2008-10-29 16:47:18

चीन में जलवायु परिवर्तन के मुकाबले के बारे में श्वेत पत्र जारी

दोस्तो , चीन सरकार ने 29 अक्तूबर को जलवायु परिवर्तन के मुकाबले से जुड़ी चीन की नीति व कार्यवाही के बारे में श्वेत पत्र जारी किया , जिस में जलवायु परिवर्तन से चीन पर पड़े प्रभाव , जलवायु परिवर्तन के अनुरूप चीनी नीति व कार्यवाही तथा इसी संदर्भ में चीनी संबंधित व्यवस्था के निर्माण का पूर्ण रुप से विवरण दिया गया है। चीनी अधिकारियों ने कहा कि चीन जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने के महत्व और आवश्यकता पर पूर्ण रूप से जोर लगाता है और विश्व के विभिन्न देशों के साथ अनवरत विकास को बखूबी अंजाम देने को तैयार है ।

जलवायु परिवर्तन के मुकाबले से जुड़ी चीनी नीति व कार्यवाही के बारे में चीनी श्वेत पत्र में कहा गया है कि इधर सालों में जलवायु परिवर्तन से मेल खाने के लिये चीन ने सकारात्मक प्रयास किये हैं । मसलन ऊर्जा व ससाधन की किफायत को मूल राष्ट्रीय नीति के रूप में बनाया गया और जलवायु परिवर्तन के मुकाबले के लिये राष्ट्रीय प्रस्ताव पेश किया , साथ ही आर्थिक ढांचे को सुनियोजित कर उच्च खपत व भारी दूषित वाले उद्यमों में तेज बृद्धि पर रोक लगायी गयी है और ग्रीन हाऊस गैस की निकासी को कम करने के लिये पुनरुत्पादनीय ऊर्जा का विकास किया गया है ।

चीनी राज्य परिषद के सूचना कार्यालय ने 29 अक्तूबर को बुलायी गयी न्यूज ब्रीफिंग में चीनी राष्ट्रीय विकास व सुधार आयोग के उप प्रधान श्ये चन ह्वा ने कहा कि उक्त प्रयोसों में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल हो गयी हैं ।   

उन का कहना है कि 1990 से 2005 तक चीनी प्रति जी डी पी की क्षमता 47 प्रतिशत बढ़ गयी है , हम ने फिर यह लक्ष्य पेश किया है कि 2005 के आधार पर आगामी 2010 तक प्रति जी डी पी में ऊर्जा की खपत में 20 प्रतिशत घट जाये । मौजूदा कार्यांवित स्थिति को देखा जाये , 2005 की तुलना में 2007 में इकाई जी डी पी में 5.38 प्रतिशत गिरावट आयी है , जो 33 करोड़ 50 लाख टन कार्बन डाइऑक्साइड की कम निकासी के बराबर है ।

ग्रीन हाऊस गैस की निकासी की चर्चा में श्री श्ये चन ह्वा ने जोर देकर कहा कि ऐतिहासिक , वास्तुगत और युक्तिसंगत व सर्वांगीर्ण दृष्टि से चीन में कार्बन डाइऑक्साइड की कुल निकासी मात्रा को देखना जरूरी है । उन्हों ने कहा कि चीन में मौजूदा दौर में ग्रीन हाऊस गैस का काफी ज्यादा इजाफा हुआ है , यह एक वास्तुगत नियम है , और तो और चीन में कार्बन डाइऑक्साइड की कुल निकासी मात्रा का 20 प्रतिशत निर्यातोन्मुख प्रोसेसिंग उद्यमों से आता है , इस का अर्थ है कि विकसित देशों में उपभोक्ता उत्पादनों के लिये चीन ने ग्रीन हाऊस गैस की निकासी पर कीमत चुकायी है ।

श्री श्ये चन ह्वा ने कहा कि ऐसा होने पर भी चीन फिर भी ग्रीन हाऊस गैस की निकासी को वड़ा महत्व देता है ।

29 अक्तूबर को जारी श्वेत पत्र में कहा गया है कि चीन इस बात का पक्ष लेता है कि अनवरत विकास के ढांचे तले विभिन्न देश अपना अपना दायित्व निभाने वाले सिद्धांत के अनुसार वैज्ञानिक आविष्कार व तकनीकी हस्तांतरण के सहारे ग्रीन हाऊस गैस की वृद्धि को कम करें और जलवायु परिवर्तन के अनुरूप कदम उठायें ।

श्री श्ये चन ह्वा ने कहा कि विकसित देशों व विकासमान देशों को जलवायु परिवर्तन के अनुरूप कदम उठाने का दायित्व है , पर वर्तमान में विकसित देशों को और भारी दायित्व निभाना ही होगा । 

संधि व प्रोटोकोल में प्रस्तुत अनुरोधों के मद्देनजर विकसित देशों को ग्रीन हाउस गैस को कम करने में पहल करना चाहिये , यह एक सर्वविदित तथ्य है । हमें आशा है कि विकसित देश क्यूटो प्रोटोकोल के अनुसार आगामी 2020 तक कुल निकासी मात्रा को 1990 के आधार पर 20 से 40 प्रतिशत तक कम कर देंगे । साथ ही यह आशा भी है कि विकसित देश संधि व प्रोटोकोल के अनुसार तकनीकी हस्तांतरण व पूंजी की जिम्मेदारी उठाएंगे । चीन और अन्य विकासमान देश फिर इसी आधार पर अपनी राष्ट्रीय स्थिति को ध्यान में रखकर ग्रीन हाऊस गैस बढ़ने की गति रोकने के लिये सकारात्मक कदम उठायेंगे ।

श्री श्ये चन ह्वा ने कहा कि वर्तमान भूमंडलीय वित्तीय संकट जलवायु परिवर्तन के बारे में अंतर्राष्ट्रीय वार्ता प्रक्रिया पर प्रभाव नहीं डालेगा ।