2008-11-17 10:37:05

इराकी सरकार ने अमरीका के साथ समझौते के मसौदे को मंजूरी दी

इराकी सरकार ने 16 तारीख को अमरीका के साथ सेना हटाने से जुडे समझौते के मसौदे को मंजूरी दी और इसे इराकी राष्ट्रीय असेंबली के समक्ष प्रस्तुत किया ।इस समझौते के अनुसार इराक में तैनात अमरीकी सेना 30 जून 2009 से पहले इराक के शहरों ,कस्बों व गांवों से अपने सैन्य अड्डों में वापल लौटेगी और 31 दिसंबर 2011 से पहले इराक से हट जाएगी ।इस के अलावा समझौते में निर्धारित किया गया कि अमरीकी सेना इराक की भूमि का उपयोग कर इराक के पडोसी देश पर हमला नहीं करेगी ।विश्लेषकों के विचार में इस विवादास्पद समझौते को इराक सरकार की पुष्टि इसलिए मिली कि बुश प्रशासन ने अपने कार्यकाल की समाप्ति से पहले इराक सवाल पर एक जवाब देने के लिए रियायत देनी पडी है ।

संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रदत्त अधिकार के मुताबिक चालू साल की 31 दिसंबर तक इराक स्थित अमरीकी सेना को पूरी तरह इराक से हटना चाहिए था ।लेकिन अमरीकी सेना इराक में बनी रहनी चाहती है ।इसलिए इस मार्च से अमरीका और इराक ने दो देशों के दीर्घकालिक संबंधों पर वार्ता शुरू की ।अमरीका की आशा है कि इस वार्ता से दो देश दीर्घकालिक सुरक्षा समझौता संपन्न करेंगे ,जिस से इराक में अमरीकी सेना लंबे समय तक तैनात होगी ।

वार्ता के दौरान दो मुख्य मुद्दे विवादग्रस्त रहे ।एक ,अमरीका कब इराक से सेना हटाएगहा। दूसरा ,अमरीकी सेना और अमरीकी ठेकेदारों को उन्मुक्ति अधिकार होगा या नहीं होगा ।पहले मुद्दे पर अमरीका सेना हटाने की ठोस समयसूची से इंकार करता रहा ।अमरीका का कहना है कि इराक की सुरक्षा स्थिति के मुताबिक फैसला किया जाना चाहिए ।लेकिन इराक का अनुरोध है कि अमरीका को सेना हटाने की ठोस समयसूची निर्धारित करनी चाहिए ।अमरीकी सेना के उन्मुक्ति अधिकार के बारे में अमरीकी रक्षा मंत्री रोबर्ट गेज ने बताया कि इराक स्थित अमरीकी सैनिकों को पर्याप्त सुरक्षा प्राप्त होनी चाहिए ।पर इराक ने जोर लगाया कि इस समझौते से इराक की प्रभुत्तव और जनता के हितों पर कोई हानि नहीं पहुंचनी चाहिए ।

स्थानीय विश्लेषकों के विचार में इस समझौते पर बुश सरकार ने अंत में कुछ महत्वपूर्ण सवालों पर रियायतें की हैं ।इराकी सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस समझौते के मसौदे में तीन मुख्य मुद्दों के विषयों में संशोधन किया गया है ।पहला ,इस समझौते का नाम बदला गया है ।शुरू में इस समझौते का नाम था अमरीका इराक सुरक्षा समझौता ।अब इस का नाम अमरीकी सेना का हटाव समझौता परिवर्तित हुआ ।दूसरा ,समझौते में इराक से अमरीकी सेना का हटने की ठोस समयसूची निर्धारित की गयी ।नये मसौदे के अनुसार इराक़ में स्थित अमरीकी सैनिक संयुक्त राष्ट्र की अनुमति की समयसीमा इस साल 31 दिसंबर को ख़त्म होने के बाद और तीन साल बने रहेंगे यानी 31 दिसंबर 2011 से पहले अमरीकी सेना इराक से हटेगी ।तीसरा ,समझौते के मसौदे में यह विषय शामिल किया गया कि अमरीकी सेना को इराक की भूमि का प्रयोग कर इराक के पडोसी देशों पर हमला नहीं करना चाहिए ।

कहा जा सकता है कि समझौते के मसौदे में हुए संशोधन अमरका द्वार भारी रियायत देने का परिणाम है ।सब से पहले ,इस समझौते के मसौदे में अमरीकी सेना का हटने का ठोस समय तय किया गया है ।अमरीका वास्तव में इराक में लंबे समय तक सेना तैनात करना चाहता है ताकि वहां से सीरिया व ईरान को धमकी दी जा सके ।अगर दोनों पक्षों ने अंत में यह समझौता संपन्न किया ,तो अमरीका की यह आकांक्षा विफल होगी ।इस के अलावा इराक में अमरीकी सैनिकों व अमरीकी ठेकेदारों के उन्मुक्ति अधिकार पर अमरीका ने बडी रियायत भी की ।इस समझौते के मसौदे के अनुसार इराक को लडाई न होने की स्थिति में अपराध करने वाले अमरीकी सैनिकों पर मुकदमा चलाने का अधिकार होगा ।इराक दो विशेष समितियों का गठन कर भावी तीन साल में अमरीकी सैनिकों के संभावित अपराधों का अध्ययन करेंगी और इन अपराधों की सुनवाई व सजा देने के लिए संबंधित कानून तैयार करेंगी ।

अमरीका की बडी रियायतों के कारण इराकी सरकार ने इस समझौते का मसौदा पारित किया ।इराकी राष्ट्रीय असेंबली व इराकी राष्ट्रपति समिति द्वारा इसे मंजूरी देने के बाद यह समझौता प्रभावी होगा। अब इराक के कुर्द समुदाय ने इस समझौते का समर्थन व्यक्त किया और सुननी समुदाय ने इस पर आपत्ति भी नहीं जतायी ।सिर्फ अमरीका विरोधी शिया समुदाय के धार्मिक नेता अल सादर और उस के राजननीतिक दल ने इस समझौते का विरोध व्यक्ति किया और अमरीका से जल्दी से इराक से सेना हटाने की मांग की ।