2008-10-28 16:20:18

एशिया व यूरोप साथ मिलकर वित्तीय संकट के मुकाबले में जुटे

दोस्तो , एशिया यूरोप सम्मेलन के इतिहास में सब से विशाल शिखर सम्मेलन यानी सातवां एशिया यूरोप शिखर सम्मेलन 25 अक्तूबर को पेइचिंग में संपन्न हुआ । वर्तमान गम्भीर भूमंडलीय वित्तीय संकट के सामने एशिया यूरोप सम्मेलन के 45 सदस्य देशों ने समान रुप से मौजूदा वित्तीय संकट के मुकाबले के लिये नीति व प्रस्ताव पेश किये हैं , इस से वर्तमान भूमंडलीय वित्तीय संकट के मुकाबले की प्रक्रिया पर महत्वपूर्ण प्रभाव पडेगा ।

हाल ही में न सिर्फ अमरीका , जापान , जर्मनी और फ्रांस आदि देशों की सरकारों ने मौजूदा वित्तीय संकट में फंसे संवेदनशील बाजार को बचाने की अपनी अपनी योजना घोषित की , बल्कि विश्व के विभिन्न देशों ने इसी संदर्भ में सहकारी कार्यवाही की , साथ ही यूरोपीय संघ के विभिन्न सदस्य देशों तथा एशियाई व यूरोपीय महा द्वीपों ने भी साथ मिलकर इसी वित्तीय संकट का मुकाबला करने पर राजी किया है । तथ्यों से जाहिर है कि कोई भी देश इस विश्वव्यापी वित्तीय सूनामी से बच नहीं सकता , विभिन्न देश एकजुट होने पर भी इस संकट का मुकाबला करने में सफल हो पायेंगे ।

एशिया यूरोप सम्मेलन के 45 सदस्य देशों का सकल घरेलु उत्पादन मूल्य समुचे विश्व का 50 प्रतिशत बनता है , जबकि व्यापार रकम विश्व का 60 प्रतिशत है । जैसा कि फ्रांस के राष्ट्रपति सार्कोची ने सम्मेलन में कहा था कि एशिया व यूरोप के सहयोग के जरिये भूमंडलीय वित्तीय संकट का मुकाबला करने का महत्व निस्संदेह अत्यंत दूरगामी है । 

एशिया व यूरोप विश्व की दो तिहाई जनसंख्या की आधी संपत्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं, एशिया व यूरोप समान रूप से चुनौतियों का मकाबला करने में सफल होंगे या नहीं , हमारे सामने खड़ी सब से बड़ी समस्या है । सहयोग हमारे लिये एक विकल्प ही नहीं , बल्कि एक मिशन भी है । यूरोप को एशिया की वृद्धि , बुद्धिमत्ता व सृजनात्मक शक्ति की जरूरत है , जबकि एशिया को यूरोप के तकनीक , अनुभव और स्थिरता चाहिये ।

मौजूदा शिखर सम्मेलन में पारित अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय परिस्थिति के बारे में संयुक्त वक्तव्य में विभिन्न पक्षों ने जिम्मेदाराना व स्थिर मौद्रिक व वित्तीय निगरानी व प्रबंधन नीति अपनाने और पारदर्शिता व सहनशीलता बढाने की अपील की । विभिन्न देशों के नेताओं ने वित्तीय व्यवस्था को बनाये रखने के लिये आवश्यक व समयानुकूल कदम उठाने का वचन भी दिया है ।

वर्तमान भूमंडलीय वित्तीय संकट के मुकाबले में चीन की भूमिका बड़ी ध्यानाकर्षक है । चीनी राष्ट्राध्यक्ष हू चिन थाओ ने एशिया यूरोप शिखर सम्मेलन के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि चीन ने यथासम्भावित दायरे में मौजूदा वित्तीय संकट का मुकाबला करने के लिये सकारात्मक प्रयास किये हैं और सिलसिलेवार अहम कदम भी उठा दिये हैं । उन्हों ने कहा कि चीन आगे भी जिम्मेदाराना रूख अपनाकर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय व आर्थिक स्थिरता की रक्षा करना जारी रखेगा ।

स्लोवानिया के राष्ट्रपति टुर्क ने मौजूदा शिखर सम्मेलन में कहा कि चीन वर्तमान वित्तीय संकट का समाधान करने की अपरिहार्य शक्ति है और चीनी अर्थतंत्र का अनवरत व स्थिर विकास सारी दुनिया के लिये फायदेमंद भी है ।

चीन भूमंडलीय अर्थतंत्र की प्रमुख शक्तियों में से है , इसलिये हमारा विचार है कि हमें सर्वप्रथम चीनी आर्थिक वृद्धि को सुनिश्चित करना चाहिये । हमें चीन के निरंतर विस्तृत बाजारों से लाभ होगा । हमें बाजार की जरूरत पड़ती है , जबकि लगातार विकास में जुटा चीन खुद भी एक निरंतर विकसित बाजार ही है ।

सातवां एशिया यूरोप शिखर सम्मेलन संतोषजनक संपन्न हो गया है । हालांकि इस सम्मेलन में पारित अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय परिस्थिति के बारे में संयुक्त वक्तव्य भूमंडलीय वित्तीय संकट के लिये मोड़ नहीं लाया है , पर उस का दूरगामी महत्व फिर भी मौजूद है । चीनी आधुनिक अंतर्राष्ट्रीय संबंध अनुसंधान प्रतिष्ठान के विश्व आर्थिक अनुसंधानशाला के प्रधान छन फंग इंग ने कहा  अगले महीने की 15 तारीख को वाशिंगटन में जी 20 का भूमंडलीय वित्तीय शिखर सम्मेलन होगा , इस शिखर सम्मेलन में संभवतः अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय व्यवस्था के सुधार व वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय गड़बड़ी जैसे सवालों पर विचार विमर्श किया जायेगा , इसलिये मौजूदा एशिया यूरोप सम्मेलन उक्त होने वाले जी 20 शिखर सम्मेलन पर प्रभाव डाल ही देगा ।