तिब्बत में लगातार सुधार व खुलेपन के चलते सांगमू गांव वासी उप नगर कृषि के विकास में जुटे हुए हैं । वर्ष 2002 में गांव वासियों की औसतन आय 2500 य्वान थी, यह संख्या इस वर्ष तिब्बती किसान व चरवाहों की औसतन आय से 430 य्वान अधिक है । ल्हासा की एक पर्यटन कंपनी ने सांगमू गांव का मूल्य पहचाना और गांव की तत्कालीन मुखिया बाजू के साथ सहयोग करने की वार्ता करने आई । इस की चर्चा में तिब्बती बंधु बाजू ने कहा:
"वर्ष 2002 में च्येन नामक एक मैनेजर हमारे गांव आया और उन्होंने हमारे गांव के साथ सहयोग करने की बात की । यानी कि गांव में सांगमू जातीय रीति रिवाज़ मिल्कियत कंपनी की स्थापना की जाएगी। गांव वासियों ने इस पर विचार-विमर्श किया और माना कि यह अच्छी बात है, जिस से गाववासियों की आय में वृद्धि हो सकती है।"
तिब्बती बंधु बाजू ने कहा कि उस समय पर्यटन कंपनी सांगमू गांव वासियों के लिए अपरिचित थी । तत्काल में सिर्फ़ 30 युवा लोगों के नाम दर्ज़ किए गए । पर्यटन कंपनी की स्थापना के बाद उसी साल सांगमू गांव ने 2600 से ज्यादा देशी-विदेशी पर्यटकों का सत्कार किया । इस के बाद साल दर साल यह संख्या लगातार बढ़ रही है । वर्ष 2007 में हमारे गांव ने 30 हज़ार पर्यटकों का सत्कार किया । गांव वासियों की मासिक आय प्रारंभिक समय के 300 य्वान से बढ़कर 800 य्वान तक पहुंच गई ।
सांगमू गांव में पर्यटन उद्योग के विकास के वक्त गांव वासी अपनी खेती का काम भी कर सकते हैं । इस तरह 70 परिवारों ने इस में भाग लिया है । उन में से कुछ ने पारिवारिक होटल खोला है, कुछ लोग अपने लोकगीत व नृत्य से पर्यटकों की सेवा करते हैं । तिब्बती बंधुओं की मेहमाननवाजी और जोशपूर्ण भावना ने पर्यटकों पर गहरी छाप छोड़ी है। पश्चिमी चीन के कानसू प्रांत से आए पर्यटक श्री ली श्योन ने कहा:
"हम प्रथम बार तिब्बत आए । पहले हमारी कल्पना में यहां गरीबी और पिछड़ापन था । लेकिन वास्तविक स्थिति बिलकुल अलग है । तिब्बती लोग गाने-नाचने में निपुण हैं , और वे खुशी के साथ जीवन बिताते हैं। यहां हम सच्चे तिब्बत की जानकारी प्राप्त करते हैं ।"
सत्तर वर्षीय तानजङ गोंगका सांगमू गांव में रहती हैं । पर्यटन सेवा में भाग लेने और पर्यटकों व बाह्य दुनिया के साथ संपर्क करने के दौरान उस का विचार और जीवन तरीका लगातार बदल रहा है । तिब्बती बंधु तानजङ गोंगका ने कहा:
"पर्यटकों के आने के बाद हमारे गांवों के घर पहले से कहीं साफ़ रहने लगे हैं ।लोगों का स्वास्थ्य भी अच्छा हो गया है।सार गांव बहुत स्वच्छ है और बाह्य दुनिया से आए पर्यटकों के साथ संपर्क करना भी आसान हो गया है।"
तानजङ गोंगका का कथन सही है । कई साल पूर्व सांगमू गांव वासियों को बाह्य दुनिया के लागों के साथ संपर्क करने में झिझक थी । लेकिन आज वे खुशी के साथ बाहर से आए पर्यटकों के गाईड बनते हैं । तानजङ गोंगका ने कहा कि पर्यटन विकास से उस के जीवन में भारी परिवर्तन आया है।
आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2007 में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में पर्यटन सेवा में भाग लेने वाले किसानों व चरवाहों की संख्या तीस हज़ार से अधिक थी । कुल ग्रामीण पर्यटन आय 22 करोड़ य्वान को पार कर गई । पर्यटन उद्योग में भाग लेने वाले किसानों व चरवाहों की औसतन शुद्ध आय 6300 य्वान तक पहुंच गई, यह सारे प्रदेश में किसानों व चरवाहों की औसतन शुद्ध आय का दोगुना है । तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के पर्यटन ब्यूरो के उप निदेशक श्री तानोर ने जानकारी देते हुए कहा कि तिब्बत में देहाती पर्यटन का तिब्बत के पर्यटन विकास के चलते और विस्तार होगा । उन का कहना है:
"इधर के पांच वर्षों में पर्यटन का विकास तेज़ी से हुआ है । तिब्बती लोगों ने पर्यटन सेवा में भागीदारी की अच्छाइयों को देखा है। इस तरह उन के जीवन का तरीका, उत्पादन तरीका और विचारधारा सब बदल गए हैं। उन्होंने कदम ब कदम पर्यटन सेवा , पारिस्थितिकी पर्यावरण संरक्षण से संबंधित कारोबारों में भागीदारी से ज्यादा आय प्राप्त की है, जिस से उन के जीवन में और सुधार हुआ है ।"(श्याओ थांग)