2008-11-10 17:07:55

केन्द्र के संबंधित विभाग ने दलाई लामा के निजी प्रतिनिधियों के साथ बातचीत के बारे में परिचय दिया

चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की केन्द्रीय कमेटी के संयुक्त मोर्चा विभाग के उप स्थाई मंत्री श्री जु वीछ्वुन ने 10 तारीख को पेइचिंग में कुछ दिन पहले दलाई लामा के निजी प्रतिनिधियों के साथ संपर्क व बातचीत के बारे में जानकारी दी । श्री जु वीछ्वुन ने कहा कि बातचीत में दोनों पक्षों के बीच भारी मतभेद मौजूद है और दलाई पक्ष ने अपना अलगाववादी रूख नहीं छोड़ा । श्री जु ने कहा कि मातृभूमि का एकीकरण, प्रादेशिक अखंडता तथा राष्ट्र का मान मर्यादा चीनी जनता के सर्वोच्च हित हैं ,इन सवालों पर केन्द्र हरगिज रियायत नहीं देगा । दलाई लामा के देशभक्ति के रास्ते पर लौटने के लिए द्वार हमेशा खुला रहता है, लेकिन तिब्बत स्वाधीनता, अर्ध स्वाधीनता और छद्म स्वाधीनता के लिए द्वार पहले नहीं खुला था, अब भी नहीं खुला और भविष्य में भी कतई नहीं खुलेगा।

31 अक्तूबर से 5 नवम्बर तक दलाई लामा के निजी प्रतिनिधि लोडी ग्यारी और केलसांग ग्यालत्सेन आदि पांच लोग चीन लौटे। चीन के संबंधित केन्द्रीय विभाग ने उन के साथ संपर्क किया और बातचीत की, जो 2002 से लेकर अब तक दोनों पक्षों के बीच 9 वां संपर्क था और इस साल का तीसरा संपर्क ।

चीनी राज्य परिषद के प्रेस कार्यालय ने 10 नवम्बर को पेइचिंग में न्यूज ब्रिफिंग बुलायी और कम्युनिस्ट पार्टी की केन्द्रीय कमेटी के संयुक्त मोर्चा विभाग के उप स्थाई मंत्री जु वीछ्वुन ने ब्रिफीग में इस संपर्क की हालत बतायी। उन्हों ने कहा कि चीनी जन राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन की राष्ट्रीय कमेटी के उपाध्यक्ष, केन्द्रीय संयुक्त मोर्चा के मंत्री श्री तु छिंगलिन ने लोडी ग्यारी आदि से मुलाकात की और तीन सूत्रीय रायें पेश कीं। श्री जु वीछ्वुन ने कहाः

पहली, चीन में किसी भी संगठन और व्यक्ति के लिए संविधान को अपनी कार्यवाही का मापदंड मानना लाजिमी है । चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व, चीनी विशेषता वाले समाजवलाद और जातीय क्षेत्र की स्वायत्त व्यवस्था पर कायम रहना संविधान में स्पष्ट शब्दों में निर्धारित हुआ है , किसी भी प्रकार की संविधान का उल्लंघन करने और उपरोक्त तीन सूत्रीय सिद्धांत को नकारने की कार्यवाही कतई अस्वीकार्य है । दूसरी, सभी जातीय स्वायत्त क्षेत्र चीन लोक गणराज्य के अभिन्न भाग हैं। तीसरी, दलाई लामा के प्रति केन्द्र की नीति हमेशा बराबर, स्पष्ट है, दलाई लामा के साथ संपर्क व बातचीत के लिए केन्द्र का रवैया संजीदा है । कुंजीभूत सवाल यह है कि दलाई लामा को अपने राजनीतिक रूख व अपनी कार्यवाहियों पर पूरी तरह आत्म आलोचना करना और मूलतः बदलना चाहिए, उन्हें अपनी कहनी और करनी को एक जैसा करना चाहिए, केवल इसी प्रकार से केन्द्र के साथ संबंधों को सुधारने के लिए अनुकूल स्थिति तैयार किया जा सके।

श्री जु वीछ्वुन ने कहा कि इस बार के संपर्क में दोनों पक्षों के बीच भारी मतभेद मौजूद है। खास कर दलाई लामा के निजी प्रतिनिधियों ने केन्द्र को तथाकथिक समूची तिब्बती लोगों को सच्चा स्वशासन दिलाने का मेमोरेंडम पेश किया, जिस में तिब्बत स्वाधीनता के शब्द कूट कूट कर भरे गए हैं।

इस मेमोरेंडम में दावा किया जाता है कि तिब्बत निर्वासित सरकार व्यापक तिब्बतियों के हितों और तिब्बतियों का प्रतिनिधित्व करती है । इस पर श्री जु वीछ्वुन ने कहा कि तिब्बत की विभिन्न जातियों की जनता का प्रतिनिधित्व करने वाला चीनी केन्द्रीय सरकार और केन्द्रीय सरकार नित्त तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की जन सरकार है। तथाकथित तिब्बत निर्वासित सरकार चंद कुछ अलगाववादियों द्वारा 1959 में सशस्त्र विद्रोह करने में हार खाने के बाद विदेश भाग जाने के बाद उत्पन्न एक उपज है, जिस ने दसियों सालों से अलगाववादी कार्यवाहियां की हैं, उस का अस्तित्व अवैध है।

श्री जु वीछ्वुन ने कहा कि हम केवल लोडी ग्यारी आदि को दलाई लामा के निजी प्रतिनिधि के रूप में बातचीत करने के लिए स्वीकार करते है, बातचीत का मुद्दा महज यह है कि दलाई लामा पूरी तरह अलगाववादी रूख और हरकत त्याग दें, और केन्द्र व समूची चीनी जनता से माफी प्राप्त कर अपने भविष्य के सवाल को हल करें । हम उन के साथ तथाकथित तिब्बत सवाल पर विचार विमर्श कतई नहीं करेंगे ।

मेमोरेंडम में तमाम तिब्बतियों के स्वशासन क्षेत्रों को एक स्वायत्त क्षेत्र में एक कर देने की पेशकल भी की गयी है और तथाकथित सच्चे स्वशासन की मांग की गयी है। इस पर श्री जु वीछ्वुन ने कहा कि तिब्बती जातीय स्वायत्त क्षेत्र की स्थापना और क्षेत्रीय बंटवारा संविधान के मुताबिक ,इतिहास के पूर्ण सम्मान और राजनीतिक ,आर्थिक व वास्तविक स्थियों के समग्र ख्याल के आधार पर निश्चित किया गया है। तथाकथित महा तिब्बत क्षेत्र इतिहास में नहीं था, और इस का प्रासंगिक आधार भी नहीं है। दलाई लामा के इस प्रस्ताव का मकसद इस बात को मानने से इनकार करना है कि तिब्बत प्राचीन काल से ही चीन का एक भाग रहा है। वे उच्च स्वशासन के बहाने से तिब्बत के वर्तमान सामाजिक व राजनीतिक व्यवस्था को नकारते है और उस का तख्ता पलटना चाहते हैं और तिब्बत में राजनीतिक व धार्मिक मिश्रण वाली सामंती भूदास वाली व्यवस्था पुनः स्थापित करना चाहते हैं। श्री जु विछ्युन ने कहाः

मेमोरेंडम में प्रस्तुत स्च्चे स्वशासन वाली विभिन्न धाराओं ने केन्द्र के एकीकृत नेतृत्व और जातीय क्षेत्रीय स्वशासन को एक दूसरे से विरोध में कर दिया और केन्द्र सरकार की सत्ता को ठुकराने, सीमित करने और कमजोर करने की कुचेष्टा की और चीनी राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा के सर्वोच्च कानून निर्माण अधिकार को नकारने की कोशिश की और इस अलगाववादी गुट के जरिए संविधान को संशोधित करने की कुचेष्टा भी की, ताकि उसे स्वाधीन देश के बराबर अधिकार प्राप्त हो सके।

श्री जु विछ्वुन ने कहा कि केन्द्र का रूख हमेशा बराबर रहता है , यानी दलाई लामा के लिए केवल यह करना है कि वे सच्चे मायने में मातृभूमि का विभाजन करने का रूख छोड़ दें , संबंधित विभाजन कार्यवाही बन्द करें। खुले तौर पर तिब्बत को चीन का एक अभिन्न भाग मान लें और थाईवान को चीन का अभिन्न अंग मान लें और चीन लोक गणराज्य की सरकार को चीन की एकमात्र कानूनी सरकार के रूप में मानें , तभी केन्द्र उन के साथ उन के भविष्य पर संपर्क और बातचीत कर सकेगा।