जी 20 का वित्तीय बाजार व विश्व आर्थिक शिखर सम्मेलन 15 नवम्बर को अमरीका की राजधानी वाशिंगटन में हुआ । चीनी राष्ट्राध्यक्ष हू चिन थाओ ने मौजूदा शिखर सम्मेलन में सहयोग के जरिये मुश्किलों का समान रूप से समाधान करो शीर्षक भाषण में वर्तमान वित्तीय संकट पैदा होने के कारणों का विश्लेषण किया और वित्तीय संकट के मुकाबले और अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय व्यवस्था के सुधार जैसे अंतर्राष्ट्रीस समुदाय के चर्चित सवालों के बारे में चीन के रुखों पर प्रकाश डाला ।
अमरीकी कर्ज संकट से उत्पन्न वित्तीय संकट सारी दुनिया को अपने लपेट में ले रहा है , उस का प्रभावित क्षेत्र , गहराई और तीव्रता पिछली सदी के तीस वाले दशक के बाद कम देखने को मिला है । संकट पैदा करने के कारणों को लेकर विभिन्न पक्षों को अपने आप को आलोचना करना चाहिये । अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिये फौरा कार्य यह है कि बाजार पर विश्वास बहाल करने और वित्तीय संकट के विस्तार पर रोक लगाने के लिये तमाम आवश्यक कदम उठाना जारी ऱखा जाये । प्रमुख विकसित आर्थिक समुदायों को अपने दायित्व व कर्तव्य निभाकर अपनी व वैश्विक आर्थिक वित्तीय स्थिरता व विकास की समग्र आर्थिक नीतियां लागू करनी और अपने व अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय बाजार व निवेशकों के हितों को बनाये रखना चाहिये । साथ ही विभिन्न देशों को समग्र आर्थिक नीति के समन्वय और आर्थिक वित्तीय सूचनाओं के आदान प्रदान तथा अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय नियमन व निगरानी को बढ़ावा देना चाहिये , ताकि विभिन्न देशों व अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय बाजार को स्थिर बनाने के लिये आवश्यक स्थिति तैयार की जा सके ।
श्री हू चिन थाओ ने अपने भाषण में जोर देकर कहा कि आर्थिक विकास दर को बनाये ऱखना वित्तीय संकट का मुकाबला करने का अहम आधार है । विभिन्न देशों के लिये यह जरूरी है कि आवश्यक वित्तीय व मैद्रिक हथकंडों के माध्यम से सकारात्मक रूप से आर्थिक वृद्धि को बढ़ाया जाये और वैश्विक आर्थिक मंदी के उत्पन्न होने से बचा जाये । इस के अतिरिक्त विभिन्न पक्षों को अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा , खाद्यान्न बाजार को स्थिर बनाने और सट्टेबाजी पर रोक लगाने के लिये कदम उठाना ही होगा , ताकि विश्व आर्थिक विकास के लिये अनुकूल स्थिति तैयार की जाये । अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को खास तौर से नाना प्रकार के व्यापार व पूंजी निवेश संरक्षणवाद की रोकथाम कर दोहा राऊंट वार्ता में प्रगति प्राप्त करने के लिये प्रयास करना चाहिये ।
ध्यानाकर्षक अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय व्यवस्था के सुधार की चर्चा में श्री हू चिन थाओ ने न्यायपूर्ण , युक्तिसंगत और सहशील व व्यवस्थित अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय व्यवस्था के विकास की नयी दिशा पर बल दिया , साथ ही अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय व्यवस्था के सुधार का उल्लेख करते हुए महत्वपूर्ण चार सत्रीय सुधार कदम भी पेश किया ।
सर्वप्रथम वित्तीय बाजार व उस के उत्पादनों की पारदर्शिता को बढ़ाने के लिये यह जरूरी है कि अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय नियमन व निगरानी सहयोग मजबूत कर अंतर्राष्ट्रीय निगरानी व प्रबंधन व्यवस्था की स्थापना की जाए , संस्था कार्यवाहियों के मापदंड निर्धारित किये जाये और भूमंडलीय पूंजी के बहाव की निगरानी पर जोर दिया जाए । दूसरी तरफ अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संगठनों के सुधार को बढ़ावा दिया जाये और अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संगठनों में विकासशील देशों के प्रतिनिधित्व व बोलने के अधिकार को मजबूत बनाया जाये , तीसरी तरफ क्षेत्रीय वित्तीय सहयोग को प्रोत्साहन देकर क्षेत्रीय पूंजी की बचाव व्यवस्था की भूमिका निभायी जाये , अंत में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा व्यवस्था के बहुध्रुवीकरण को सतत रूप से सुदृढ़ किया जाये ।
श्री हू चिन थाओ ने जोर देकर कहा है कि आर्थिक भूमंडलीकरण के गहन विकास की स्थिति में विश्व के विभिन्न देशों के वित्तीय संम्पर्क दिन ब दिन एक दूसरे से जुडे हुए हैं । इस वित्तीय संकट से विकसित देशों के लिये ही नहीं , बल्कि विशाल विकासशील देशों पर भी भिन्न हद तक प्रभाव पड़ गया है . अब यह प्रभाव लगातार विस्तृत होने के दौर में है । उन्हों ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को , खासकर विकसित देशों को विकासशाल देशों , विशेषकर अफ्रीकी देशों को मुश्किलों को दूर करने में सहायता देनी चाहिय़े । इस के अलावा विकसित देशों को विकासमान देशों को दिये गये अपने सहायता वचन का पालन कर अति अविकसित देशों पर कर्ज को कम करना या मुफ्त करना चाहिये ।
श्री हू चिन थाओ ने अपने भाषण में चीनी आर्थिक विकास और वित्तीय संकट के बाद चीन द्वारा उठाये गये सिलसिलेवार आर्थिक विकास कमदों से भी अवगत कराया ।