2008-11-21 10:21:15

यूरोपीय संघ की कृषि नीति में बडा बदलाव आया

यूरोपीय संघ के 27 देशों के कृषि मंत्रियों ने 20 तारीख को ब्रुस्सेल्स में 18 घंटे की वार्ता करने के बाद कृषि उत्पाद के भत्ते के सुधार पर एक संधि संपन्न की ।इस संधि में कृषि भत्ता घटाने और दूध उत्पादन के कोटे बढाने पर मतैक्य प्राप्त किया ।यह वर्ष 2003 से यूरोपीय संघ द्वारा कृषि नीति का सुधार शुरू करने से प्राप्त सब से महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जाती है ।

समान कृषि नीति यूरोपीय संघ के अंदर लागू हुई प्रथम समान नीति है ,जो यूरोपीय संघ के औद्योगिक एकीकरण की ओर उठाया गया पहला कदम है ।इस नीति का मुख्य विषय यूरोपीय संघ के कृषि उत्पादों के दामों का समर्थन करना और व्यापारिक संरक्षण लागू करना है ।वर्तमान में यूरोपीय संघ के कृषि उत्पादनों के भत्ते और निर्यात को उत्साहित करने वाले खर्च 42 अरब यूरो से ज्यादा है ,जो यूरोपीय संघ के बजट का आधा भाग है ।इस कृषि नीति से यूरोपीय संघ के सदस्य देशों के कृषि विकास और किसानों के हितों को सुरक्षा मिली ,लेकिन अनेक सवाल भी पैदा हुए ।उदाहरण के लिए यूरोपीय संघ के विस्तार से यूरोपीय संघ का वित्तीय बोझ निरंतर बढता रहा ।कृषि को ज्यादा समर्थन देने से यूरोपीय संघ की कृषि की प्रतिस्पर्द्धात्मक शक्ति गिर गयी ।कृषि भत्ते की नीति विश्व व्यापार संगठन की दोहा दौर की वार्ता में एक बडी बाधा बनी ,जिस की अंतरराष्ट्रीय समुदाय खासकर विकासशील देशों ने कडी आलोचना की ।वर्ष 2003 में यूरोपीय संघ ने कृषि नीति का सुधार शुरू किया ।लेकिन विभिन्न सदस्यों के मतभेद से वार्ता बहुत कठिन रहा ।

नयी संधि के मुताबिक यूरोपीय संघ दो मुख्य पहलुओं में सुधार करेगा ।एक ,प्रतिसाल 3लाख से ज्यादा यूरो भत्ते मिलने वाले बडे फार्मों का भत्ता 10 प्रतिशथ तक घटाया जाएगा। भत्ते की रकम निश्चित करने के वक्त पर्यावरण संरक्षण ,पशु कल्याण व खाद्यान्न सुरक्षा का ख्याल रखा जाएगा ।इस कदम से यूरोपीय संघ के किसानों को कम भत्ता मिलेगा और कुछ पर्यावरण संरक्षण परियोजनाओं को ज्यादा वित्तीय सहायता प्राप्त होगी ।दूसरा , यूरोपीय संघ दूध उत्पादन के कोटा कदम ब कदम बढाएगा और मार्च 2015 से पहले कोटा व्यवस्था को रद्द करेगा ।

नयी संधि में कहा गया कि कृषि नीति का सुधार वर्ष 2009 व 2013 के बीच लागू होगा ।यूरोपीय संघ की कृषि व ग्रामीण विकास कमिशिंनर सुश्री मारिएन फिचर बोएल ने इस संधि को रियायत का उपज बताया ।उन्होंने कहा कि हर सदस्य ने बलिदान देने के साथ कुछ न कुछ प्राप्त किया ।इस संधि को पाना आसान नहीं है ।वह यूरोपीय संघ के भविष्य के लिए लाभदायक होगा ।

क्योंकि विभिन्न सदस्यों देशों के विभिन्न हित हैं ,इस संधि पर उन की टिप्पणी अलग अलग है ।फ्रांस व स्पेन जैसे यूरेपीय संघ के बडे कृषि देशों ने इस संधि पर संतोष व्यक्त किया ,क्योंकि कृषि भत्ते की कुल रकम कम नहीं हुई ।इटली ने वार्ता में दूध उत्पादन का कोटा बढाने का अधिकार प्राप्त किया ।उसे एक बडा विजयता माना जाता है ।जर्मनी इस संधि पर नाखुश तो जरूर है ,क्योंकि उस के पास बडे फार्मों की संख्या सब से अधिक है और अगले साल से 24करोड यूरो का भत्ता खो जाएगा ।लाटोविया जैसे नये सदस्य निराश नजर आये ,क्योंकि उन को पूराने सदस्यों के साथ समान बर्ताव प्राप्त नहीं हुआ ।ब्रिटिश व उत्तर यूरोप के कुछ देशों ने इस संधि पर असंतोष जताया ,क्योंकि इन देशों में कृषि उद्योग कम है और वे वास्तव में दूसरे देशों का भत्ता दे रहे हैं ।

स्थानीय विश्लेषकों के विचार में यूरोपीय संघ की कृषि नीति के सुधार से एक तरफ यूरोपीय संघ का वित्तीय दबाव कम होगा और कृषि उत्पाद की प्रतिस्पर्द्धात्मक शक्ति मजबूत होगी ,दूसरी तरफ यूरोपीय संघ की कृषि व व्यापार नीति पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय का दबाव भी कम होगा ।लेकिन यह सुधार युरोपीय संघ के 27 सदस्य देशों के व्यापक विकानों के प्रत्यक्ष हितों से जुडा है ।वर्तमान वित्तीय संकट में इसे लागू करना समतल नहीं होगा ।