2008-10-28 09:51:44

तिब्बती बौद्ध धर्म के पंचन लामा के निवास स्थान जाशलुम्बु की मरम्मत हो रही है

तिब्बती बौद्ध धर्म के पंचन लामा का निवास स्थान शिकाज़े प्रिफैक्चर में स्थित जाशलुम्बु मठ में है । इस मठ का इतिहास कोई छह सौ वर्ष से ज्यादा पुराना है । चीन ने इस प्राचीन अवशेष की मरम्मत के लिए पूंजी लगाई है । वर्तमान में जाशलुम्बु मठ का जीर्णोद्धार जोरों शोरों से हो रहा है । तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना में महत्वपूर्ण सांस्कृतिक अवशेष संरक्षण परियोजनाओं में से एक के रूप में केंद्र सरकार ने इस कार्य पर जरुरत के मुताबिक पूरी राशि लगाई है।

जाशलुम्बु मठ तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के शिकाज़े प्रिफ़ैक्चर के पश्चिमी भाग में निमा पर्वत पर स्थित है, जो तिब्बती धर्म के गेरूग संप्रदाय के चार बड़े मठों में से एक है, जिस का क्षेत्रफल दो लाख 37 हज़ार वर्गमीटर है । तिब्बती भाषा में जाशलुम्बु का मतलब होता है मंगलमय । ऐतिहासिक ग्रंथों के अनुसार, जाशलुम्बु मठ की स्थापना वर्ष 1447 में हुई थी। वर्ष 1713 में यह पंचन लामा का स्थाई निवास स्थान बन गया । जाशलुम्बु मठ का निर्माण गेरूबा संप्रदाय के गुरु ज़ोंन घा बा के शिष्य प्रथम दलाई लामा कन तुन जू बा ने करवाया था। चौथे पंचम लामा लो सांग छ्यू ची के समय इस मठ का विस्तार किया गया। आज भी इस मठ में पांचवें से नौवें पंचन लामा के पार्थिव शरीर विभिन्न स्तूपों में रखे हुए हैं । मठ दक्षिणी तिब्बत का धार्मिक-सांस्कृतिक केंद्र भी है।

जाशलुम्बु मठ निमा पर्वत की भौगालिक स्थिति के अनुसार निर्मित हुआ है। उस के पीछे ऊंचा पहाड़ है और हर भवन सुव्यवस्थित है। इस मठ में 56 सूत्र भवन, छह महल और 6000 से अधिक संघाराम हैं । जाशलुम्बु मठ में बड़ी मात्रा में सांस्कृतिक अवशेष सुरक्षित हैं । वर्ष 1914 में निर्मित छ्यांगबा बुद्ध मूर्ति अब तक विश्व में सब से बड़ी कांस्य बुद्ध मूर्ति है, जिस की ऊंचाई 26.2 मीटर है । वर्ष 1961 में जाशलुम्बु मठ को राष्ट्र स्तरीय सांस्कृतिक विरासत की संरक्षण इकाइयों में शामिल किया गया । लेकिन लम्बे समय में इस का जीर्णोद्धार न किए जाने से मठ में अनेक खतरनाक स्थितियां मौजूद हैं । इस तरह इस बार जाशलुम्बु मठ के विभिन्न भवनों की सर्वांगीण मरम्मत की जाएगी, जिस में अग्निशमन और सुरक्षा से संबंधित परियोजनाएं शामिल हैं । तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के सांस्कृतिक विरासत ब्यूरो के अधीन सांस्कृतिक विरासत संरक्षण विभाग के निदेशक श्री ल्यू शी चोंग ने जानकारी देते हुए कहा:

"जाशलुम्बु मठ के संरक्षण व मरम्मत परियोजना के लिए देश ने कुल 12 करोड़ य्वान की पूंजी लगाई है । मुख्य तौर पर चौथे पंचन लामा के शरीर को सुरक्षित रखने वाला स्तूप, छ्यांगबा बुद्ध मूर्ति भवन और छोछिन भवन का जीर्णोद्धार किया जाएगा । इस के साथ ही अग्निशमन व सुरक्षा परियोजनाओं का कार्यान्वयन भी किया जाएगा ।"

सूत्रों के अनुसार मौजूदा मरम्मत की परियोजनाओं की संख्या और इस में लगाई गई पूंजी की मात्रा ज्यादा होने के कारण तिब्बत स्वायत्त प्रदेश ने विशेष तौर पर परियोजना समन्वय कार्य दल स्थापित किया है और राजधानी ल्हासा, शिकाज़े प्रिफैक्चर, लोका प्रिफैक्चर और आली प्रिफैक्चर चार स्थलों में परियोजना कार्यान्वयन निर्देशन विभागों की स्थापना की है। शिकाज़े प्रिफैक्चर के प्रमुख नेता श्री श्यू क्वांग श्ये ने कहा कि मौजूदा मरम्मत परियोजना के दौरान पूर्व की स्थिति को बरकरार रखने के उसूल पर अडिग रहा जाएगा । उन का कहना है:

"हम सांस्कृतिक विरासत से जुड़ी'संरक्षण को प्रधानता देकर बचाव कार्य को महत्व देने और उचित वस्तुओं का प्रयोग कर प्रबंधन को मज़बूत करने'वाले उसूल पर डटे रहेंगे, पूर्व की स्थिति को बनाए रखने वाली सांस्कृतिक विरासत के मरम्मत सिद्धांत का पालन करेंगे, परम्परा का सम्मान कर नये ज्ञान व तकनीक पर निभर रहकर तिब्बती व हान जाति की विशेषताओं को मिश्रित करेंगे, ताकि एक दूसरे की श्रेष्ठताओं की आपूर्ति हो सके और मरम्मत कार्य की गुणवत्ता की गारंटी की जा सके ।"

इस लेख का दूसरा भाग अगली बार प्रस्तुत होगा, कृप्या इसे पढ़े।(श्याआओ थांग)