2008-11-28 17:51:41

विशेषज्ञों का मानना है कि अर्थतंत्र वृद्धि को बरकरार रखना चीन की केन्द्रीय बैंक के भारी पैमाने में ब्याज कटौती करने का मकसद है

चीनी केन्द्रीय बैंक यानी चीनी जन बैंक ने 26 तारीख की रात फिर एक बार ब्याज की कटौती करने की घोषणा की, इस के साथ रन मिन पी की डिपोजिट रिजर्व दर को भी घटाया गया है। वर्तमान बुरे वैश्विक अर्थतंत्र की पृष्ठभूमि के अन्तर्गत यह कार्यवाही लोगों के अनुमान में थी, लेकिन पिछले 11 सालों में इतने बड़े पैमाने की ब्याज कटौती की जाएगी, ये लोगों के अनुमान से बाहर रही। चीनी अर्थशास्त्रियों का मानना है कि यह चीन की केन्द्रीय बैंक के वित्तीय नीति को मूर्त रूप देने व मुद्रा में उचित ढील लाने की दिशा में उठाया गया एक ठोस कदम है। लीजिए पेश इस संबंध पर एक सामयिक वार्ता।

तीन महीनों में पांच बार ब्याज दर को कम करना चीन के पिछली अनेक मुद्रा नीतियों के समायोजन में बहुत ही कम देखने को मिलता है, 1.08 प्रतिशत ब्याज दर कटौती का पैमाना पिछले 11 सालों का सबसे ऊंचा रिकार्ड है।चीन स्थित एशिया विकास बैंक के प्रतिनिधि विभाग के वरिष्ठ अर्थशास्त्री च्वांग च्येन की दृष्टि में इतने बड़े पैमाने की ब्याज दर कटौती करना चीन सरकार के मुद्रा स्फिति से बचने व आर्थिक को गिरने से बचाने के निश्चय को प्रतिबिंबित करती है। उन्होने कहा (आवाज 1) मेरे ख्याल में ब्याज दर कटौती चीन के अर्थतंत्र की वृद्धि के दौर में तेजी से गिरने से सावधान रहकर लोगों के मन में मुद्रा स्फिति की चिन्ता को दूर कर बाजार की विश्वासनीयता को यथाशीघ्र स्थिर करना है, ताकि उचित आर्थिक वृद्धि दर को सुनिश्चत कर रोजगार के सुअवसर के मौके प्रदान किये जा सकें।

वैश्विक वित्तीय संकट के प्रभाव तहत चीन के अर्थतंत्र संचालन के दौर में अनिश्चित कारक बढ़ रहे हैं, चीनी सांख्यिकी ब्यूरो के आंकड़ो से पता चला है कि चीन की जी डी पी वृद्धि गति लगातार पांच तिमाही में नीचे रही है। चीन के उत्पाद निर्यात की मात्रा हालांकि अपनी वृद्धि रूझान कायम रखे हुई है, लेकिन वृद्धि गति उल्लेखनीय रूप से धीमी होती जा रही है, दक्षिण पूर्वी चीन के कुछ प्रांतो में कुछ उद्योगों के उत्पादन में कटौती आने के साथ मजदूरों की संख्या में कमी आने लगी है । इस के मददेनजर चीन की केन्द्रीय सरकार ने इस महीने के आरम्भ में अर्थतंत्र वृद्धि को प्रेरित करने की दस कार्यवाहियां लागू करना शुरू कर दिया है, इन में जन जीवन परियोजना, आधारभूत संस्थापन, पारिस्थितिकी पर्यावरण निर्माण व विपत्ति के बाद का पुनर्निर्माण आदि परियोजनाए शामिल हैं। इन कार्यवाहियों को बेखूबी अंजाम देने के लिए 2010 के अन्त तक 40 खरब य्वान धनराशि की जरूरत पड़ेगी।

2007 में चीन सरकार द्वारा मुद्रा नीति में सख्ती बरतने के बाद उद्योगों की पूंजी बचत में नियमित प्रवृत्ति उत्पन्न होने लगी। विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार के बड़े पैमाने की ब्याज कटौती से मुद्रा नीति उचित ढील दिशा में परिवर्तित होगी जिस से उद्योगों की पूंजी को नए निवेशित पक्षों की खोज करने के लिए प्रेरित किया जा सकेगा। चीनी जन यूनीवर्सिटी के वित्तीय व सिक्यूरीटी अनुसंधान प्रतिष्ठान के प्रोफेसर चाओ सी च्वीन ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा (आवाज 2) इस बार के ब्याज दर में कटौती वित्तीय नीति की एक मुश्त योजना है, इस का मकसद क्रेडिट संकट से उत्पन्न वित्तीय तूफान का विश्व के यथार्थ अर्थतंत्र व चीन के अर्थतंत्र पर पड़ने वाले कुप्रभाव का सामना करना है। हमने सकारत्मक वित्तीय नीति लागू करने की पेशकश की है, इस में ठोस रूप से 40 खरब य्वान की पूंजी को अर्थतंत्र को प्रेरित करने से संबंधित दस कार्यवाहियों को बखूबी अंजाम देना है।

उक्त दो विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि हालांकि इस बार की ब्याज कटौती दर का पैमाना काफी बड़ा है, लेकिन चीन सरकार ने शुरू से ही सकारत्मक वित्तीय नीति व मुद्रा नीति में उचित ढीलापन अपनाया है ,तो भी बाहरी अर्थतंत्र परिस्थिति अब भी गंभीर है, डिपोजिट रिजर्व दर व वित्तीय संस्थाओं की डिपोजिट रिजर्व दर में अब भी भारी स्थान मौजूद है। चीनी जन यूनीवर्सिटी के वित्तीय व सिक्यूरीटी अनुसंधान प्रतिष्ठान के प्रोफेसर चाओ सी च्वीन ने कहा (आवाज 3) गत वर्ष के आरम्भ में हमने सतत स्वस्थ मुद्रा नीति अपनाना शुरू किया, उस समय हमारी डिपोजिट रिजर्व दर 9 प्रतिशत के करीब ही थी, इस बार के समायोजन के बाद भी 14 प्रतिशत में कायम रही है, सतत व स्वस्थ मुद्रा नीति तहत जमा ब्याज दर 2 प्रतिशत से अधिक और ऋण दर चार प्रतिशत रही है, फिलहाल इस में 1.08 प्रतिशत की कमी करने के बाद भी सतत व स्वस्थ मुद्रा नीति के समय के स्तर पर कायम रही है। इस से कहा जा सकता है कि इस में अब भी भारी स्थान मौजूद है।

विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि हालांकि भारी पैमाने पर ब्याज दर की कटौती कर लेने पर भी मौदूदा वित्तीय संकट के प्रहार के आगे घरेलु उद्योगों के आगे फौरी सवाल उनकी वास्तविक जरूरत है न कि खपत। घरेलु नागरिकों की उपभोक्त का विस्तार करना , घरेलु जरूरत के विस्तार को मूल रूप से हल करना है।