2008-11-11 11:13:58

वित्तीय संकट के मुकाबले के लिये चीन व जर्मनी के बीच आर्थिक सहयोग मजबूत

चीनी व जमर्न आर्थिक यहयोग संयुक्त कमेटी का 14 वां सम्मेलन 10 नवम्बर को बर्लिन में उद्घाटित हुआ , चीनी वाणिज्य मंत्री छन तह मिंग और जर्मन आर्थिक व टेक मंत्री मिचेल गलोस ने संयुक्त रूप से उक्त सम्मेलन की अध्यक्षता की । सम्मेलन में दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय आर्थिक व व्यापारिक सहयोग मजबूत बनाने और भूमंडलीय वित्तीय संकट का समान मुकाबला करने पर महत्वपूर्ण मतैक्य प्राप्त कर लिया । 

चीनी जर्मन आर्थिक सहयोग संयुक्त कमेटी चीनी जर्मन आर्थिक सहयोग समझौते के आधार पर 1979 में स्थापित अंतर सरकारी अहम द्विपक्षीय आर्थिक व व्यापारिक सहयोग व सलाह मशविरा व्यवस्था है , यह कमेटी आम तौर पर हर आधे साल में बारी बारी से एक दूसरे के यहां सम्मेलन बुलाती है । दोनों देशों के सरकारों व उद्यमों के कोई सौ प्रतिनिधि मौजूदा सम्मेलन में उपस्थित हुए । दोनों पक्षों ने सेवा व्यवसाय बाजार के विस्तार , बौद्धिक संपदा अधिकार संरक्षण , तकनीकी सहयोग की मजबूती , सरकारी खरीददारी और विश्व व्यापार संगठन की दोहा राऊंट वार्ता जैसे समान दिलचस्पी वाले विषयों पर रायों का आदान प्रदान किया और सिलसिलेवार मतैक्य प्राप्त किये । चीनी वाणिज्य मंत्री छन तह मिंग ने कहा सब से महत्वपूर्ण मतैक्यों में से एक यह है कि दोनों पक्षों का समान विचार है कि चीन व जर्मनी को भूमंडलीय वित्तीय संकट का समान मुकाबला करना और दृढ़ता से आर्थिक व व्यापारिक सहयोग मजबूत बनाना चाहिये , ताकि अपने आर्थिक विकास को बढ़ावा देने व विश्व आर्थिक स्थिरता की रक्षा करने के लिये योगदान किया जा सके ।

मौजूदा सम्मेलन के आयोजन से पहले चीन ने समग्र आर्थिक नियंत्रण नीति में बड़ा फेर बदल किया है । चीन ने सक्रिय वित्तीय नीति और अपेक्षाकृत ढीली मुद्रा नीति अपनाने और आगामी दो वर्षों में 40 खरब य्वान राशि अनुमोदित करने का फैसला कर लिया है , ताकि घरेलू मांगों व स्थिर आर्थिक विकास को बढावा दिया जा सके । जर्मन आर्थिक व तकनीक मंत्री गलोस इस फैसले की तारीफ करते हुए कहा कि चीनी अर्थतंत्र का अनवरत विकास जर्मनी के आर्थिक हितों से मेल खाता है । 

हम चीन की समग्र आर्थिक नियंत्रण नीति के प्रशंसक हैं , यह विश्व अर्थतंत्र का दायित्व निभाने वाले देश ने कदम उठा लिया है । चीन सार्थक कार्यवाही करने में सक्षम है और उस के पास पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडारण है । हमारा विचार है कि वर्तमान मौके का फायदा उठाकर अपने देश के अर्थतंत्र का विकास करने पर जोर देना सही है , यह विश्व अर्थतंत्र व चीनी जनता के लिये फायदेमंद है । जर्मन आर्थिक विकास के लिये एक मौका भी है ।

वित्तीय संकट के मुकाबले के लिये जर्मनी सरकार ने सिलसिलेवार संबंधित कदम भी उठाये हैं । चीनी वाणिज्य मंत्री छन तह मिंग का मानना है कि भिन्न भिन्न देश की राष्ट्रीय स्थिति अलग अलग होती है , इसलिये वित्तीय संकट का मुकाबला करने का तौर तरीका भी एक जैसा नहीं है । चीन के कदम अपने देश की राष्ट्रीय स्थिति के अनुरूप हैं । 

वित्तीय संकट के मुकाबले के लिये हम ने कर्ज और घाटे जैसे माध्यमों के जरिये आधारभूत संस्थापनों के निर्माण में ज्यादा राशि लगाने का जो फैसला किया है , वह चीनी राष्ट्रीय स्थिति पर आश्रित हुआ है । इस का अहम मकसद पूंजी को आखिरकार आय और उपभोग के रूप में बदलना है ।

चीन व जर्मनी विश्व अर्थतंत्र में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं । साथ ही जर्मनी यूरोप में चीन का सब से बड़ा निवेशक देश और तकनीकी व्यापारिक देश ही है । जबकि चीन यूरोपीय संघ को छोड़कर जर्मनी का दूसरा बड़ा व्यापार साझेदार है । चालू वर्ष में चीनी व जर्मन द्विपक्षीय व्यापार एक खरब अमरीकी डालर से अधिक पहुंचने की उम्मीद है , जो गत वर्ष में चीन के साथ ब्रिटेन , फ्रांस व इटली के कुल व्यापार के बराबर है । श्री छन तह मिंग ने कहा  दोनों पक्षों ने निवेश के क्षेत्र में एक दूसरे के समर्थन पर कायम रहने और सरकारी समन्वय को बढाने पर सकारात्मक विचार विमर्श किया है । हमें उम्मीद है जर्मनी चीनी वाणिज्य व्यक्तियों को वीजा देने की सुविधा उपलब्ध करायेगा । विश्वास है कि जर्मनी यूरोपीय संघ में चीन के साथ व्यापार संरक्षणवाद कम करने और यूरोपीय संघ में चीन के संपूर्ण वाजार आर्थिक स्थान को मान्यता देने आदि मामलों पर चीन को सक्रिय समर्थन देगा । हम जर्मन उद्यमों को चीन में पूंजी निवेश करने के लिये ज्यादा सुविधाजनक सुविधाएं उपलब्ध कराने को तैयार भी हैं ।