ष पहले, मुम्बई शहर में एक रेल गाड़ी में हुए जबरदस्त विस्फोट में 200 से ज्यादा लोगों की मृत्यु हुई थी। लेकिन, इस बार मुम्बई में हुए आतंकवादी हमले केवल आम नागरिकों के खिलाफ नहीं हैं। इस बार का निशाना सरकारी संस्थान हैं। निशानों में भारत के सब से मशहूर दो पांच सितारा होटल ताज महल होटल और ओबराए होटल शामिल हैं।आतंकवादियों ने होटलों में घुस कर बेगुनाहों पर गोलाबारी की है।
मुम्बई में हुए ये आतंकवादी हमले कोई अलग एकल घटना नहीं हैं। इस से पहले, भारत की राजधानी नयी दिल्ली आदि स्थलों में क्रमशः अनेक आतंकवादी हमले हुए थे।13 सितम्बर में हुए शृंखलाबद्ध विस्फोट भी नयी दिल्ली के केंद्र में सब से समृद्ध वाणिज्य क्षेत्र में हुए थे। इस के बाद 30 अक्तूबर को, उत्तर पूर्वी भारत के असम प्रदेश के सब से बड़े शहर गुवाहाटी में फिर एक बार शृंखलाबद्ध विस्फोट हुए । इन विस्फोटों से दसियों लोगों की मृत्यु हुई थी और अनेक लोग घायल हुए थे। आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष अभी तक, भारत में लगभग 800 आतंकवादी घटनाएं हुईं हैं, जो पिछले तीन वर्षों में हुई आतंकवादी घटनाओं से कहीं ज्यादा हैं।
भारत में क्यों अक्सर आतंकवादी हमले हो रहे हैं। विश्लेषकों का मानना है कि मुख्य कारण ये हैं। प्रथम, भारत एक बहुजातीय देश है। विभिन्न जातियों व धर्मों के बीच प्रतिकूलताएं तीव्र हैं। भारत में 80 प्रतिशत से ज्यादा नागरिक हिंदु धर्म के अनुयायी हैं, लेकिन, दुनिया के सभी प्रमुख धर्मानुयायी भारत में रहते हैं। भारत में लगभग 12 प्रतिशत आबादी मुस्लिम धर्म को मानने वालों की है। भारत के कई हजार वर्षों के विकास के इतिहास में धार्मिक अनुयाइयों के बीच खूनी मुठभेड़ें भारत की सामाजिक विकास प्रक्रिया के साथ होती आई हैं। ब्रिटेन ने एक बार दक्षिण एशिया के महाद्वीप पर कब्जा कर लिया था। उस समय भारत में आज के भारत, पाकिस्तान व बंगलादेश तीनों देश शामिल थे। ब्रिटिश लोगों ने भारत व पाकिस्तान का विभाजन किया और तीन बार भारत-पाक में युद्ध भी हुए। इसलिए, धार्मिक प्रतिकूलताएं भारत की घरेलू परिस्थिति के डांवाडोल होने का एक प्रमुख कारण है। इस के साथ-साथ, स्वतंत्रता व अलगाववादी शक्तियां भी भारत में हिंसक मुठभेड़ों के उत्पन्न होने के कारणों में से एक हैं।
दूसरा, जटिल ऐतिहासिक व सामाजिक कारणों से भारत के समाज में गरीब व धनी आदमियों में बड़ी खाई है। आर्थिक असमानता की स्थिति जटिल अंतरराष्ट्रीय तत्वों से जुड़ कर आतंकवाद के पैदा होने, विकसित होने और हिंसक कार्यवाइयों के निरंतर उत्पन्न होने के लिए अच्छी शर्तें हैं।
तीसरा, दिन ब दिन गंभीर आतंकवादी परिस्थिति के मद्देनजर, भारत में आतंकवाद विरोधी कदम अपेक्षाकृत ढीले ही रहे हैं। आतंकवादियों के खिलाफ कमजोर प्रतिक्रिया भी भारत के विभिन्न स्थलों में आतंकवादी हमलों के निरंतर उत्पन्न होने का एक प्रत्यक्ष कारण है। इधर के वर्षों में हालांकि निरंतर उग्रवादी संगठन आतंकवादी हमलों की जिम्मेदारी उठाने की घोषणा करते रहे हैं, फिर भी भारत की सुरक्षा संस्थाओं ने आतंकवादियों को गिरफ्तार करके सज़ा नहीं दी है। भारतीय प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह ने 27 तारीख को कहा कि भारत सरकार रुपांतरण करके पुलिस थानों तथा सूचना विभाग को मजबूत करेगी और एक उच्च गुणवत्ता वाली संघीय जांच संस्था की स्थापना भी करेगी, ताकि आतंकवादी हमलों की विशेष जांच की जा सके। भारत की जनता आशा करती है कि यह योजना यथाशीघ्र ही साकार की जाएगी , ताकि आतंकवादी तत्वों को धमकी दी जा सके और लोग निरंतर हो रहे आतंकवादी हमलों की छाया से बाहर निकल सकें।(श्याओयांग)