2008-10-25 18:59:58

सातवें एशिया यूरोप शिखर सम्मेलन में अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय स्थिति के बारे में एक वक्तव्य

दो दिवसीय सातवां एशिया यूरोप शिखर सम्मेलन 25 तारीख को पेइचिंग में संपन्न हुआ । अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय सवाल मौजूदा सम्मेलन का मुख्य विषय बन गया। सम्मेलन में उपस्थित विभिन्न सदस्यों के नेताओं ने गहन रूप से विश्व और एशिया यूरोप के क्षेत्रीय अर्थतंत्र पर वित्तीय संकट के प्रभाव का अध्ययन किया और जल्दी ही विश्व आर्थिक वृद्धि बढ़ाने के लिए कदम उठाने का वचन दिया और अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय स्थिति के बारे में सातवें एशिया यूरोप शिखर सम्मेलन का वक्तव्य पारित किया ।

सातवां एशिया यूरोप शिखर सम्मेलन अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय संकट जोर पकड़ने की स्थिति में आयोजित हुआ है । सम्मेलन के मेजबान देश के नाते चीन ने सम्मेलन के मुख्य विषयों में तब्दीली की और अन्तरराष्ट्रीय अर्थतंत्र और वित्तीय स्थिति को सम्मेलन का मुख्य मुद्दा बनाया और पहलकदमी के साथ विभिन्न सदस्यों से तालमेल कर एशिया यूरोप को संयुक्त रूप से संकट का सामना करने के लिए प्रेरित किया । 24 तारीख की सुबह सातवें शिखर सम्मेलन के प्रथम पूर्णाधिवेशन की अध्यक्षता करते समय चीनी प्रधान मंत्री वन चापो ने कहाः

मौजूदा सम्मेलन में अन्तरराष्ट्रीय आर्थिक वित्तीय स्थिति पर विचार विमर्श किया जाएगा। हम ने इसलिए आर्थिक व वित्तीय सवाल को मुख्य अजंडा बनाया है, क्योंकि वह वर्तमान अन्तरराष्ट्रीय क्षेत्र का सर्वाधिक ध्यानाकर्षक सवाल है और एशिया यूरोप शिखर सम्मेलन के सदस्यों के मूल हितों से जुड़ने वाला सवाल भी । वर्तमान अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय संकट एक अभूतपूर्व गंभीर संकट है। इस का सामना करने के लिए संबंधित देशों व संगठनों ने कदम उठाए हैं, हमारी आशा है कि उन में शीघ्र ही सफलता मिलेगी। संकट पर विजय पाने के लिए पूरे विश्व के संयुक्त प्रयासों की आवश्यकता है । एशिया और यूरोप के देश अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय स्थिरता बनाए रखने तथा विश्व आर्थिक वृद्धि बढ़ाने वाली अहम शक्ति है। हमें चाहिए कि एकजुट हो कर विश्व के सामने विश्वास , एकता और सहयोग दिखाएं ।

सम्मेलन में अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय स्थिति के बारे में एक वक्तव्य जारी किया गया । वक्तव्य में कहा गया है कि सम्मेलन में उपस्थित नेताओं का यह समान मत है कि लगातार फैलने वाले अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय संकट ने विश्व अर्थव्यवस्था, खास कर एशिया व यूरोप की वित्तीय स्थिरता व आर्थिक विकास के लिए बड़ी चुनौति खड़ी कर दी है। चुनौति के सामने विभिन्न देशों को कारगर उपाय लेना चाहिए। फ्रांसीसी राष्ट्रपति श्री सार्कोजी ने यूरोप और एशिया से एक साथ प्रयास कर एक दूसरे की खुबियों से सीखने की अपील की । उन्हों ने कहाः

एशिया और यूरोप के पास विश्व की दो तिहाई जन संख्या और आधी संपत्ति होती है। एशिया और यूरोप इन चुनौतियों का मुकाबला करने में समर्थ हो या नहीं, यह हमारे सामने खड़ा एक सवाल है । सहयोग करना हमारे लिए एक विकल्प नहीं है , बल्कि एक मिशन है । यूरोप को एशिया की वृद्धि , बुद्धिमत्ता और सृजनशक्ति की जरूरत है और एशिया को यूरोप के तकनीकों, अनुभवों और स्थिरता की आवश्यकता है।

वक्तव्य में यह भी कहा गया है कि विभिन्न देशों को समय रहते ही कारगर कदम उठाना चाहिए, उचित रूप से संकट की चुनौति का मुकाबला करना चाहिए। विभिन्न सदस्यों के नेतागण ने अन्तरराष्ट्रीय मुद्रा व वित्तीय तंत्र का कारगर व संपूर्ण सुधार करने की प्रतिबद्धता जाहिर की और 15 नवम्बर को वाशिंगटन में वित्तीय संकट पर अन्तरराष्ट्रीय शिखर सम्मेलन के आयोजन का समर्थन किया । क्या इस वक्तव्य के चलते विश्व वित्तीय बाजार को स्थिर बनायी जा सकेगी , इस के बारे में चीनी आधुनिक संबंध अध्ययन अकादमी के विश्व अर्थ अनुसंधान प्रतिष्ठान के प्रधान सुश्री छन फङइंग ने कहाः

इस वक्तव्य के तीन महत्व है । पहला, अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय स्थिति पर पूरे विश्व का ध्यान दिया जाना चाहिए , यूरोप व एशिया के बीच सहयोग होना चाहिए । दूसरा, विश्व अर्थतंत्र पर वित्तीय संकट के प्रभाव का आकलन किया जाना चाहिए। तीसरा, भावी वित्त व्यवस्था के सुधार के लिए सहमति होना चाहिए, ताकि विश्व संयुक्त रूप से वर्तमान वित्तीय व्यवस्था की कमियों को दूर किया जाए ।