चीन की आर्थिक शक्ति दिन-ब-दिन बढ़ने के साथ-साथ सरकार के नेतृत्व वाले सांस्कृतिक आदान-प्रदान व गतिविधियों में भी बड़ा विकास हुआ है। चीन विश्व के विभिन्न देशों के साथ विस्तृत व गहरा सांस्कृतिक आदान-प्रदान कर रहा है। यह स्थिति बदल गयी है कि सुधार व खुलेपन नीति लागू की जाने के आरंभ में चीन केवल एशिया, अफ़्रीका व लेटिन अमरीका आदि परंपरागत मैत्रिपूर्ण देशों के साथ ही आदान-प्रदान कर रहा था।
《शहो》फ़्रांसीसी आघात-वाद्य कलाकार व चीनी कूचेन कलाकार द्वारा एक साथ प्रदर्शित किया गया एक संगीत है। पश्चिम के आघात-वाद्य तथा चीन के पुरातन वाद्य फीफा व कूचेन आदि का प्रयोग करके चीन के परंपरागत रीति-रिवाज़"शहो"को पेश किया गया है। वर्ष 2003 से वर्ष 2005 तक चीन व फ़्रांस ने एक दूसरे देश में संस्कृति वर्ष का आयोजन किया। इस के बाद सांस्कृतिक क्षेत्र में दोनों देशों का आदान-प्रदान दिन-ब-दिन बढ रहा है। इस संगीत की प्रस्तुति आदान-प्रदान का परिणाम ही है। चीनी दर्शकों ने कहा कि इस तरीके से वे संस्कृति की एकीकृत सुन्दरता को महसूस कर सकते हैं। एक महिला दर्शक ने कहा यह नया तरीका बहुत अच्छा है। इस में चीन की परंपरागत संस्कृति ही नहीं आधुनिक विषय भी शामिल हैं। हमने पहली बार इस तरह का संगीत सुना है। बहुत अच्छा लगा, और प्रभावित हुए।
और एक पुरुष दर्शक ने कहा कि, मुझे लगता है कि उन का प्रदर्शन बहुत सृजनात्मक है, खास तौर पर वाद्य के प्रयोग करने व संगीत रचने में। क्योंकि आम लोगों के विचार में यह एक बहुत मुश्किल बात है कि चीन के पुरातन वाद्य व विदेश के आघात-वाद्य एक साथ बजाए जा सकें।
चीन-फ्रांस संस्कृति वर्ष के अलावा वर्ष 2006 में चीन-रूस वर्ष की गतिविधियां भी आयोजित की गयीं। और वर्ष 2007 में चीन ने क्रमशः जापान व कोरिया गणराज्य के साथ चीन-जापान संस्कृति व खेल आदान-प्रदान वर्ष व चीन-कोरिया गणराज्य आदान-प्रदान वर्ष का आयोजन किया।(चंद्रिमा)