2008-11-14 11:21:55

चीन आतकवाद के साथ देश , राष्ट्र व धर्म को जोड़ने के खिलाफ है

दोस्तो , संयुक्त राष्ट्र संघ स्थित चीनी स्थायी प्रतिनिधि राजदूत चांग य्ये स्वी ने 13 नवम्बर को संयुक्त राष्ट्र महा सभा में भाषण देते हुए कहा कि चीन आतंकवाद को कुछ विशेष निश्चित देश , राष्ट्र और धर्म के साथ जोड़ने का विरोध करता है और इसलामवाद और नव फासिस्टवाद विरोधी जैसी उग्रवादी विचारधारा की बहाली पर चिन्तित भी है । 

राजदूत चांग य्ये स्वी उसी दिन चीन सरकार की ओर से धार्मिक व सांस्कृतिक वार्तालाप , समझ व सहयोग को शांतिपूर्वक बढ़ावा देने के बारे में एक उच्च स्तरीय सम्मेलन में शरीक हुए । उन्हों ने अपने भाषण में कहा कि ऐसी पृष्ठभूमि में , जबकि वर्तमान पृथ्वीव्यापी सवाल जटिल रूप ले रहा है , विभिन्न देशों का भाग्य अभूतपूर्व रूप से एक दूसरे से घनिष्ट जुड़ा हुआ है । इस के साथ ही नस्लवाद व धार्मिक भेदभाव से उत्पन्न भिन्न संभ्यताओं के बीच टक्करें व मेल भी दिन ब दिन भीषण रूप ले रहा है । 

हालांकि धर्मो व संभ्यताओं का उद्गम व विकास अलग अलग दौर से शुरू होता है , पर उन का महत्व बराबर है , इस में कोई नीचा ऊंचा फर्क नहीं पड़ता । तमाम धर्म व संभ्यताएं मानव जाति की बुद्धि का निचोड़ है , जिस से मानव जाति के सामाजिक प्रगति व विकास के लिये योगदान किया गया है , उन्हें बराबर समादर मिलना ही होगा ।

यह उच्च स्तरीय सम्मेलन सऊदी अरब के शाह अब्दुल्लाह के प्रस्ताव पर 12 नवम्बर को न्युयार्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में आयोजित हुआ । अमरीकी राष्ट्रपति बुश , ब्रिटिश चांसलर ब्रोन , पाकिस्तानी राष्ट्रपति जरदारी समेत 70 से अधिक शास्नाध्यक्षों व उच्च स्तरीय अधिकारियों ने इस दो दिवसीय सम्मेलन में भाग लिया और भिन्न धर्मों व संस्कृतियों के बीच एक दूसरे से मेल खाने व सम्पर्क करने और विश्व शांति को बढावा देने जैसे मुद्दों पर विचार विमर्श किया ।

राजदूत चांग स्वी य्ये ने कहा कि चीन भिन्नताओं का समादर कर शांतिपूर्वक मुठभेड़ों का समाधान करने का पक्षधर है । मुठभेड़ आम तौर पर भिन्नता से उत्पन्न होती है । चीन हमेशा से उग्रवाद , धार्मिक व नस्लवादी कारणों से पैदा भेदभाव , बहिष्कार व असहिष्णुता का विरोध करता है। उन्हों ने कहा कि विभिन्न देशों को युवा पीढ़ियों को सहन , समझदारी व समादर जैसी शांतिपूर्ण सांस्कृतिक विचारधारा का प्रशिक्षण देना चाहिये , ताकि वे धार्मिक द्वेष व भेदभाव का विरोध करने में सक्षम हो सके ।

चीन इस बात का पक्ष लेता है कि शिक्षा के माध्यम से युवाओं को सही संभ्यतापूर्ण दृष्टिकोण रखने में मदद दी जाये , युवा लोग मानवीय समाज का भविष्य है , विभिन्न देशों पर यह अपरिहार्य दायित्व है कि दीर्घकालिक व सार्थक कदमों उठाकर युवाओं को सहन , समझदारी व समादर जैसी शांतिमय सांस्कृतिक विचारधारा की शिक्षा दी जाये , ताकि वे धार्मिक द्वेष व भेदभाव का विरोध करने में समर्थ हो सके ।

राजदूत चांग स्वी य्ये ने अपने भाषण में इसी प्रक्रिया में मीडिया की विशेष भूमिका का विशेष जिक्र करते हुए कहा कि विभिन्न देशों के समाचार माध्यमों को सजगता से सामाजिक दायित्व निभाकर विश्व भर में शांतिमय संस्कृति का प्रचार प्रसार करने और धार्मिक व सांस्कृतिक मुकाबले से बचाने की कोशिश करना चाहिये । 

चीन का विचार है कि सभी समाचार माध्यमों को सजगता से सामाजिक दायित्व निभाकर शांतिमय संस्कृति के प्रचारक की हैसियत से सामाजिक सहन , समझदारी व सामजस्य को बढावा देना चाहिये ।

राजदूत चांग स्वी य्ये ने अपने भाषण के अंत में कहा कि लम्बे अर्से में चीन सरकार बराबर धार्मिक व सांस्कृतिक वार्तालाप को बढ़ावा देने के लिये अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के सभी प्रयासों का समर्थन करती है और उन में सक्रिय रूप से भाग भी लेती है । 2007 में तीसरे एशिया यूरोप सम्मेलन के भिन्न विश्वास वार्तालाप चीन में हुआ और इसी सदर्भ में नानचिंग घोषणा पत्र भी पारित हुआ , चीन सरकार ने संभ्यतापूर्ण वार्तालाप से जुड़े संयुक्त राष्ट्र के अनेक प्रस्तावों व व्यवस्थाओं में रचनात्मक रूप से भी भाग लिया है । राजदूत चांग स्वी य्ये को उम्मीद है कि ये प्रस्ताव व व्यवस्थाएं सचे मायने में एक दूसरे के साथ सम्पर्क रखने व सहयोग करने का पुल बन जाय़ेंगी , ताकि मानवीय समाज के समान विकास और सुंदर सामजस्यपूर्ण विश्व की स्थापना को वढावा देने में योगदान किया जा सके ।