2008-11-26 10:20:16

महिलाओं पर हिंसा रोकने की संयुक्त राष्ट्र संघ का आवाहन

श्रोता दोस्तो, 25 नम्वबर को महिलाओं के खिलाफ हिंसा को मिटाने का अन्तरराष्ट्रीय दिवस था । उसी दिन, संयुक्त राष्ट्र संघ के अधिकारियों ने वक्तव्य जारी कर कहा कि वर्तमान में महिलाओं के खिलाफ हिंसक कार्यवाही विश्व में ऐसा अपराध है ,जिसे सब से कम सजा दी गयी है। उन्हों ने विभिन्न देशों से इस प्रकार की स्थिति मिटाने के लिए कदम उठाने की अपील की ,ताकि महिला व बालिका अधिकारों की रक्षा की जा सके। सुनिए विस्तार से।

संयुक्त राष्ट्र महा सचिव बान की मून ने 25 तारीख को बयान देते हुए कहा कि हालांकि महिलाओं पर हिंसा करने वाली कार्यवाही रोकने में अन्तरराष्ट्रीय समुदाय ने कुछ उपलब्धियां प्राप्त की हैं, फिर भी वस्तुगत स्थिति और अंतिम लक्ष्य के बीच काफी बड़ा अन्तर मौजूद है। श्री बान की मून ने कहा कि विभिन्न देशों को दोषियों के कानूनी सजा से छूटने की हालत समाप्त करने का और अधिक प्रयास करना चाहिए। इस के अलावा महिलाओं को नुकसान पहुंचाने वाली कार्यवाहियों की तरप आंखें मूंदने , उसे शह देने तथा उस की उपेक्षा करने के रवैये को समाप्त किया जाना चाहिए और पीड़ित महिलाओं को और ज्यादा सहायता की पूंजी दी जानी चाहिए ।

श्री बान की मून ने कहा कि उन्हों ने इस साल के मार्च में उन के द्वारा प्रवर्तित महिलाओं को आघात पहुंचाने वाली हिंसक कार्यवाही को संयुक्त रूप से रोकने वाला विश्वव्यापी अभियान चलाना जारी रखने की ठान ली है, ताकि इस संदर्भ में जन सचेतता व राजनीतिक इच्छा उन्नत की जाए , संसाधन और अनुकूल वातावरण बढ़ाया जाए और वर्तमान नीतियों को अमल में लाया जाए।

संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष और संयुक्त राष्ट्र महिला कोष के अधिकारियों ने भी उसी दिन वक्तव्य जारी कर विभिन्न देशों की सरकारों से अपील की कि वे महिलाओं के खिलाफ हिंसक कार्यवाही को बन्द कराने के लिए आवश्यक प्रयास करें । संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष के कार्यकारी अध्यक्ष सुश्री ओबाईड ने अपने वक्तव्य में कहा कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा का विरोध करने का संघर्ष एक बड़ा समकालीन कार्य है ,उस का महत्व वर्तमान के मौसम परिवर्तन तथा विश्वव्यापी वित्तीय संकट के समान बड़ा है। उन्हों ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ हिंसक कार्यवाही वर्तमान दुनिया में सब से व्यापक अपराधिक हरकत है , जिसे फिर सब से कम दंडित किया जाता है। यह मानव स्वास्थ्य और सुख के लिए भारी खतरा है।

संयुक्त महिला विकास कोष के कार्यकारी अध्यक्ष सुश्री अलबेर्डी ने कहा कि इस साल दो अहम वारदात विश्व भर में महिलाओं पर हिंसा रोकने के लिए निर्णायिक महत्व रखते हैं। एक है इस साल मार्च में संयुक्त राष्ट्र महा सचिव बान कीमून द्वारा प्रवर्तित महिलाओं के खिलाफ हिंसा को संयुक्त रूप से रोकने का विश्वव्यापी अभियान , इस अभियान के लिए निर्धारित अंतिम समय सीमा यानी 2015 ठीक संयुक्त राष्ट्र सहस्राब्दी विकास लक्ष्य की समय सीमा बराबर हो गयी है ,जबकि सहस्राब्दी विकास लक्ष्य में भी नारी पुरूष लिंग समानता का विषय शामिल है। उन्हों ने कहा कि यह अभियान हरेक देश , हरेक सरकार , हरेक सामाजिक संगठन तथा पूरे अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के लिए एक चुनौति है ,जिसे पूरा करने के लिए हरेक लोगों के क्रियाशील होने की आवश्यकता है। सभी लोगों को मानवाधिकार का उल्लंघन करने और फिर व्यापक रूप से मौजूद होने वाली इस प्रकार की कार्यवाही को रोकने की कोशिश करना चाहिए। दूसरा वारदात है इस साल जून में सुरक्षा परिषद में पारित एक युगांतरकारी प्रस्ताव । इस प्रस्ताव का मानना है कि सशस्त्र मुठभेड़ ग्रस्त क्षेत्रों में हुए हिंसा देश और अन्तरराष्ट्रीय शांति व सुरक्षा के प्रति खतरा है, इन क्षेत्रों के संबंधित पक्षों को कारगर कदम उठा कर महिलाओं व बालिकाओं की रक्षा करनी चाहिए। उन्हों ने बलपूर्वक कहा कि अब सभी प्राप्त शक्तियों के इस्तेमाल से विभिन्न देशों की सरकारों से जारी किए गए संबंधित कानून कायदे का पालन करने से आग्रह करना चाहिए , तथ्यों से जाहिर है कि अधिकाधिक सरकारों ने ऐसे कानून बनाये है , किन्तु इन के कार्यान्वयन की स्थिति संतोषजनक नहीं है।

उसी दिन, संयुक्त राष्ट्र महिला विकास कोष ने महिलाओं पर हिंसा का विरोध करने वाली इंटरनेट पर हस्ताक्षर गतिविधि की ,विश्व भर के 50 लाख से ज्यादा लोगों ने वेबसाइट पर इस हस्ताक्षर गतिविधि में भाग लिया और महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसक कार्यवाहियों के प्रति अपना विरोध तथा महिलाओं पर हिंसा विरोध का अपना संकल्य व्यक्त कर दिया ।

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