2008-11-27 10:17:38

अफ़्रीकी कला चित्रकार वान ची य्वेन को आकर्षित करती है

श्री वान ची य्वेन ने कई बार अफ़्रीका की यात्रा की है। वर्ष 1995 में उन्होंने साथियों के साथ नाइजीरिया आदि देशों में चीनी शिल्पी वस्तुओं की प्रदर्शनी का विन्यास किया। यह उन की अफ़्रीका की दूसरी यात्रा थी। क्योंकि श्री वान एक चित्रकार हैं, इसलिये उन की एक आदत ही है कि चाहे वे कहीं भी जाएं, वे ज़रूर तैल चित्र का काग़ज व ब्रश साथ रखते हैं। इस बार प्रदर्शनी के विन्यास के अलावा उन्होंने कुछ गांवों में जाकर चित्र बनाये। आदिम व सरल अफ़्रीकी कला ने उन्हें गहरे रुप से प्रभावित किया। उन्होंने कहा कि, अफ़्रीका के प्रति मेरी भावना बहुत गहरी है। उस की कला बहुत आदिम व सरल है, और उस का रहस्य कलाकारों को आकर्षित कर रहा है।

इस के बाद श्री वान ची य्वेन को बार-बार अफ़्रीका की याद आती रही। वर्ष 2002 में चीनी वैदेशिक कला प्रदर्शन केंद्र ने दक्षिण अफ़्रीका में चीन के अनवरत विकास से जुड़ी एक प्रदर्शनी का प्रबंध किया। प्रदर्शनी के दौरान उन्होंने ज़ुलु जाति के कलाकारों की प्रस्तुति देखी। श्री वान ने कहा कि उन की प्रस्तुति बहुत जोशीली व जीवनप्रद है, जो मुझे बहुत अच्छा लगा। चीन वापस आने के बाद मैंने लगन से इस से संबंधित एक चित्र बनाया। वह वर्ष 2008 अफ्रीकी संस्कृति फ़ोकस प्रदर्शनी में पेश किया गया अफ़्रीका का दिवस नामक बड़ा तैल चित्र है। चित्र में अफ़्रीकी परंपरागत कपड़े पहने हुए महिलाएं, बच्चे व पुरूष इकट्ठे होकर खुशी से नाच रहे हैं। इस चित्र की लंबाई 7.2 मीटर है, और चौड़ाई 1.8 मीटर है। श्री वान ने इसे बनाने के लिये बहुत मेहनत की है। उन्होंने कहा कि, मुझे लगता है कि अगर मैं अफ़्रीका की आदिम भावना को दिखाना चाहता हूं, तो चित्र से जुड़े सभी काम मुझे अपने आप करने पड़ेंगे। उदाहरण के लिये चित्र का ढांचा बनाने के लिये मैं ने पेइचिंग के उपनगर से लकड़ी खरीदकर फिर आग में इसे काला करके यह ढांचा बनाया। वास्तव में यह एक सजावटी कला ही है। यह ढांचा चित्र के साथ जुड़कर अफ़्रीका की आदिम व सरल कला को प्रतिबिंबित कर सकता है।

इस प्रदर्शनी से पहले यह चित्र पेइचिंग की चीनी राष्ट्रीय कला गैलरी, फ़िलीपीन्स की राष्ट्रीय कला गैलरी में प्रदर्शित किया गया है। यह तीसरी प्रदर्शनी है, जो शनचेन व चीन-अफ़्रीका की विभिन्न जगतों के व्यक्तियों के सामने आयी है। कीनिया से आए संग्रहालय विशेषज्ञ श्री मार्टिन टिंदी के ख्याल से इस चित्र ने अफ़्रीकी जनता का आशावादी स्वभाव प्रतिबिंबित किया है। उन्होंने कहा कि, इस बड़े चित्र ने मुझ पर गहरी छाप छोड़ी है। अफ़्रीकी जनता नाचना पसंद करती है। गांव में जब फ़ुरसत हो, तो लोग अक्सर नाचते हैं। यह चित्र सचमुच बहुत अच्छा है। इसमें ऐसे ही जीवन का चित्रण किया गया है। आनंदमय समय में लोग दुख भूल सकते हैं, और आराम महसूस कर सकते हैं।

अफ़्रीका की चित्रकला व मूर्ति श्री वान ची य्वेन के पसंदीदा अध्ययन-मुद्दे हैं। उन्हें स्पष्ट याद है कि अफ़्रीका के कुछ कबीलों की रस्मों में उन्होंने मुखौटे देखे। कबीले में लोग रात को चुपके-चुपके मुखौटे बनाते हैं, और केवल रस्म शुरू होते ही वे इसे पहनते हैं। श्री वान ची य्वेन ने कहा कि विदेशी लोग पहली नज़र से तो इस मुखौटा कला, जो अफ़्रीकी जनता के विश्वास व इच्छा का प्रतिनिधि करती है, से प्रभावित होंगे। श्री वान ने कहा कि, आप सोच सकते हैं कि अफ़्रीकी लोग बड़े ध्यान से मुखौटा बनाते हैं, और कोई बुरा विचार इस में शामिल नहीं है। उन के विचार में मुखौटा बनाना पैसे कमाने के लिये नहीं है। यह केवल उन के दिल की इच्छा है। इसलिये आप इस में एक बहुत तेज़ व आदिम भावना महसूस कर सकते हैं। शायद इस भावना को आप स्पष्ट रूप से व्यक्त नहीं कर सकते, पर आप महसूस कर सकते हैं। इसलिये मुझे लगता है कि अफ़्रीका की कला सचमुच ही बहुत दिलचस्प है।

श्री वान ने कहा कि अफ़्रीका की यात्रा से उन की जिन्दगी समृद्ध हुई है। उन्हें आशा है कि भविष्य में ज्यादा से ज्यादा लोग उन के चित्र व प्रदर्शनी से दूर व सुन्दर अफ़्रीका महाद्वीप को समझ सकेंगे।(चंद्रिमा)