युननान प्रान्त में तांबे के खनन का बहुत तेजी से विकास हुआ।
सम्राट छ्येनलुङ के शासनकाल में इस प्रान्त में तांबे की तीन सौ से भी ज्यादा खाने हो गई थीं।
चीनीमिट्टी के बरतन बनाने के उद्योग के प्रमुख केन्द्र चिङतेचन में पोर्सिलेन मजदूरों की संख्या एक लाख से अधिक थी। पोतनिर्माण ,शक्कर , कागज, तम्बाकू और रंग रोगन उद्योगों ने भी पर्याप्त प्रगति की।
सम्राट खाङशी , युङचङ और छ्येनलुङ के शासनकाल में बहुत से शहर पहले से और समृद्ध हो गए। उस समय तक पेइचिङ चीन का व्यापार केन्द्र बन चुका था।
विभिन्न प्रान्तों में व्यापारियों द्वारा अपने अपने संघ कायम कर लिए गए थे और बड़े बडे शहरों में इन संघों के दफ्तर भी खोले जा चुके थे।
पण्य अर्थव्यवस्था के विकास के साथ साथ नवजात पूंजीवाद भी धीरे धीरे किन्तु अनवरत रूप से विकसित होने लगा था। दस्तकारी उद्योग में, पुनःविक्रय के उद्देश्य से माल खरीदने की गतिविधियां बहुत बढ गई थीं।
फलस्वरूप, पूंजीवादी स्वरूप वाले दस्तकारी कारखानों की संख्या में भी वृद्धि हुई।
छिङ राजवंश के प्रारम्भिक काल में ऐसे मुद्रागृह पहली बार कायम किए गए जो अपने ग्राहकों को पैसा जमा करने व निकालने और ऋण लेने की सुविधा प्रदान करते थे। लेकिन इस सब के बावजूद सामन्ती व्यवस्था पूंजीवाद के विकास को रोके हुए थी। छिङ सरकार अपनी वाणिज्य विरोधी नीति पर हठपूर्वक कायम थी।
उस ने बारम्बार आदेश जारी कर नागरिकों द्वारा खान खुदाई पर प्रतिबन्ध लगा दिया था। और तो और , उस ने निजी कारखानों में करघों की संख्या भी सीमित कर दी थी।