2008-10-22 16:08:04

राजहंस का मौत

दक्षिण चीन में एक विशाल थाई हु झील है , जब रात आती है , झील के तटों पर सफेद रंग के राज हंसों का एक झुंड आ कर रात गुजराता है । वे सभी मिल कर किसी सुरक्षित स्थान में रहते हैं , ताकि शिकारी के निशाने से बच जाए । अपनी सुरक्षा के लिए सोने से पहले वे दल के एक सदस्य को पहरा देने के लिए चुनते हैं और जब कभी खतरा की आशंका हुई , तो वह पहरी राज हंस आवाज देते हुए सबों को चैतावनी देता है । इस प्रबंध के बाद दूसरे राज हंस निश्चिंत रूप से नींद से सो सकते हैं ।

आहिस्ते आहिस्ते , शिकारी को राज हंस दल में पहरा देने के इस नियम का पता चला और उन्हें एक चाल सुझा । रात आई , शिकारियों ने झील के किनारे जहां राजहंस विश्राम कर रहे हैं , उस से कुछ दूरी पर आग जलाई , आग की रोशनी से चौंक कर पहरा देने वाला राज हंस गा-गा की आवाज देते हुए चैतावनी देना शुरू किया , एन मौके पर शिकारियों ने आग को बुझा डाला , जब सभी राज हंस चैतावनी की आवाज से जगे , तब उन्हों ने वहां बड़ी शांति पायी , कोई खतरे का आसार नहीं दिखा । वे फिर सो गए । शिकारियों ने पुनः आग जलायी , पहरी हंस ने पुनः चैतावनी दी और सभी राज हंस पुनः जगे , पुनः स्थिति बड़ी शांत पायी गई , इस प्रकार ऐसा चार पांच हुए और परेशानी से सभी राज हंसों की नींद खराब हो गई , लेकिन कुछ भी खतरा नहीं देखने को मिला , वे समझते हैं कि पहरा देने वाला हंस उन्हें धोखा दे रहा है , तो उन्हों ने मिल कर पहरी राज हंस की चोंच लगा लगा कर खूब मरम्मत की । पुनः वे गहरी नींद से सो गए । जब राज हंस दल गहरी नींद के सागर में डुबा , तो शिकारी मशाल उठाते हुए धीरे धीरे उन के पास बढ़ने लगे , पहरा देने वाला राज हंस को पहले की सबक ले ली है , इस समय उसे जल्दबाजी से चैतावनी की आवाज देने की हिम्मत नहीं आई , इस प्रकार , सभी राज हंस शिकारियों के हाथ में पड़ गए ।

यह कथा तो खत्म हुई , पर इस नीति कथा से लोगों को यही शिक्षा मिल सकती है कि किसी जटिल स्थिति में लोगों को ठंडे दिमाग से काम लेना चाहिए , असली स्थिति का साफ साफ पता चलना चाहिए ताकि किसी की चाल में ना फंस जाए । दूसरी तरफ यदि लोग अपना काम को सफल बनाना चाहते हैं , तो उन्हें इस काम का नियम अच्छी तरह जानना समझना चाहिए और उस नियम से लाभ लेने की कोशिश करना चाहिए . जैसा कि शिकारी ने किया था ।

                                                                       तीर कमान की परछाई से डर

बहुत पहले की बात थी , चीन के किसी शहर में ले-क्वांग नाम का एक अफसर रहता है , उस का एक अच्छा दोस्त था , जो अकसर उस के घर आ कर खाना खाता था और कप्शप मारता था । लेकिन एक बार बहुत लम्बा समय बीत चुका था , उस का वह दोस्त घर नहीं आया , अफसर को उस की काफी याद आई , वह उस का हालचाल पूछने खुद दोस्त के घर पहुंचा , वहां उस ने देखा कि दोस्त पलंग पर लेटे गंभीर बीमारी से पीड़ित हुआ सा लग रहा है , उस का चेहरा भी बहुत मीलिन रहा है । अफसर को अब मालुम हुआ कि दोस्त गंभीर बीमारी पड़ा है , तो उस ने दोस्त से बीमारी का कारण पूछा , पहले दोस्त ने बात को टालते हुए कारण बताना नहीं चाहा , बार बार पूछने पर दोस्त ने कहा कि एक दिन आप के घर पर मदिरा पी रहा था , उस वक्त मुझे मदिरा कटोरी में एक छोटा सा सांप तैरता हुए नजर आया , सांप का रंग नीला था , बीच बीच में लाल फुल जैसा धब्बा अंकित था । सांप देख कर मैं काफी घबराया , मैं मदिरा पीना छोड़ना चाहता हूं , लेकिन आप ने बार बार मुझ से मदिरा लेना कहा , शिष्टाचारी के कारण मैं ने आंखें बन्द कर इस कटोरी का मदिरा गले के नीचे डाल दिया । उसी समय से मुझे महसूस हुआ कि मेरे पेट में एक सांप रेंग रहा हो । उल्टी काफी आती है , खाना खाने का मन लहीं लगा । पिछले आधा महीने से ऐसी ही खराब सेहत में पड़ा रहा हूं । ले -क्वागं को दोस्त की बातों पर बड़ा ताज्जुब हुआ , उसे समझ में नहीं आ रहा था कि सांप अखिरकार किस तरह मदिरा कटोरी में घूस आया । लेकिन दोस्त से साफ साफ कहा था कि उस ने कटोरी में सांप देखा है । आखिर असलियत क्या है , वह इस प्रकार के सोच बुन में घर वापस आया । घर के हॉल में वह घूमता टहलता इस आश्चर्य चकित बात पर सोच विचार कर रहा था , अनायास उस ने दीवार पर लटकाए अपना तीर का कमान देखा , वह कमान नीले और लाल रंगों से रंगित हुआ है । क्या वह सांप इसी कमान की परछाई है , यही विचार ले क्वांग के दिमाग में चौंकचौंध आया , वह तुरंत एक मदिरा कटोरी में शराब डाल कर लाया और मेज पर रख कर उसे कई स्थानों पर घूमाया , एक जगह पर उस ने पाया कि दीवार पर लटकाए कमान की परछाई मदिरा कटोरी में पड़ गई , लहराते हुए शराब में वह परछाई देखने में बिलकुल एक तैरता हुआ सांप जान पड़ता है और उस का रंग भी नीला और बीच बीच में लाल लाल दिखा है ।

ले -क्वांग उसी दिन अपने दोस्त को पालकी में बिठा कर घर ले आया , उसे पुनः उसी जगह पर बिठाया , जहां पन्दरह दिन पहले वह बैठा था , उस के सामने पहले की वही मेज रखी गई और पहले की उसी कटोरी में मदिरा डाला गया । उस ने दोस्त से कहा कि अब देखो , मदिरा कटोरी में क्या है । दोस्त ने सिर झुका कर देखा , तुरंत चिल्लाते कहा , सांप , सांप । वही नीला व लाल रंग का सांप । ले-क्वांग ऊंजी आवाज में हंसते हुए दीवार की ओर इशारा किया , देखा , दीवार पर देखा , वह क्या है । दोस्त ने दीवार पर लटकाए कमान पर गौर करने के बाद फिर कटोरी में तैरता सांप पर नजर डाली , अनायास उसे समझ में आया , इसी वक्त उस की परेशानी एकदम मिट गई और पूरी तरह निश्चिंत हो गया । बेशक उस की बीमारी भी दूर हो गई ।

यह नीति कथा पर आधारित एक चीनी कहावत प्राचीन काल से अब तक चीन में खूब प्रचलित है , चीनी भाषा में कहावत( पे कुंग शे इंग )कहलाता है , हिन्दी में कहावत का अनुवाद है मदिरा कटोरी में कमान की परछाई सांप बन गई । यह कथा लोगों को बताती है कि मिथ्या या बाहरी बात से शंका दूर करो , अकारण से किसी पर संदेह ना पैदा हो , असली बात की जांच पड़ताल करो , तब किसी भी रूप की धोखे में नहीं आ सकता है ।