2008-11-13 14:05:18

कोरिया गणराज्य व जनवादी कोरिया का संबंध फिर परीक्षा में

जनवादी कोरिया ने 12 नवम्बर को दक्षिण उत्तर संबंध से जुड़े दो कदम उठाने की घोषणा की । जनवादी कोरिया और कोरिया गणराज्य की जनरल स्तरीय वार्ता के जनवादी कोरिया के प्रतिनिधि मंडल के नेता किम योंग इल ने विधिवत रूप से कोरिया गणराज्य की सेना को सूचित किया है कि एक दिसम्बर से भारी वास्तविक कदम उठाया जायेगा और कोरियाई प्रायद्वीप के फौजी विभाजन रेखा से गुजरने वाले सभी थलीय मार्गों को बंद कर यातायात पर प्रतिबंध लगाया जायेगा । उसी दिन जनवादी कोरियाई रेडक्रोस सोसाइटी ने घोषित किया है पानमनजोम स्थित रेडक्रोस सोसाइटी का कार्यालय बंद होगा और वहां से जनवादी कोरिया के कर्मचारियों को हटाया जायेगा तथा पानमनजोम की सभी टेलिफोन लाइनों को काटा जायेगा । जनवादी कोरिया ने चेतावनी देते हुए कहा कि कोरिया गणराज्य के अधिकारियों को यह समझ लेना चाहिये कि वर्तमान दोनों देशों का संबंध पूरी तरह टूटने की दुविधा में पड़ गया है । घटनाक्रम से कोरियाई प्रायद्वीप के दक्षिण व उत्तर संबंध को फिर एक बार परीक्षा का सामना करना पड़ेगा ।

जनवादी कोरिया व कोरिया गणराज्य का दक्षिण व उत्तर थलीय मार्ग दोनों देशों के अर्थतंत्र व व्यक्तियों के आदान प्रदान का अहम मार्ग ही है । जब जनवादी कोरिया इस मार्ग को काटेगा , तो प्रत्यक्ष रूप से गेम्गांग पर्वत पर्यटन और कोरियाई कैसोंग औद्योगिक उद्यान क्षेत्र की इन दोनों आर्थिक सहयोग परियोजनाओं तथा दोनों देशों के बीच रिश्तेदारों के मिलन समेत सभी मानवीय सहयोग परियोजनाओं को प्रभावित किया जायेगा , जिस से कोरियाई प्रायद्वीप के दक्षिण व उत्तर दोनों पक्षों ने पिछले दस सालों में मुश्किल से जो उपलब्धियां हासिल हुई हैं , वे सब की सब धूल में मिल जायेंगी । पर जनवादी कोरिया ने आखिरकार उक्त दो कदम उठाने का फैसला क्यों किया ?

गत फरवरी में ले मिंग बाक ने सत्ता पर आने के बाद जनवादी कोरिया के साथ अपनी नीति में फेर बदल किया और दोनों पक्षों के आर्थिक सहयोग को जनवादी कोरिया के नाभिकीय रद्द करने के सवाल के साथ जोड़ दिया है । श्री ले मिंग बाक ने कहा कि जनवादी कोरिया व कोरिया गणराज्य के बीच संपन्न सिलसिलेवार समझौतों , जिन में कोरिया गणराज्य के पूर्व राष्ट्रपतियों किम दाय जुंग व रोह मू ह्यू व जनवादी कोरिया के सर्वोच्च नेता किम जोंग इल के बीच हस्ताक्षरित दक्षिण उत्तर संयुक्त घोषणा पत्र और दक्षिण उत्तर संबंध का विकास व शांतिपूर्ण समृद्धि घोषणा पत्र शामिल हैं ,पर फिर से विचार किया जायेगा । ये दोनों घोषणा पत्र इन दोनों देशों के संबंध का कार्यक्रम दस्तावेज हैं और दोनों देशों के द्विपक्षीय विकास , आदान प्रदान और सहयोग का आधार भी हैं , जबकि ले मिंग बाक सरकार उक्त दोनों दस्तावेजों पर नकारात्मक रूख सुरक्षित रखना चाहती है , जिस से जनवादी कोरिया में जबरदस्त रोष भड़क उठा और अतर सरकारी वार्ता भी टूट गयी । चालू माह के शुरू में कोरिया गणराज्य प्रथम बार संयुक्त प्रस्तावित देश की हैसियत से 63 वीं संयुक्त राष्ट्र महा सभा को जनवादी कोरिया का मानवाधिकार प्रस्ताव पेश किया और इस प्रस्ताव में उक्त दोनों घोषणा पत्रों के दोनों देशों के नेताओं के समर्थन से जुड़े विषय को काटा गया । जनवादी कोरिया का मानना है कि यह हरकत जनवादी कोरिया के मर्यादा व व्यवस्था के खिलाफ खुली चुनौति और गम्भीर उत्तेजना है । विशेषज्ञों का विचार है कि जनवादी कोरिया का यह कार्यवाही करने का मकसद कोरिया गणराज्य पर दबाव डालना है , ताकि कोरिया गणराज्य विवश होकर जनवादी कोरिया के साथ कड़ी नीति छोड़ सके ।

जनवादी कोरिया की सेना के 12 नवम्बर के रुख के प्रति कोरिया गणराज्य के एकीकरण मंत्रालय के प्रवक्ता ने उसी दिन जारी अपनी टिप्पणी में खेद व्यक्त की और आशा जतायी कि कोरिया गणराज्य व जनवादी कोरिया इस बात को लेकर अंतर सरकारी वार्ता करेंगे ।

लोकमत का ध्यान इस बात पर भी गया है कि हालांकि जनवादी कोरिया ने 12 नवम्बर को काफी कड़े शब्द कह डाले हैं , पर दोनों पक्षों के बीच वार्ता करने की गुजाइश फिर भी छोड़ी गयी है । जनवादी कोरियाई सेना ने यातायात पर कड़ा प्रतिबंध लगाने को कहा है , पर उस ने यातायात को निषेध करने की बात नहीं कही , जहां तक कदम उठाने की तिथि का ताल्लुक है , उस ने तुरंत ही उठाने के बजाये मात्र एक दिसम्बर से शुरू करने को कहा । और तो और जनवादी कोरियाई सेना ने उसी दिन घोषित कदमों में किसी ठोस मुद्दे का उल्लेख भी नहीं किया । कोरिया गणराज्य इस बात पर क्या प्रतिक्रिया करेगा और जनवादी कोरिया क्या जवाब देगा , अब देखना बाकी है ।

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