आज के इस कार्यक्रम में हम आप को चीन के चे च्यांग प्रांत के कृषि उच्च विज्ञान-तकनीकी आदर्श मिसाल उद्यान का दौरा कराएगें। इस उद्यान में कृषि उत्पादों का पालन पोषण कम्पयूटर से किया जाता है, यहां वर्षा को कारगर रूप से इकटठा कर फसलों की सिंचाई में प्रयोग किया जाता है, यहां दर्लभ वनस्पतियों को कलोन तकनीक से संरक्षण व उनका सुधार किया जाता है। इस करिश्मा ने किस तरह यहां पर मूर्त रूप लिया है, इस की जानकारी पाने के लिए हम आप को चे च्यांग कृषि उच्च विज्ञान-तकनीकी आदर्श मिसाल उद्यान की सैर करने ले जाएगें।
इस कृषि उच्च विज्ञान तकनीकी उद्यान में एक विशाल कृषि पौधों के उगाने का ग्रीन हाउस है। उद्यान की कार्यकर्ता सुश्री कू सन येन ने हमें बताया कि पौधों के उगाने के ग्रीन हाउस का क्षेत्रफल तीन हैक्टर है। यहां बीजों को परम्परागत तरीकों से नहीं बल्कि समुन्नत तीव्र गति स्वंयचलित प्रोडक्शन लाइन से बोए जाते हैं, केवल तीन सैंकड में एक बीज के उगाने के काम को पूरा कर लिया जाता है।
ताज्जुब की बात यह है कि इस ग्रीन हाउस में कहीं भी मिट्टी नजर नहीं आती है, हरे भरे पौधों की कतार दूर दूर तक फैली हुई हैं। पौधों की जड़ में एक सूई लगा कर उसे पानी की नन्ही टयूब के साथ जोड़ रखा है, जैसे कि अस्पताल में मरीजो को देने वाला ट्रांसफयूसन की तरह। पौधे कम्पयूटर के जरिए पानी की बूंद सिंचाई व्यवस्था से पौधों को तरल पौष्टिक प्रदान करती है। और तो और यहां का तापमान, रोशनी नियंत्रण व पौधों को दिए जानी वाली पोष्टिक की जांच आदि सभी कम्पयूटर के सहारे स्वंयचलित रूप से पूरे किये जाते हैं , सुश्री कू सन येन कहा तापमान , नमी व वायु वितरण आदि का काम एक कम्पयूटर से पूरा किया जाता है, एक ग्रीन हाउस में केवल एक दो कार्यकर्ता यहां की देखभाल करते हैं, बाकी सभी काम कम्पयूटर करता है।
जानकारी के अनुसार, यहां पर बिना मिटटी पर उगाए पौधों की उत्पादन मात्रा परम्परागत तरीकों से उगाए पौधों से कई गुना उंची होती है। टमाटर को लिजीए, बिना मिटटी के उगाए प्रति वर्ग मीटर में 46 किलोग्राम टमाटर की फसल की जा सकती है, यह मात्रा खेतों में उगाए टमाटर की तुलना में सौ गुना ज्यादा होती है। इस के अलावा, पौधे उगाने वाले ग्रीन हाउस में जहां तहां पर्यावरण संरक्षण के निशान देखने को मिलते हैं। सुश्री कू सन येन ने ग्रीन हाउस में रखे एक लौहे की ट्यूब की ओर इशारा करते हुए हमें इस का रहस्य बताते हुए कहा जमीन के नीचे का यह लौहे वाली ट्यूब तापमान बढ़ाने वाली व्यवस्था है, तापमान भाप से बढ़ाया जाता है। हमारे नजदीक एक बिजली घर है , हम वहां की फालतू निकासी गर्म गैस का इस्तेमाल कर तापमान बढ़ा सकते हैं। यदि हम कोयले से तापमान बढ़ाए तो प्रदूषण उत्पन्न हो सकता है, इस से हम पर्यावरण का संरक्षण कर सकते हैं।
इस के अलावा, इस कृषि उद्यान ने 10 लाख से अधिक य्वान से वर्षा के पानी को एकत्र करने की जल आपूर्ति व्यवस्था का निर्माण भी किया है। सुश्री कू सन येन ने जानकारी देते हुए कहा कि वर्तमान उद्यान के भीतर 70 प्रतिशत कृषि पौधों व फूलों के उत्पादन की जल सिंचाई वर्षा के पानी से किया जाता है।
श्रोताओ, अभी आप ने ग्रीन हाउस की जो जानकारी सुनी है वह केवल चे च्यांग प्रांत के कृषि उच्च विज्ञान तकनीकी आदर्श मिसाल उद्यान का एक छोटा सा अंग ही है। जानकारी के अनुसार, उक्त उद्यान का निर्माण वर्ष 2001 में शुरू हुआ था और उसका कुल क्षेत्रफल 330 हैक्टर है, कुल निवेशित धनराशि 50 करोड़ य्वान है । उद्यान के भीतर चीनी कृषि विज्ञान अकादमी, चे च्यांग विश्वविद्यालय आदि 20 से अधिक अनुसंधान प्रतिष्ठानों ने अपना डेरा लगा लिया हैं, कृषि समुन्नत तकनीक पहलुओं में चीन के खुद के बौद्धिक संपदा अधिकार संरक्षण के अलावा, अमरीका, फ्रांस और नीजरलैंड आदि देशों की समुन्नत तकनीकों का भी आयात किया गया है। उद्यान के भीतर ग्रीन हाउस के अतिरिक्त, वनस्पित कलोन केन्द्र, शीशे से बना समार्ट ग्रीन हाउस आदि का निर्माण भी किया गया है। इन में वनस्पित कलोन केन्द्र का तकनीकी स्तर चीन के इस क्षेत्र की सबसे उंची तकनीक मानी जाती है। हमने देखा कि यहां के कार्य की प्रक्रिया अस्पताल के ओपरेशन रूम की तरह कड़ी व परिशुद्ध बनायी रखी गयी है, ताकि उद्यान में पूरी सीमा तक कीटाणुहीन व धूलहीन का वातावरण तैयार किया जा सके। उद्यान की कार्यकर्ता सुश्री कू सन येन ने जानकारी देते हुए कहा कि कृषि में कलोन तकनीक मुख्य तौर से वनस्पति के बीज की गुणवत्ता संसाधन के संरक्षण में इस्तेमाल किया जाता है ताकि बेहतरीन बीजों के तेज प्रजनन को बरकरार रखा जा सके। उन्होने कहा हमने वनस्पति के पत्ते, टहनी व जड़ किसी भी एक भाग को तोड़कर उसे एक पूर्ण वनस्पित का रूप दिया है। जिसे जीनो प्रशिक्षण व वनस्पित कलोन भी कहा जाता है। उद्यान के एक अन्य प्रभारी श्री चू श्याओ श्यांग ने एक मिसाल पेश करते हुए कहा थाएवान में मून ओरछिड नाम का एक फूल है, एक फूल के पौधे का आयात के लिए 15 से 30 य्वान खर्च करना पड़ता है, जबकि फिलहाल हम थाएवानी किसानों को इस फूल के पौधे को केवल तीन या पांच य्वान में ही बेचते हैं। श्री चू ने बताया कि वर्तमान वनस्पित कलोन केन्द्र में हर साल कलोन किए विभिन्न किस्मों के दुर्लभ वनस्पतियों के पौधों की संख्या 3 करोड़ तक जा पहुंची है।
आंकड़ो से पता चला है कि चे च्यांग उच्च विज्ञान तकनीकी आदर्श मिसाल उद्यान की स्थापना के बाद से हमने मून ओरछिंड फूल आदि सौ से अधिक वनस्पतियों का विकास किया है और उसका निर्यात भी किया है। हाल ही में उद्यान ने अन्तरराष्ट्रीय आलू केन्द्र के साथ सहयोग इरादा संपन्न कर कैन्टेकी चिकन रेस्तांरात की जरूरत वाले आलू की नस्ल का आयात कर उसके के लिए एक नयी आलू की नस्ल का विकास किया है। फिलहाल स्थानीय किसानों के लिए चे च्यांग प्रांत का यह कृषि विज्ञान तकनीकी उद्यान आधुनिक कृषि का एक सर्वनाम बन गया है। उद्यान में पौधों के उत्पादन के प्रभारी मा छयांग ने कहा कि बहुत से किसानों ने उद्यान द्वारा अविष्कृत नवीन पौधों के प्रति भारी दिलचस्पी दिखाई है। उन्होने कहा किसान हमारे नस्ल किस्मों पर बड़ा ध्यान देने लगें हैं। कभी हमें टेलीफोन कर या हमें आमंत्रित कर हमसे पूछते रहते हैं कि हाल ही में कोई नयी नस्ल पैदा हुई है या नहीं।
प्रारम्भिक आंकड़ो के अनुसार, चे च्यांग विज्ञान तकनीकी उद्यान का उत्पाद व उसकी तकनीक पूरे प्रांत के अधिकतर गावों में फैल चुकी हैं, जिस से किसानों को 70 करोड़ य्वान का प्रत्यक्ष लाभ हासिल हुआ है। उद्यान के प्रभारी यू श्याओ श्यांग ने उद्यान के उज्जवल भविष्य व उसके ब्लू प्रिंट पर बोलते हुए कहा किसानों को क्या कमी है. सरल शब्द में कहें वह है सेवा। आप ने उन्हे जो वनस्पति नस्ल व नयी तकनीक सेवा दिए हैं , उन्हे इन का प्रबंधन कराने के तरीके सिखाए हैं वगैरह वगैरह , सभी उत्पादन के दौरान प्रदत्त एक किस्म की सेवा ही तो है।
इस के लिए चे च्यांग प्रांत ने आगामी तीन सालों में उद्यान को एक भव्य कृषि विज्ञान शहर बनाने की योजना तैयार की है, इस में एक अन्तरराष्ट्रीय कृषि जैविक तकनीकी अनुसंधान मंच, एक अन्तरराष्ट्रीय कृषि उत्पाद खरीददारी व बिक्री केन्द्र व एक विज्ञान तकनीकी सृजन सेवा केन्द्र शामिल हैं। श्री चू श्याओ श्यांग ने कहा कि उस समय विज्ञान तकनीक चे च्यांग प्रांत के कृषि विकास के लिए अधिक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगी।