2008-10-31 16:55:28

छिङ राजवंश की स्थापना

मिङ राजवेश के अनेक नौकरशाहों , जमींदारों और शरीफजादों ने भी अपने हितों की रक्षा के लिए छिङ सेना के खिलाफ लड़ाइयां लड़ीं।

उन्होंने नानचिङ में राजा फू के शासन, चच्याङ प्रान्त में राजा लू के शासन , फूच्येन में राजा थाङ के शासन और हूक्वाङ व दक्षिणपश्चिमी चीन में राजा क्वेइ के शासन का समर्थन किया। क्यों कि ये सभी राज्य दक्षिण चीन में स्थित थे, इसलिए इतिहासकार इन्हें दक्षिणी मिङ राज्यों की संज्ञा देते हैं।

दक्षिणी मिङ राज्य के ज्यादातर अफसर भ्रष्ट थे और उन्होंने निजी स्वार्थों के लिये आपस में ही मारकाट शुरू कर दी।

इसलिए पहले तीन राज्य जल्दी ही छिङ सेना द्वारा समाप्त कर दिये गए। केवल राजा क्वेइ का राज्य ही अपने कुछ जनरलों और विद्रोही किसान सेना के सहयोग के कारण थोड़े ज्यादा समय तक टिका रहा।

छिङ शासकों ने विभिन्न स्थानों की छिङ विरोधी शक्तियों व उन के संघर्षों को कुचलने के बाद समूचे चीन का कदम ब कदम एकीकरण कर अपना शासन कायम किया। नए शासकों ने मिङ राजवंश की सामन्ती तानाशाही व्यवस्था को विरासत के तौर पर प्राप्त किया और उस का विकास किया।

सम्राट युङचङ ने सर्वोच्च राज्य परिषद की स्थापना की और मानचू जाति के कुछ राजाओं, राजदरबार के कुछ महापार्षदों और केन्द्रीय सरकार के छै मंत्रालयों के कुछ मंत्रियों व उपमंत्रियों को इसका सदस्य नियुक्त किया। स्थानीय प्रशासन की सब से बड़ी इकाई प्रान्त था, जिस का सर्वोच्च अधिकारी गवर्नर कहलाता था।

गवर्नर से ऊपर गवर्नर जनरल होता था, तथा उस के अधीन एक , दो या तीन प्रान्त होते थे। गवर्नर और गवर्नर जनरल दोनों सैन्य मामलों और नागरिक मामलों की देखभाल करते थे।

प्रान्त के नीचे क्रम से मण्डल , प्रिफेक्चर , उपप्रिफेक्चर , काउन्टी और जिला थे। सबसे नीचे की बुनियादी प्रशासनिक इकाइयां पाओ और च्या थी।