आप जानते ही है कि पेइचिंग चीन की राजधानी ही नहीं , बल्कि एक प्राचीन ऐतिहासिक व सांस्कृतिक शहर भी है , पिछले हजारों वर्षों के विकासक्रम में इस पुराने शहर ने अपनी अलग पहचान बना ली है , अंगिनत देशी विदेशी पेइचिंग की इस खास पहचान पर अत्यंत मोहित हो जाते हैं । अतः जब वे पेइचिंग की यात्रा पर जाते हैं , तो वे इस आधुनिक फैशन व पुरानी परम्परा के संगम यानी हो हाई देखने जरूर जाते हैं। हो हाई पेइचिंग शहर के केंद्र में स्थित एक रौनकदार क्षेत्र जरूर है , पर यह क्षेत्र चारों तरफ चहल पहल होने पर भी एकदम शांति का आभास भी देता है , और तो और चीनी परम्परागत वास्तु शैलियों से युक्त चार दीवारी प्रागणों व गल्लियों से घिरा इस क्षेत्र ने चुपचाप से आधुनिक फैशन को परम्पराओं के साथ जोड़ दिया है । अच्छा , अब हम इस दिलचस्पी वाले क्षेत्र को देखने चलते हैं ।
आप जानते ही है कि पेइचिंग चीन की राजधानी ही नहीं , बल्कि एक प्राचीन ऐतिहासिक व सांस्कृतिक शहर भी है , पिछले हजारों वर्षों के विकासक्रम में इस पुराने शहर ने अपनी अलग पहचान बना ली है , अंगिनत देशी विदेशी पेइचिंग की इस खास पहचान पर अत्यंत मोहित हो जाते हैं । अतः जब वे पेइचिंग की यात्रा पर जाते हैं , तो वे इस आधुनिक फैशन व पुरानी परम्परा के संगम यानी हो हाई देखने जरूर जाते हैं। हो हाई पेइचिंग शहर के केंद्र में स्थित एक रौनकदार क्षेत्र जरूर है , पर यह क्षेत्र चारों तरफ चहल पहल होने पर भी एकदम शांति का आभास भी देता है , और तो और चीनी परम्परागत वास्तु शैलियों से युक्त चार दीवारी प्रागणों व गल्लियों से घिरा इस क्षेत्र ने चुपचाप से आधुनिक फैशन को परम्पराओं के साथ जोड़ दिया है । अच्छा , अब हम इस दिलचस्पी वाले क्षेत्र को देखने चलते हैं ।
हो हाई को शह शा हाई भी कहलाता जाता है , वह पेइचिंग के केंद्र में स्थित होने से प्रसिद्ध थ्येन आन मन से केवल कई किलोमीटर दूर है और चिंग शान पार्क व पुराने शाही प्रासाद के आमने सामने खड़ा हुआ दिखाई देता है । चीनी लोग समुद्र को हाई कहते हैं , क्योंकि वह एक काफी बड़ी मानवकृत झील है और पुराने शाही प्रासाद के पीछे अवस्थित है , इसलिये पुराने जमाने से वह हो हाई यानी पिछवाड़े समुद्र के नाम से जाना जाता रहा है । तत्काल में केवल शाही परिवारजन इस झील पर विहार करने व नाव चलाने जैसे क्रिड़ा करते थे । पर 13 वीं शताब्दी से हो हाई क्षेत्र ने पेइचिंग शहर के फलते फूलते वाणिज्य क्षेत्र का रुप ले लिया है । यह प्राचीन पूर्वी संस्कृति व आधुनिक पश्चिमी संस्कृति के बीच एक दूसरे से टकराने वाला क्षेत्र है , साथ ही वह प्राचीन पेइचिंग व आधुनिक पेइचिंग को दूसरे से जुड़ने वाला क्षेत्र भी है । दोपहर के बाद या दिन ढलने के बाद यदि आप हो हाई घूमने जाते हैं , तो आप को वहां पर कुछ न कुछ नया अनुभव होगा ।
जब दिन ढलने लगा , तो हो हाई की जितनी भी ज्यादा गलियों में रंगीन लालटेन चमक दमक हो जाते हैं और हो हाई का विशेष दृश्य देखने को मिलता है । हो हाई झील के तट पर खड़े हुए बहुत से बार अपनी अपनी विशेष पहचान से लोगों को मोह लेते हैं और अपने अपने अलग पर्यावरण , सजावटों व आहारों से अपना विशेष स्थान भी बनाते हैं । कुछ बारों में शोर व हंसी मजाक सुनाई देते हैं , कुछ बारों में वातावरण एकदम शांत दिखाई देता है , संक्षेप्त में कहा जा सकता है कि हरेक बार में अपना अपना खास परिवेश व्याप्त रहा है । पर इन सभी बारों में विविधतापूर्ण स्वादों वाली शराब व महक चाय की चुस्की लेते हुए हो हाई झील में खिले हुए कमल फूल देखने में अवश्य ही बड़ा आनन्द मिलता है। तो अब हम आप के साथ कुछ विशेषताओं वाले बार देखने चलें ।
बहुत बड़े आरामदेह सोफे से सुसज्जित होने की वजह बायं तट नामक बार बहुत चर्चित है । दोपहर के बाद कई मित्रों के साथ सोफे पर बैठे हुए नरम धुप लेने और निश्चिंत रूप से गपशप मारने में बड़ा मजा आता है ।
नीला कमल फूल नामक बार का दरवाजा खुलते ही थाईलैंड से आयातित पपीता का सुगंध महसूस हो सकता है । थाई स्टाइल वाले पोशाकों से सजधज सेवक हाथ जोड़कर मुस्कराते हुए ग्राहकों का स्वागत करने में दरवाजे के पास खड़े हुए हैं ।