समानव अंतरिक्ष परियोजना राकेट, अंतरिक्षयान, नियंत्रित दूर संचार आदि सात व्यवस्थाओं से जुड़ी हैं, जो वर्तमान दुनिया की सबसे जटिल, सबसे विशाल व सबसे जोखिम परियोजना मानी जाती है, इस के साथ वह तकनीकी एकत्रित की घनिष्ठता में सबसे भरपूर व उच्च कोटि विज्ञान तकनीक से भरी सामूहिक सर्वोच्च विज्ञान तकनीकी परियोजना भी है। चीनी समानव अंतरिक्ष परियोजना के उप निर्देशक चांग च्ये छी ने कहा कि यदि हमें सर्वोच्च विकसित विज्ञान तकनीक व वैज्ञानिक अनुसंधान क्षमता हासिल न होती ,तो हमारे लिए अंतरिक्ष में स्पेस वाक करना बिल्कुल असंभव होता। उन्होने कहा हमारे अंतरिक्षयान के एयर लोक मोडयूल को रिसाव व दोहरे दबाव तकनीक का सामना करने के अलावा अपने देश द्वारा निर्मित अंतरिक्षयात्री सूट व माइक्रो मशीनरी तकनीक व कुछ नवीन सामग्री आदि तकनीको पर माहिरता हासिल करने के कार्य को बखूबी अंजाम देना एक अत्यन्त महत्वपूर्ण कार्य रहा है।
श्री चांग च्येन छी की जानकारी के अनुसार, सनचओ सात समानव अंतरिक्षयान परियोजना में करीब एक लाख इंजीनियरों समेत एक सौ से अधिक वैज्ञानिक संस्थाओ व उद्योगों ने भी भाग लिया था। समानव अंतरिक्ष तकनीक एक विविध तकनीकों से जुड़ी एक भव्य समूह तकनीक परियोजना है, वह एक देश की समग्र विज्ञान तकनीक शक्ति का जीता जागता गवाह है। वर्ष 1999 में चीन द्वारा समानव अंतरिक्ष परियोजना का पहला मानव रहित परीक्षण शुरू किए जाने के बाद ,वर्ष 2003 में चीन का पहला अंतरिक्षयात्री यांग ली वए ने अंतरिक्ष की सफल यात्रा की। 2005 में दो चीनी अंतरिक्षयात्रियों ने अंतरिक्ष में अनेक दिनों की सफल उड़ान भरी, इस के बाद इस साल चीनी अंतरिक्षयात्री चाए ची कांग ने चीनी लोगों के अंतरिक्ष में पहली चहलकदमी की, सनचओ सात अंतरिक्षयान के प्रमुख डिजाइनर चओ च्येन फिंग की बात के अनुसार, चीन के समानव अंतरिक्ष परियोजना ने चीन के विज्ञान तकनीक के विकास स्तर को बेहतरीन रूप से दर्शाया है। उन्होने कहा सनचओ सात अंतरिक्षयान का मिशन चीन के समानव अंतरिक्ष के दूसरी परियोजना की पहली उड़ान मिशन है, इस के बाद, समानव अंतरिक्ष परियोजना में दो अंतरिक्ष संयंत्र को एक साथ जोड़ने की उड़ान की जाएगी इन कार्यों के पूरा होने के बाद, हम अंतरिक्ष में स्पेस स्टेशन की स्थापना करने की बुनियादी तकनीक हासिल कर लेगें और अंतरिक्ष में अपनी प्रयोगशाला व स्पेस स्टेशन निर्मित करेगें।
अलबत्ता आज जो हमने तरक्की प्राप्त की है वे पिछले 30 सालों में चीनी लोगों के लिए केवल एक दूर सपना ही था। उस समय चीन के पास न ही अंतरिक्ष राकेट था , न ही अन्तरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा शक्ति वाली विज्ञान तकनीक दल , यहां तक कि बुनियादी आधारभूत विज्ञान तकनीक साज सामान को विदेशों से आयात करना पड़ता था। 1978 में चीन ने सुधार व खुलेपन की नीति लागू करना शुरू किया, चीन के विज्ञान तकनीक विकास में यथार्थ परिवर्तन हुआ। उस साल के वसंत में चीन ने राष्ट्रीय विज्ञान सम्मेलन बुलाया, चीन के सुधार व खुलेपन के प्रमुख डिजाइनर तंग श्याओ फिंग ने सम्मेलन में विज्ञान तकनीक को उत्पादन शक्ति में बदलने की मशहूर कथनी पेश की, तब से चीन का विज्ञान तकनीक वसंत काल में प्रवेश कर गया।
तब से चीन ने विज्ञान तकनीक पहली उत्पादन शक्ति है कि रणनीतिक विचारधारा को निश्चित किया और विज्ञान तकनीक पर बल देने की परियोजना तैयार की। इस के लिए चीन ने विज्ञान तकनीकी के विकास व सुयोग्य व्यक्तियों के प्रशिक्षण की व्यवस्था का निर्माण किया और स्वंय निर्मित व अविष्कृत क्षमता को उन्नत करने की परियोजना को राष्ट्रीय रणनीति का एक भाग तय किया। चीनी राष्ट्राध्यक्ष हू चिन थाओ ने हाल ही में आयोजित चीनी विज्ञान तकनीक कार्य का विस्तृत वर्णन करते हुए कहा स्वंय सृजन व अविष्कार की क्षमता को विज्ञान तकनीक विकास के सर्वप्रथम कार्य निश्चित किया जाना चाहिए और स्वंय अविष्कार क्षमता के लिए पूंजी निवेश पर बल देने के साथआर्थिक व सामाजिक विकास में रूकावट को मिटाने वाली कुंजीभूत तकनीकों को हासिल करने में पूरी कोशिश की जानी चाहिए। हमें महत्वपूर्ण क्षेत्रों में कुछ केन्द्रीय तकनीक हासिल करने के साथ साथ अपनी स्वंय बौद्धिक संपदा अधिकार को भी हासिल करने पर पूरा बल देना चाहिए, ताकि विविध विषयों व अनेक क्षेत्रों के बीच बेहतरीन ताल मेल बिठाया जा सके।
यह कारण है कि पिछले चन्द दसेक सालों में , चीन का विज्ञान तकनीक कार्य में नया काया पलट आया है और विज्ञान शक्ति की उन्नति तीव्र बनी रही है। वर्तमान पूरे समाज के अनुसंधान विकास में चीन सरकार हर साल 3 खरब य्वान खर्च करती आयी है, जो विश्व के पांचवे स्थान पर गिना जाता है। चीनी विज्ञान तकनीक मंत्रालय के नीति-कानून व व्यवस्था सुधार के निदेशक मए युंग हुंग ने विशलेषण करते हुए कहा कई सालों में हमारे देश ने विज्ञान तकनीक में भरपूर भंडार प्राप्त किया है। हमारे पास विश्व के कम देशों को हासिल होने वाली एक परिपूर्ण विज्ञान तकनीकी व्यवस्था है। इस के अलावा, हमने प्रचुर विज्ञान तकनीकी मानव संसाधन भी एकत्र किए हैं, यह सभी दुनिया के अग्रिम पंक्ति में माने जाते हैं।
इसी आधार पर इधर के सालों में चीन ने विज्ञान तकनीक में भारी उत्पादन फसल हासिल की है। बुनियादी अनुसंधान क्षेत्र में हम विश्व की अव्वल स्थान पर हैं, हमने अलग तौर से कोलीडार के जरिए नवीन पार्टीकल को खोज निकाला है, धान के चौथे क्रोमोसोम के परीक्षण आदि अनेक प्रभावशाली अनुसंधान कार्यों में उल्लेखनीय प्रगति प्राप्त की हैं। चीन के विज्ञानी अनेक उच्च कोटि तकनीक व अग्रिम तकनीक मोर्चे में अपनी प्रतिष्ठा स्थापित की है और एक जत्थे के उच्च कोटि तकनीक की माहिरता हासिल की है। मिसाल के लिए, चीन ने 2005 में खुद अपनी शक्ति के आधार पर विश्व समुन्नत स्तर की लुंग चिप प्रोसेसर संयंत्र का अविष्कार किया । इस परियोजना के प्रभारी हू वए उ ने जानकारी देते हुए कहा (आवाज 6) डिजाइन के पहलु में लुंग चिप विश्व समुन्नत तकनीक स्तर पर जा पहुंचा है। वह अमरीका, जापान द्वारा विकसित प्रोसेसरों के अलावा विश्व का प्रथम उच्च कोटि क्षमता प्राप्त प्रोसेसर संयंत्र है। उसकी गणना गति प्रति सैकंड 4 अरब है, उसकी उर्जा खपत बहुत ही कम है। वर्तमान उक्त चिप ने जत्थे उत्पादन को पूरा कर लिया है और जत्थे में ग्राहकों को बेचा जा सकता हैं।
आंकड़े बताते हैं कि इधर के सालों में चीन प्रति वर्ष कोई 20 हजार से अधिक विज्ञान तकनीक मुददे तैयार करने में सक्षम रही है, इन में उर्जा, कृषि व पारिस्थितिकी संरक्षण आदि अनेक क्षेत्र शामिल हैं, विज्ञान तकनीक का सामाजिक व आर्थिक विकास की भूमिका अधिकाधिक उल्लेखनीय व प्रबल होती जा रही है। छिंगहाए-तिब्बत रेलवे, यांगत्सी त्रिघाटी जल संरक्षण जैसी परियोजनाएं उल्लेखनीय हैं। सनचओ सात अंतरिक्षयान अपने नियमित समय के मुताबिक 28 तारीख को धरती पर वापस लौट आया है, पूरा चीन हर्षोल्लास की खुशियों में झूम रहा है।सनचओ सात अंतरिक्षयान के प्रमुख डिजाइनर चओ च्येन फिंग ने कहा कि चीनी लोगों का अंतरिक्ष में उड़ने का सपना अभी अभी ही शुरू हुआ है, चीन का विज्ञान तकनीक कार्य ने भी अभी अपना पहला कदम बढ़ाया है। उन्होने कहा अंतरिक्ष खोज व मानव के जीने का वायु मंडल को विस्तृत करना, पूरे मानव की चिरस्थायी अभिलाषा है। हम अपनी राष्ट्र के अर्थतंत्र शक्ति से मेल रखने वाली अंतरिक्ष विज्ञान के कदम को आगे बढ़ाएगें और समानव अंतरिक्ष गितविधियों के विकास को प्रेरित करेगें, ताकि मानव अंतरिक्ष में अधिक दूर तक कदम बढ़ाता रहे और बराबर नयी खोज करता रहें।