2008-10-23 10:12:18

खेल फ़िल्मों में मानव की प्रगति की भावना की अभिव्यक्ति

वर्ष 2008 का पैरा आलंपिक धूमधाम से आयोजित हुआ है, विकलांग खिलाड़ियों की कोशिश, दृढ़ता व आत्मनिर्भरता को लोगों का विस्तृत सम्मान मिला है। प्रतियोगिता मैदान के बाहर《मेरा भाई आन श्याओ थ्येन》नामक फ़िल्म ने भी दर्शकों को विकलांग खिलाड़ियों की कोशिशों से परिचय करवाया।

फिल्म《मेरा भाई आन श्याओ थ्येन》की पृष्ठभूमि वर्ष 2007 में आयोजित शांघाई विशेष आलंपिक है। इस फ़िल्म ने मंदबुद्धि व्यक्ति तथा उन के परिवारजनों के अनजाने जीवन को दिखाया। प्रधान पात्र विशेष आलंपिक के खिलाड़ी आन श्याओ थ्येन के अभिनेता एक मंदबुद्धि व्यक्ति हैं, उन का नाम है ले ज्युन शन। ले ज्युन शन का प्रदर्शन सरल है। पात्र की भूमिका को अच्छी तरह से दिखाने के लिये उन्होंने बहुत मुश्किलों को दूर किया। श्री ले ज्युन शन ने कहा कि,《मेरा भाई आन श्याओ थ्येन》नामक इस फ़िल्म में मैं प्रधान पात्र हूं। मेरी छोटी बहन ने मेरी देखभाल की। मेरा प्रदर्शन व्यवसायिक है और वास्तविक है। फिल्म बनाते समय हम होटल में एक साल रहे। हर सुबह आठ बजे से मैंने पात्र के संवादों का अभ्यास शुरू किया और अंत में मैंने पटकथा के सारे संवाद याद कर लिए।

इस फ़िल्म के निर्देशक श्री श्ये च्या ल्यांग ने कहा कि कैमरे के सामने ले ज्युन शन की प्रदर्शन करने की इच्छा बहुत तीव्र है। पिछले समय में मंदबुद्धि व्यक्तियों को शायद अक्सर उपेक्षा व भेदभाव वाला व्यवहार ही मिलता आया है। उन्हें लोगों का ध्यान व सम्मान चाहिए। श्री श्ये च्या ल्यांग ने पहली बार इस प्रकार की फ़िल्म बनायी। उन्होंने बहुत से विकलांग व्यक्तियों के परिवारों में जाकर इन्टरव्यू लिया, और समाज में ज्यादा से ज्यादा लोगों से विकलांग व्यक्तियों की ओर ध्यान देने की अपील की। श्री श्ये च्या ल्यांग ने कहा कि, इस फ़िल्म को बनाने की सब से बड़ी इच्छा यह थी कि ज्यादा से ज्यादा लोग इस फ़िल्म को देख सकेंगे। मेरा लक्ष्य यह है कि लोग शांत होकर अक्सर उपेक्षा के शिकार मंदबुद्धि व्यक्तियों को समझ सकते हैं। हमारी सब से बड़ी आशा है कि ज्यादा लोग विकलांग व्यक्तियों को समझ सकें, और उन के साथ सामान्य लोगों की तरह व्यवहार कर सकें। लोगों को मंदबुद्धि व्यक्तियों को प्रोत्साहन देना चाहिए, और मुस्कुराहट देनी चाहिए।

इस फिल्म को दर्शकों का विस्तृत अच्छा मूल्यांकन मिला है। एक दर्शक, जो मीडिल स्कूल के अध्यापक हैं, ने कहा कि मंदबुद्धि व्यक्ति बहुत नन्हा होता है। हमें उन के साथ भेदभाव नहीं करना चाहिये। मंदबुद्धि व्यक्ति का परिवार सचमुच ही आसान नहीं है। वे लोगों के सम्मान व प्रशंसा के योग्य हैं।

और कुछ आलंपिक से संबंधित फ़िल्में भी क्रमशः दर्शकों के सामने दिखायी गयीं। 《वर्ष 2008 का सपना》नामक बड़ी फ़िल्म ने वृत्तचित्र की शैली से वर्ष 2001 में चीन को आलंपिक के आवेदन में सफलता मिलने से शुरू होकर आम लोगों की दृष्टि से पेइचिंग आलंपिक के तैयारी कार्य में कुछ अनजानी कहानियों को बताया। इस फ़िल्म की निर्देशक सुश्री कू च्युन ने परिचय देते हुए कहा कि, इस फ़िल्म में कई लोगों के अपने सपनों को साकार करने की कहानियां बतायी गयीं हैं। क्योंकि यह एक वृत्तचित्र है, इसलिये यह तथ्यों पर आधारित है,इस के पात्र भी सच हैं । इसलिये यह सभी रचनाकारों के लिये एक गंभीर चुनौती है। इस के अतिरिक्त हमने फ़िल्म बनाने के साथ-साथ आवाज़ भी रिकार्ड की है। जब लोग महान दृश्यों के प्रति प्रभावित हुए हैं, तो यह वास्तविक आवाज़ की भूमिका है।(चंद्रिमा)