2008-11-07 12:39:52

छिङ राजवंश की सामाजिक अर्थव्यवस्था

छिङ राजवंश के अधिकांश सर्वोच्च अफसर मानचू जाति के कुलीन लोग थे, किन्तु हान जाति और अन्य अल्पसंख्यक जातियों के उच्च तबके के कुछ लोग या नेता भी सर्वोच्च पदों पर नियुक्त किए जाते थे।

छिङ सेना आठ बैनर सेना ( मानचू सेना) और हरी बटालियन सेना ( हान मूल की सेना) से बनी थी।

आठ बैनर सेना की संख्या दो लाख बीस हजार थी, तथा उसे पेइचिङ व उस के आसपास के इलाकों में और देश के महत्वपूर्ण रणनीतिक स्थानों पर तैनात किया गया था।

हरी बटालियन सेना की संख्या करीब दस लाख थी। इसे हरी बटालियन सेना का नाम इसलिए दिया गया था क्योंकि वह अपने चिन्ह के तौर पर हरी झण्डियों का इस्तेमाल करती थी। इसके सैनिकों को विभिन्न प्रान्तीय गवर्नरों का इस्तेमाल करती थी।

इस के सैनिकों को विभिन्न प्रान्तीय गवर्नरों या गवर्नर जनरलों के अधीन तैनात किया गया था।

छिङ सरकार ने मिङ राजवंश का अनुकरण करते हुए 1646 छिङ विधि संहिता बनाई । बाद में व्याख्या के रूप में इसमें कुछ दृष्टांत जोड़ कर नए ग्रन्थ का नाम विस्तृत छिङ विधि संहिता रख दिया गया।

छिङ सरकार ने अपने शासन को मजबूत बनाने के उद्देश्य से सामाजिक अन्तरविरोधों की तीव्रता को कम करने और आर्थिक उत्पादन को बहाल करने की नीति अपनाई।

सम्राट खाङशी ने एक आदेश जारी कर जमींदारों की ऐसी तमाम गतिविधियों पर रोक लगा दी जिनके जरिए वे किसानों को बेदखल कर अपनी जमीन बढाते रहते थे।

सम्राट खाङशी ने यह ऐलान भी किया कि "आबादी में चाहे जितनी वृद्धि हो, पहले से निर्धारित व्यक्ति कर कभी नहीं बढाया जाएगा।" साथ ही, व्यक्ति कर को भूमि कर में मिला देने की व्यवस्था लागू की गई, जिस के अन्तर्गत कर का निर्धारण भूमि के परिमाण के आधार पर होता था।

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