आदिम काल में चीन की धरती पर एक बार भयंकर बाढ़ आई , जो लगातार 22 साल तक बर्बादी मचाती रही , जिस से विशाल भूमि जलमग्न हो गई , गांव बर्बाद हुए , खड़ी फसल नष्ट हुई और प्रजा बेघरवार हो गई । बाढ़ और खूंख्वार जंगली जानवरों के चंगुल में फंसे मानव की जन संख्या तेजी से घटती गई। इस पर राजा बहुत चिंतित हुआ,उस ने विभिन्न कबीलों के मुखियाओं की बैठक बुला कर बाढ़ पर काबू पाने के तरीके की खोज की , अंत में क्वू को बाढ़ पर नियंत्रण करने का काम सौंपा गया ।
आज्ञा पाने के बाद क्वू ने भारी बर्बादी मचाने वाली बाढ़ पर काबू पाने के उपाये की सोच करना शुरू किया , उस ने सोचा कि जब बाढ़ के पानी आए , तो उसे रोकने के लिए गांवों के बाहर बांध बनाया जाए , तो काम आएगा । पर बाढ़ के पानी इतना ज्यादा आए है , उसे रोकने के लिए बड़ी तादाद में मिट्टी और पत्थर की आवश्यकता है , जो कहां मिल सकेगा । इसी वक्त पानी में से एक दिव्य कच्छ बाहर आया , उस ने क्वू को बताया कि स्वर्ग में एक प्रकार की दिव्य मिट्टी है , अगर आप उसे वापस लाए और धरती पर डाल दे , तो दिव्य मिट्टी तुरंत ज्यादा बढ़ जाएगी और पहाड़ का रूप ले जाएगी , इस तरह बांध बन जाएगी । यह सुन कर क्वू की खुशी का न ठिकाना रहा , कच्छ से बिदा हो कर क्वू दूर पश्चिम की दिशा में चल गया ।
लाखों मुसिबतें झेल कर अंत में क्वू पश्चिम के खुनलुन पर्वत पर जा पहुंचा , स्वर्ग सम्राट से मिलने के बाद उस ने दिव्य मिट्टी मांगी , ताकि इस से बाढ़ को रोक कर प्रजा को संकट से उबार किया जाए । लेकिन स्वर्ग सम्राट ने उस की मांग से इंकार कर दिया । बाढ़ से बुरी तरह ग्रस्त होने वाली प्रजा की याद से क्वू बहुत चिंतित था , तो उस ने स्वर्ग के पहेरदारों की लापरवाही से फायद उठा कर दिव्य मिट्टी की चोरी की । दिव्य मिट्टी ले कर क्वू पूर्व में वापस लौटा । उस ने जल्दी ही दिव्य मिट्टी को पानी में फेंका , सचमुच करिश्मा आया था कि दिव्य मिट्टी क्षण में ही बढ़ने लगी , जब बाढ़ का पानी एक मीटर बढ़ा , तो मिट्टी भी एक मीटर बढ़ी , जब पानी दस मीटर बढ़ा , तो मिट्टी भी दस मीटर बढ़ गई , इस तरह बाढ़ का पानी विशाल बांध के बाहर रोका गया , प्रजा ने बाढ़ से छुटकारा पाया , वे बड़ी खुशी के साथ फिर खेतीबाड़ी करने लगे ।
किन्तु स्वर्ग सम्राट को क्वू से दिव्य मिट्टी की चोरी की बात का पता चला , तो अत्यन्त गुस्सा आया , उस ने तुरंत स्वर्ग सिपाही धरती पर दिव्य मिट्टी वापस लाने भेजे । जब दिव्य मिट्टी वापस ले जायी गई , तो बाढ़ के पानी फिर उमड़ने उफनने लगा , बांध टूट पड़ा , गांव बर्बाद हुआ , खड़ी फसल नष्ट हुई और प्रजा बड़ी संख्या में मारे गए । राजा य्यो को बड़ा क्रोध हुआ , उस ने आज्ञादेश जारी कर कहा कि क्वू केवल बांध बना कर बाढ़ रोकने का तरीका जानता है , लेकिन जब एक बार बांध टूट पड़ा , तो उस का नुकसान और अधिक बड़ा हो गया । नौ साल तक बाढ़ पर काबू पाने का काम किया था , अखिर में विफल हो गया , उसे मौत की सजा दी जानी चाहिए । इस तरह क्वू को युशान पहाड़ में कैद कर दिया गया और तीन साल के बाद उसे मौत की सजा दी गई । मरते दम तक भी क्वू को बाढ़ से ग्रस्त प्रजा की याद थी और उसे बड़ी दुख और आक्रोश महसूस हुआ था ।
बीस साल के उपरांत राजा य्यो ने राजा की गद्दी श्वीन को सौंपा , नए राजा श्वीन ने बाढ़ पर काबू पाने का काम क्वू के पुत्र यु को दिया । इस बार स्वर्ग सम्राट ने दिव्य मिट्टी को यु के हवाले कर दिया । अपने पिता की भांति पहले यु ने भी बांध बना कर बाढ़ रोकने की कोशिश की , लेकिन जल्द ही उसे पता चला था कि बांध से अवरूद्ध बाढ़ का पानी और अधिक शक्तिशाली हो जाता है , जो अल्प समय में ही बांध तोड़ सकता है । कई बार प्रयोग किया जाने के बाद यु को मालूम हो गया कि बाढ़ का पानी केवल बांध बना कर रोका जाने से रोका नहीं जा सकता है , जहां उसे बांध से रोका जाने की जरूरत हो , वहां पर बांध बनाया जाना चाहिए , जहां पानी को बहा कर निकाला जाने की जरूरत हो , वहां जल मार्ग बना कर पानी निकाला जाना चाहिए । यह सुझने के बाद यु एक भीमकाय कच्छ पर दिव्य मिट्टी लादे कार्य दौरे पर निकला , जहां जमीन नीची थी , उस ने दिव्य मिट्टी डाल कर प्रजा के आवास स्थान को ऊंचा कर दिया गया । इस के अलावा यु ने स्वर्ग ड्रैगन की मदद से पहाड़ों और घाटियों में सुगम जल मार्ग बनवाये , जिस से अवरूद्ध पानी निकाल कर समुद्र में बहा दिया गया ।
कहा जाता था कि महान यु अपने अद्भुत ताकतवर भुजा बल से ड्रैगन द्वार नाम के पहाड़ को काट दिया , इस से पीली नदी का पानी कटे पहाड़ों की खड़ी चट्टानों के बीच गुजर कर समुद्र में जा मिलता है । ड्रैगन द्वार पहाड़ के पूर्व में पीली नदी के मध्यम भाग में महान यु ने पीली नदी के जल मार्ग को अवरूद्ध बनाने वाले पहाड़ को कई भागों में तोड़ काट दिया , जिस से नदी का पानी बल खाते हुए नीचे की ओर बहने लगा और वहां त्रिमार्ग वाली घाटी उत्पन्न हुई । सदियों से पीली नदी का पानी ड्रैगन द्वार नामक घाटी और त्रिमार्ग घाटी से बड़ी वेग से बह कर गुजरता है और दोनों जगह मशहूर प्राकृतिक सौंदर्य बन गई हैं ।
महान यु के बारे में बहुत सी रूचिकर प्रथाएं चीनियों में प्रचलित है । एक प्रथा के अनुसार महान यु शादी के चौथे दिन पर घर छोड़ कर बाढ़ पर काबू पाने के काम के लिए चला गया था , उसे बाढ़ पर काबू पाने का काम किए 13 साल बीते थे और वे तीन बार घर के पास से गुजर भी गया था , पर वह एक बार भी घर में प्रवेश नहीं कर गया । लाखों मुसिबतों और कठिनाइयों को दूर कर महान यु ने अंत में बाढ़ पर पूरी तरह काबू पाया और पानी नदियों के जल मार्गों में सुगम रूप से बहने लगा और समुद्र में जा मिलता , प्रजा संकट से छूट गयी और चैन की बंशी बजाती रही । महान यु को आभार प्रकट करने के लिए प्रजा ने उसे महा राजा माना और उस के असाधारण कारनामे को देखते हुए राजा श्वीन ने भी स्वेच्छापूर्वक राजा का आसन उसे दे दिया । इसलिए महान यु चीन के इतिहास में एक महान राजा के रूप में भी सम्मानित होता है ।