2008-11-04 11:13:33

यूरो क्षेत्र के वित्त मंत्री सम्मेलन में आर्थिक संकट पर विचार

यूरो क्षेत्र के 15 सदस्य देशों के वित्त मंत्रियों का दो दिवसीय सम्मेलन 3 तारीख को ब्रुल्सेलस में आयोजित हुआ। उसी दिन, यूरोपीय आयोग ने अपनी शरतकालीन आर्थिक अनुमान वाली रिपोर्ट में कहा कि साल के दूसरी तिमाही में नकारात्मक वृद्धि आने के बाद 15 सदस्य देशों के अर्थतंत्र में तीसरी व चौथी तिमाही में भी नकारात्मक वृद्धि हुई, इस से संकेत है कि यूरो क्षेत्र की अर्थव्यवस्था ह्रास की स्थिति में आ जाएगी। विश्लेषकों का कहना है कि 15 देशों के वित्त मंत्री सम्मेलन में मुख्यतः यूरोपीय संघ के आर्थिक मसले तथा वर्तमान आर्थिक संकट के मुकाबले के उपायों पर विचार विमर्श किया जाएगा।

यूरोपीय आयोग के शरतकालीन आर्थिक स्थिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि यूरो क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में तकनीकी स्वरूपी ह्रास आ रहा है, अनुमान है कि अगले साल, वह अवरूद्ध हो जाएगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल के बीते तीन तिमाहियों में यूरो क्षेत्र के कुल आंतरिक उत्पादन मूल्य में वृद्धि दर लगातार घट गयी। अनुमान है कि 2009 में इस क्षेत्र की आर्थिक वृद्धि दर मात्र 0.1 प्रतिशित होगी और 2010 में वृद्धि दर में थोड़ा इजाफा हो सकेगा । इसलिए यूरोपीय आयोग ने यूरो क्षेत्र तथा समूचे यूरोप की इस साल की वृद्धि दर कम अनुमानित कर दी । रिपोर्ट में यह अंदाजा लगाया गया है कि 2009 में यूरो क्षेत्र के बड़े देश यानी जर्मनी, फ्रांस और इटाली में आर्थिक विकास में शून्य की वृद्धि होगी और गैर यूरो क्षेत्र के बड़े देश ब्रिटेन में भी आर्थिक वृद्धि नकारात्मक होगी। यूरोपीय आयोग के अनुसार इस साल पूरे विश्व की आर्थिक वृद्धि दर 3.7 प्रतिशत होगी, अगले साल वह 2.3 प्रतिशत होगी और अमरीका और जापान में भी अगले साल नकारात्मक वृद्धि होगी।

इस आर्थिक अनुमान रिपोर्ट के मुताबिक यूरोपीय संघ का आर्थिक भविष्य आशावान नहीं होगा। यूरोपीय आयोग के अर्थव्यवस्था व मुद्रा कार्य के जिम्मेदार सदस्य आलमुनिया ने 3 तारीख को कहा कि विश्वव्यापी वित्तीय संकट से प्रभावित हो कर यूरोपीय संघ का आर्थिक भविष्य अंधेरा होगा। वित्त बाजार की हालत अनिश्चित बनी रहेगी, वित्तीय संकट अभी समाप्त नहीं हुआ और आर्थिक वृद्धि की गति में भारी कटौती होगी। उन्हों ने कहा कि अनेक यूरोपीय देशों में वित्तीय संकट के चलते समग्र आर्थिक संतुलन बिगड़ गया । इसलिए यूरोपीय संघ के सदस्य देशों को वित्त बाजार का समर्थन करने की भांति वर्तमान संकट का सामना करने के लिए अर्थनीतियों को एकीकृत करना चाहिए।

3 तारीख को आयोजित यूरोप क्षेत्र का मासिक वित्त मंत्री सम्मेलन विश्व में वित्तीय संकट उभरने के बाद यूरो क्षेत्र के सदस्य देशों के वित्त मंत्रियों का दूसरा सम्मेलन है। सम्मेलन 7 नवम्बर को होने वाले अनौपचारिक शिखर सम्मेलन के लिए रूखों का समन्यव करेगा। यूरोपीय संघ के वर्तमान अध्यक्ष देश फ्रांस ने 3 तारीख को वक्तव्य जारी कर कहा कि उसी दिन, यूरो क्षेत्र के वित्त मंत्रियों की बैठक के बाद यूरोपीय संघ के 27 देशों के वित्त मंत्री भी 4 तारीख को वर्तमान वित्तीय संकट और अन्तरराष्ट्रीय वित्त व्यवस्था के सुधार के सवाल पर विचार विनिमय करेंगे । विभिन्न सदस्य देशों के प्रतिनिधि वर्तमान आर्थिक व वित्तीय स्थिति का विश्लेषण करेंगे और ठोस अर्थतंत्र पर वित्तीय संकट के प्रभाव को आंक लेंगे। सम्मेलन में नयी अन्तरराष्ट्रीय वित्त व्यवस्था की स्थापना के बारे में सदस्य देशों के रूखों का समन्यव किया जाएगा और ठोस सुझाव के लिए रायों का आदान प्रदान किया जाएगा। यूरोपीय संघ के सदस्य देशों के वित्त मंत्री नार्वे , स्वीट्जरलैंड और आइसलैंड समेत यूपोरीय मुक्त व्यापाप क्षेत्र के सदस्य देशों के साथ भी बैठक करेंगे और वित्तीय संकट से हुई हानि पर रायों का आदान प्रदान करेंगे और भावी अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय सहयोग पर समन्यव मजबूत करेंगे।

यूरो क्षेत्र के वित्त मंत्रियों के सम्मेलन में फ्रांस के अर्थ, वित्त व रोगगारी मंत्री सुश्री लागार्डे ने 3 तारीख को कहा कि वे यूरोपीय संघ को संयुक्त रूप से ठोस अर्थव्यवस्था का पुनरूत्थान करने वाला प्रस्ताव पारित कराने के लिए कोशिस करेंगी , ताकि यूरोप के अर्थतंत्र को वित्तीय संकट से झटका पहुंचने से रोका जाए। सुश्री लागार्डे ने कहा कि फ्रांस के राष्ट्रपति साकोर्जी का मत है कि यूरोपीय संघ के भीतर मिलजुल कर ठोस अर्थतंत्र को बचाने की कोशिश की जानी चाहिए । सुश्री लागार्डे ने कहा कि वर्तमान आर्थिक स्थिति में यूरोपीय संघ के विभिन्न देशों को संयुक्त कार्यवाही करनी चाहिए । लेकिन यूरो ग्रुप के अध्यक्ष ,ल्गस्नेबर्ग के वित्त मंत्री जुंकर ने 3 तारीख को कहा कि वे पूरे यूरोप के आर्थिक पुनरूत्थान प्रस्ताव का समर्थन नहीं करेंगे । उन का विचार है कि यूरोपीय संघ की संबंधिक वित्तीय नीति ने विभिन्न देशों के लिए स्वतंत्र रूप से वर्तमान कठिनाइयों को दूर करने में पर्याप्त गुंजाइश प्रदान की है ।