तीस वर्षों के विकास के दौरान चीनी जनता ने कम पुस्तकों के इतिहास से बिदा ली है। और वर्तमान में लोग पुस्तकों के सागर में तैर सकते हैं, और प्रकाशन उद्योग के विकास का लाभ उठा सकते हैं। इसे चीन में रह रहे विदेशी लोग भी महसूस कर सकते हैं। रूसी सुश्री आन्ना पिछली शताब्दी के 9वें दशक के आरंभ में चीन आयीं, अभी तक वे चीन में दस वर्ष से ज्यादा समय बिता चुकी हैं । उन्होंने कहा कि, सुधार व खुलेपन के विकास के साथ-साथ चीन में विदेशी भाषा का प्रकाशन भी बढ़ रहा है। खास तौर पर हाल के कई वर्षों में। मेरी याद में पिछली शताब्दी के 9वें दशक में चीन की पुस्तक की दुकानों में न सिर्फ़《युद्ध व शांति》नामक रूसी प्रसिद्ध पुस्तक खरीदी जा सकती थीं, बल्कि बहुत समकालीन लेखकों की पुस्तकें भी खरीदी जा सकती थीं। और अब पेइचिंग के वांग फ़ू चिन व शी तैन की पुस्तक इमारतों में रूसी भाषा की पुस्तकें मिल सकती हैं। खास तौर पर आलंपिक के दौरान हम हर दिन रूसी अखबार व पत्रिका खरीद सके। चीन में रूसी लोग रूस में प्रकाशित होने वाले सारे अखबार बुक सकते हैं, कोई प्रतिबंध नहीं है।
इन तीस वर्षों में चीन में प्रकाशन-स्वामित्व के आधार पर प्रेस व प्रकाशन की कानूनी व्यवस्था का ढांचा भी आरंभिक तौर पर स्थापित किया गया है। केवल वर्ष 2007 में चीन की विभिन्न जगहों के प्रकाशन-स्वामित्व प्रशासनिक प्रबंध संस्थाओं ने 7 करोड़ विभिन्न तरीके की चोरी-वस्तुओं को जब्त किया, उन में चोरी-पुस्तकों की संख्या एक करोड़ से ज्यादा है।
श्री चेन य्वेन चे चीन के एक प्रसिद्ध लेखक हैं। उन के द्वारा रची गयी बाल-कहानियां 20 वर्ष से लोकप्रिय हैं। उन के ख्याल से प्रकाशन-स्वामित्व की रक्षा से लेखकों के पुस्तकें लिखने की सक्रियता बढ़ी है। उन्होंने कहा कि, मैं ने वर्ष 1981 में अपनी पहली पुस्तक प्रकाशित की। उस समय चोरी की बात नहीं थी। बाद में प्रकाशन में चोर बाजारी बढ़ी। मुझे लगता है कि वर्तमान वातावरण अच्छे से अच्छा हो रहा है। प्रकाशन-स्वामित्व की रक्षा की जा सकती है, और लेखकों की पुस्तक लिखने की सक्रियता भी बढ़ रही है।
तीस वर्षों में चीन के प्रकाशन उद्योग में सुधार व खुलेपन की नीति जारी है। वर्ष 1992 में चीन ने बेर्ने संधि व विश्व प्रकाशन-स्वामित्व संधि में भाग लिया। वर्ष 2003 में चीन ने विश्व व्यापार संगठन में भाग लेने के वक्त दिये गये वचन का पालन किया, प्रकाशन व बिक्री बाजार को खोला , और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाया। जर्मनी की फ़्रेंकफर्ट पुस्तक प्रदर्शनी, अमरीका की न्यूयार्क पुस्तक प्रदर्शनी, ब्रिटेन की लंदन पुस्तक प्रदर्शनी, जापान की टोक्यो पुस्तक प्रदर्शनी व कोरिया गणराज्य की सिओल पुस्तक प्रदर्शनी में चीन एक अपरिहार्य महत्वपूर्ण सदस्य बन गया है।
कुछ समय पहले संपन्न 15वें पेइचिंग अंतर्राष्ट्रीय पुस्तक मेले में चीनी राष्ट्रीय अखिल प्रेस व प्रकाशन प्रशासन के उपप्रधान श्री येन श्याओ होंग ने कहा कि चीन लगातार देशी-विदेशी सहयोग के लिये अच्छा वातावरण बनाएगा। उन्होंने कहा कि, भविष्य में चीन सरकार लगातार नीति पर बल देकर देशी-विदेशी प्रकाशन उपक्रमों के साथ सहयोग का दायरा, क्षेत्र व तरीके को विस्तृत करने के लिए कोशिश करेगी, और ज्यादा से ज्यादा श्रेष्ठ सांस्कृतिक उत्पाद रचने को प्रोत्साहन देगी। साथ ही चीन सरकार लगातार प्रकाशन में चोरबाजारी की रोकथाम करने की शक्ति को बढ़ाकर देशी-विदेशी सहयोग के लिये अच्छा वातावरण बनाएगी।(चंद्रिमा)