2008-11-04 10:37:00

तिब्बती लोगों का सफ़ेद रंग वाली भक्ति

तिब्बती लोगों का सफ़ेद रंग वाली भक्ति

तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में सफेद रंग बहुत साधारण रंग है । तिब्बत में सफेद रंग को न्याय, दयालु, महानता, शुद्धता, मंगल और खुशी का प्रतीक मानता है । सफेद वाले वस्तुओं को तिब्बती लोगों की भक्ति होती है और वे सफेद वस्तुओं को पसंद करते हैं लोगों के संकल्प में मानव की सहायता देने वाले दवताओं-देवियों को सफेद रंग के साथ जो़ड़ा हुआ है । सफेद चुमुलांगमा पर्वत को सफेद कपड़े वाले"मंगलमय व दीर्घायु"देवी मानी जाती है, तिब्बती लोगों के दिल में सफेद कांगडेसे पर्वत को "देव पर्वत"या"पवित्र पर्वत"के रूप में माना जाता है । यहां तक कि साधारण सफेद पत्थर को"दिव्य पत्थर"माना जाता है ।

तिब्बत के हर कोने में फैले हुए तिब्बती बौद्ध धर्म सफेद रंग से अलग नहीं किया जा सकता । सफेद सूत्र झंडियां और सफेद पकोटा इधर उधर देखा जा सकते हैं । तिब्बती बौद्ध धर्म के गेग्यु संप्रदाय सफेद रंग की ज्यादा भक्ति करता है, इसे आम तौर पर सफेद संप्रदाय कहा जाता है । तिब्बती बौद्ध धर्म के अवलोकिदेश्वर सफेद रंग वाले कपड़े पहनते हैं । इक के विपरित काले रंग को बुराई और विपत्ती का प्रतीक है । लोगों के संकल्प में दुष्ट आत्माओं का रंग सभी काला है ।

तिब्बत में सफेद रंग लोगों के आम जीवन में भी ज्यादा प्रयोग किया जाता है । तिब्बती पौशाक के शर्ट का रंग सफेद होता है, तिब्बती चरवाहों के तंबू आम तौर पर सफेद है, रिहायशी मकान के द्वार पर सफेद मंगल चित्र अंकित होते हैं । तिब्बती जाति के शुभ सूचक हादा का रंग सफेद है और तिब्बती लड़की शादी के वक्त सफेद घोड़े पर सवार करती हैं, तिब्बती लोग शराब के बरतन पर सफेद भेड़ ऊन रखते हैं । सफेद रंग तिब्बतियों के जीवन से बिलकुल नहीं अलग सकता ।

सूत्र चक्र घुमाना और सूत्र चक्र

तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में सूत्र चक्र घुमाने वाले व्यक्ति इधर-उधर देखे जा सकते हैं । तिब्बती बौद्ध धर्म पर विश्वास करने वाले लोगों का विचार है कि सूत्र चक्र घुमाना और सूत्र पढ़ना एक बराबर है, जिस से विपदा दूर की जा सकती है और इस का संन्यास में भी योगदान होता है । इस तरह तिब्बत के विभिन्न क्षेत्रों में सूत्र चक्र इधर-उधर सब जगह उपलब्ध हैं ।

सूत्र चक्र का प्रमुख आकार गोल स्तंभ है, जो अलग-अलग तौर पर स्वर्ण, रजत और कांस्य से बनाया जाता है । चक्र पर तिब्बती बौद्ध धर्म के छह स्ल्लाबल प्रार्थनाएं यानी ओम मानी पद-में हम । गोल स्तंभ के भीतर सूत्र रखा जाता है । छोटे आकार वाला सूत्र चक्र हाथ में लेकर घुमाया जा सकता है। तिब्बती बौद्ध धर्म के अनुयायियों के विचार में सूत्र चक्र को तेज़ घुमानवे से उस का प्रभाव बढ़ जाता है ।

हालांकि छोटे आकार वाले सूत्र चक्र की गति तेज़ होती है, लेकिन तिब्बती बौद्द धर्म के अनुयायी मानते हैं कि बड़े आकार वाले सूत्र चक्र पर अंकित हुए और अंदर रखे हुए सूत्र छोटे आकार वाले सूत्र चक्र से ज्यादा हैं। एक ही चक्कर से ज्यादा चिह्न पैदा होते हैं और लोग ज्यादा योगदान प्राप्त कर सकते हैं । इस तरह तिब्बती बौद्ध धर्म के अनुयायी अक्सर हाथों से सूत्र चक्र घुमाने के अलावा निश्चित समय निकालकर बड़े आकार वाले सूत्र चक्र भी घुमाते हैं ।

आम तौर पर बड़े आकार वाले सूत्र चक्र मठों के आसपास रखे जाते हैं । एक के बाद एक सूत्र चक्र सुव्यवस्थित रूप से लकड़ी वाली धुरी पर रखे जाते हैं । देखने में ये भव्य ही नहीं, रहस्यमय भी हैं । बड़े आकार वाले सूत्र चक्र की ऊंचाई करीब एक मीटर और उस का व्यास 40 सेंटीमीटर से ज्यादा होता है, जो आम तौर पर कांस्य व लकड़ी से बनाए जाते हैं। चक्र पर सूत्र लिखे रहते हैं । यहां तक कि कई मीटर ऊंचे और दो मीटर व्यास वाले भारी बड़े सूत्र चक्र भी होते हैं, जिस में तिब्बती बौद्ध धर्म के सूत्र लिखे रहते हैं । इस प्रकार के चक्र घुमाने के लिए कई व्यक्तियों का सहयोग चाहिए ।

तिब्बती बौद्ध धर्म के अनेक अनुयायी पवित्र पहाड़, पवित्र झील, पवित्र शहर, मठ, बुद्ध स्तूप और मानी पत्थर टीला का चक्कर लगाकर घूमते हैं । इन में पवित्र पहाड़ गांडेसे पर्वत का चक्कर लगाना सब से उच्च माना जाता है । अनुयायियों के विचार में गांडेसे पर्वत का एक चक्कर लगाने से जिंदगी भर के अपराधों को धोया जा सकता है । दस चक्कर लगाने से यमलोक की पीड़ा धोई जा सकती है और सौ चक्कर लगाने से बुद्ध बना जा सकता है । इस तरह गांडेसे पर्वप का चक्कर लगाना तिब्बती बौद्ध अनुयायियों की सब से बड़ी इच्छा होती है ।