2008-11-05 16:00:39

चीन विश्व प्रतिस्पर्द्धात्मक खेल में एक महत्वपूर्ण शक्ति बन गया

इस अगस्त में पेइचिंग में समाप्त ऑलंपिक पर चीनी खेल प्रतिनिधि मंडल ने 51 स्वर्ण ,21 रजत और 28 कांस्य पदकों से स्वर्ण पदक तालिका में पहला स्थान प्राप्त किया ।सुधार व खुलापन के तीस साल से चीन विश्व प्रतिस्पर्द्धात्मक खेल में एक महत्वपूर्ण शक्ति बन गया है ।

वर्ष 1978 में चीन ने सुधार व खुलापन की नीति लागू किया ।वर्ष 1979 में चीन अंतरराष्ट्रीय ऑलंपिक समिति में फिर शा्मिल हुआ ।वर्ष 1984 में चीन ने अमरीका के लोस एंजेलिस में आयोजित ऑलंपिक में भाग लिया और 15 स्वर्ण पदक जीते ।इस के बाद चीन ने लगातार सोल ऑलंपिक ,बासेलोना ऑलंपिक ,अटलानटा ऑलंपिक ,सिडनी ऑलंपिक और एथेंस ऑलंपिक में भाग लिया । वर्ष 1988 सोल ऑलंपिक में चीन ने सिर्फ 5 स्वर्ण पदक जीते ।लेकिन इस के बाद ऑलंपिक खेल समारोहों में चीन के स्वर्ण पदकों की संख्या बढती रही और अंत में पेइचिंग ऑलंपिक पर चीन ने पदक तालिका में पहला स्थान प्राप्त किया ।पेइचिंग खेल विश्वविद्यालय के ऑलंपिक अनुसंधान केंद्र के अनुसंधानकर्ता डाक्टर चांग मो मो ने कहा कि प्रतिस्पर्द्धात्मक खेल की शक्ति आंकने का एक अहम सूचकांक बढत हासिल हुए खेलों की संख्या है ।पेइचिंग ऑलंपिक पर चीनी खिलाडियों ने अनेक इवेंटों में अभूतपूर्व प्रगति हासिल की ।सुश्री चांग ने बताया ,पेइचिंग ऑंलपिक पर चीनी खेल प्रतिनिधि मंडल ने पहली बार सभी 28 खेलों की स्पर्द्धा में भाग लिया और 17 खेलों में कुल 51 स्वर्ण पदक जीते ।नये चीन ने कुल सात ऑलंपिकों में भाग लिया ।पेइचिंग ऑंलपिक पर चीनी खेल प्रतिनिधि मंडलों के स्वर्ण पदकों का फैलाव सब से व्यापक है ।

चीनी राजकीय खेल ब्यूरो के निदेशक ल्यू पंग ने कहा कि पेइचिंग ऑलंपिक पर चीनी खेल प्रतिनिधि मंडल के शानदार प्रदर्शन के पीछे अपनी कोशिशों के अलावा अंतरराष्ट्रीय खेल जगत के उत्साहपूर्ण समर्थन व मदद से अलग नहीं हो सकता ।तीस साल के सुधार व खुलापन के बाद चीनी खेल बाकी विश्व के साथ सम्मिलित हुआ ।चीनी खिलाडियों ने अन्य देशों व क्षेत्रों से बहुत चीजें सीखीं और बडी मदद भी मिली ,जिस से उन का स्तर तेजी से उन्नत हुआ और आत्मविश्वास को बडा बढावा मिला ।श्री ल्यू पंग ने कहा कि चीन की विभिन्न खेल टीमों में अनेक देशों व क्षेत्रों के कोच हैं ।उन की मदद से चीन ने कुछ इवेंटों में उल्लेखनीय प्रगति प्राप्त की ।उन्होंने कहा ,चीनी ऑलंपिक खेल प्रतिनिधि मंडल में कुल 38 विदेशई कोच हैं ।उन्होंने चीनी प्रतिस्पर्द्धात्मक खेल के विकास के लिए बडी कोशिश की और सकारात्मक योगदान दिया ।इस के साथ उन्होंने अपने देशी की जनता की मैत्री भी लायी ।हम उन को हार्दिक धन्यवाद देते हैं ।

16 दिन के पेइचिंग ऑलंपिक से विश्व ने चीनी प्रतिस्पर्द्धात्मक खेल की शक्ति का तेज विकास देखा ।सुधार व खुलापन के तीस साल से चीन अब विश्व खेल मंच में एक महत्पूर्ण शक्ति बन चुका है ।पेइचिंग खेल विश्वविद्यालय के ऑलंपिक अनुसंधान केंद्र के डाक्टर चांग मो मो ने कहा कि चीनी खेल कार्य के तेज विकास के अनेक कारण हैं ,लेकिन सुधार व खुलापन के बाद चीन की समग्र राष्ट्रीय शक्ति की उन्नति इस में से बुनियादी कारण है ।उन्होंने कहा ,चीन में एक कहावत है कि जब देश समृद्ध हो जाता है ,तब खेल समृद्ध होगा ।कहा जा सकता है कि चीन की राजनीतिक स्थिरता ,तेज आर्थिक विकास ,समाज का सामंजश्यपूर्ण विकास खासकर पिछले तीस सालों में चीन के सुधार व खुलापन की बडी उपलब्धि चीनी खेल कार्य के तेज विकास का बुनियाद आधार व प्रेरक शक्ति है ।

चीनी प्रतिस्पर्द्धात्मक खेल स्तर की उन्नत के साथ साथ इस के बारे में चीनी लोगों के विचार में नया परिवर्तन भी आया ।पेइचिंग ऑलंपिक पर चीनी दर्शकों ने न सिर्फ चीनी खिलाडियों बल्कि विदेशी खिलाडियों के शानदार प्रदर्शन पर तालियां बजायीं ।मैदान पर चीनी खिलाडियों की हार व गलती पर चीनी दर्शकों ने पहले से अधिक खुला व क्षमाशील रूख अपनाया ।पेइचिंग खेल विश्वविद्यालय के ऑलंपिक अनुसंधान केंद्र की निदेशक सुश्री हवांग या लिंग ने कहा कि इन सकारात्मक परिवर्तनों ने चीनी खेल विकास के लिए बहत्तर वातावरण तैयार किया ।इस के अलावा वे तमाम समाज की प्रगति का प्रतिबिंब भी है ।उन्होंने कहा ,आज के खेल विकास के दौरान हालांकि हम अकसर कहता है कि स्पर्द्धा प्रतिस्पर्द्धात्मक खेल का सोल है ।क्योंकि ऑलंपिक का नारा अधिक तेज ,अधिक ऊंचे और अधिक मजबूत है । लेकिन प्रतिस्पर्द्धा के परिणाम ,अप्रत्याशित घटना खासकर मेजबान खिलाडियों की हार व जीत पर लोग अधिक विवेकतापूर्ण रूप से देखते हैं ।मुझे लगता है कि यह समाज की प्रगति और सामाजिक सभ्यता का प्रतिबिंब है ।