जाशलुम्बु मठ तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के शिकाज़े प्रिफ़ैक्चर के पश्चिमी भाग में निमा पर्वत पर स्थित है, जो तिब्बती धर्म के गेरूग संप्रदाय के चार बड़े मठों में से एक है ।
चीन ने इस प्राचीन अवशेष की मरम्मत के लिए पूंजी लगाई है । वर्तमान में जाशलुम्बु मठ का जीर्णोद्धार जोरों शोरों से हो रहा है । तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना में महत्वपूर्ण सांस्कृतिक अवशेष संरक्षण परियोजनाओं में से एक के रूप में केंद्र सरकार ने इस कार्य पर जरुरत के मुताबिक पूरी राशि लगाई है ।
जाशलुम्बु मठ भिक्षुओं ने मठ की जीर्णोद्धार परियोजनाओं के कार्यान्वयन का स्वागत किया । जाशलुम्बु की जनवादी प्रबंध कमेटी की स्थाई समिति के उप निदेशक श्री सालुंग पुन्ला ने भाव विभोर होकर कहा:
"जाशलुम्बु मठ के सभी भिक्षु केंद्र सरकार द्वारा मठ के समर्थन को जरूर याद करेंगे । वे देश व जनता के हित में दसवें पंचन लामा व ग्यारहवें पंचन लामा की शिक्षा के अनुसार विभिन्न कार्यों को अच्छी तरह करेंगे और कम्युनिस्ट पार्टी की धार्मिक नीति का संजीदगी के साथ कार्यान्वनय करेंगे,《धार्मिक मामला प्रबंधन नियम》का पालन करेंगे, ताकि मठ के भीतर विभिन्न प्रकार की धार्मिक गतिविधियां कानून के अनुसार चलाई जा सकें ।"
चीन का तिब्बत स्वायत्त प्रदेश देश भर में बहुल सांस्कृतिक विरासत वाला क्षेत्र है । स्वायत्त प्रदेश में विभिन्न प्रकार वाली अचल सांस्कृतिक विरासतों की संख्या कई हज़ार है, जिन में तीन को विश्व सांस्कृतिक विरासत की नामसूचि में शामिल किया गया है । गत शताब्दी के पचास वाले दशक में तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति के बाद विशेष कर चीन में सुधार व खुले द्वार की नीति लागू की जाने के बाद केंद्र सरकार और तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की सरकार ने सांस्कृतिक विरासतों के संरक्षण को भारी महत्व दिया है, जिस में कुल सत्तर करोड़ य्वान की पूंजी लगाई गई है। चीन ने क्रमशः पोटाला महल की दो बार मरम्मत की है, दलाई लामा के ग्रीष्मकालीन भवन नार्बुलिनका तथा सागा मठ का संरक्षण व जीर्णोद्धार परियोजनाओं का कार्यान्वयन किया है, इन गतिविधियों से तिब्बत के महत्वपूर्ण सांस्कृतिक विरासतों का कारगर संरक्षण किया गया है। तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के सांस्कृतिक विरासत ब्यूरो के निदेशक श्री यू दावा ने जानकारी देते हुए कहा कि जाशलुम्बु मठ की मरम्मत के अलावा, केंद्र सरकार जोखान मठ और रामोटे मठ के संरक्षण व जीर्णोद्धार के लिए बड़ी तादाद में पूंजी लगाएगी । उन्होंने कहा:
"हमारे तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना की प्रमुख सांस्कृतिक विरासत संरक्षण परियोजनाओं में 15 महत्वपूर्ण सांस्कृतिक विरासतों व इकाईयों के संरक्षण वाली परियोजनाएं, हर पीढ़ी वाले राजवंश की केंद्र सरकारों द्वारा तिब्बत के कारगर प्रबंध करने वाली सात सांस्कृतिक विरासतों के संरक्षण वाली परियोजनाएं शामिल हैं । चीनी राष्ट्रीय विकास व रूपांतरण समिति, वित्त मंत्रालय ने इस संदर्भ में महत्व देकर 57 करोड़ य्वान की राशि लगाने का फैसला किया है, जिस की कुल मात्रा दसवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान 20 करोड़ य्वान से अधिक है। इस से जाहिर होता है कि तिब्बत के सांस्कृतिक विरासत कार्य पर केंद्र सरकार तथा राज्य परिषद कितना ध्यान दे रही हैं ।"
तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के सांस्कृतिक विरासत ब्यूरो के निदेशक श्री यू दावा ने जानकारी देते हुए कहा कि पोटाला महल, नार्बुलिनका और सागा मठ तीन महत्वपूर्ण सांस्कृतिक विरासतों के संरक्षण व मरम्मत वाली परियोजनाओं का कार्यान्वयन वर्ष 2002 के जून माह से शुरू हुआ, जिस में कुल 33 करोड़ य्वान लगाए गए । सभी पूंजी केंद्रीय वित्त ने प्रदान की । वर्तमान में तीन महत्वपूर्ण सांस्कृतिक विरासतों की जीर्णोद्धार परियोजनाओं की 134 शाखा परियोजनाओं को आरम्भ किया गया है, जिन में 129 शाखा परियोजनाएं समाप्त हुईं हैं। इस वर्ष के भीतर सारी परियोजनाएं सर्वतौमुखी तौर पर समाप्त होंगी ।