2008-10-22 14:21:20

भारत और पाकिस्तान ने फिर से कश्मीर सीमा व्यापार शुरू किया

21 तारीख को मालों से भरी कुछ लारियों विभिन्न समान लादे अलग अलग तौर से भारतीय प्रशासित कश्मीर और पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर से सैनिकों के कड़े पहरे की वास्तविक नियंत्रण रेखा की ओर रवाना हुई। वर्ष 1948 के बाद के 60 सालों के युद्ध स्थिति के कारण, अनिश्चित समय तक के लिए बन्द कर दी गयी उक्त खतरे से भरा यह व्यापारिक रास्ता ,फिलहाल स्थानीय लोगों की समृद्धि व आशा का मार्ग बन गया है और वह दोनों देशों की समझ , विश्वास व शान्ति के रास्ते में कदम बढ़ा रहा है।

भारतीय प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह और पाकिस्तान के राष्ट्रपति जरदारी द्वारा पिछले महीने न्यूयार्क के संयुक्त महा सभा के दौरान संपन्न समझौते के अनुसार, भारत और पाकिस्तान इस महीने की 21 तारीख से कश्मीर क्षेत्र में सीमा व्यापार खोल देगा और एक दूसरे को स्थानीय उत्पादों , प्रोसेसिंग फल, सब्जी, सूखे फल, कृषि उत्पाद व दस्तकारी आदि सामग्रियों का आयात व निर्यात करेगे। इस बार के खोले दो सीमा मार्गों में अलग अलग तौर से श्रीनगर के मुज्फाराबाद और पूंछ के रावलपिंडी शामिल हैं।

पिछले एक महीने में इस शुभ दिन का स्वागत करने के लिए, भारत और पाकिस्तान दोनो पक्ष शुरू से ही व्यस्त रह रहे हैं। उन्होने व्यापारिक मार्गों पर नया तारकोल बिछाया और वाहनों पर पाबन्दी किए गए रास्तों के अन्तिम पढ़ाव में मालों के उतार चढ़ाव व्यपारिक केन्द्र के निर्माण करने की सुविधा प्रदान की है।

21 तारीख की सुबह श्री नगर के मुज्फाराबाद के मार्गों के दोनों ओर हर्षोल्लास का माहौल जहां तहां दिखाई दे रहा था। भारतीय नियंत्रित क्षेत्र के स्थानीय अधिकारी वोहरा ने श्री नगर के सलामाबाद व्यापारिक केन्द्र में सीमा व्यापार की शुरूआत की रस्म का आयोजन किया, रंगबिरंगे वस्त्रों पहने लोग खुशियों का जश्न मना रहे थे। पहले जत्थे की रंगबिरंगे रंगो से सुसज्जित 14 लारियां फल, सूखे फल, शहद व कारपेट आदि सामग्रियां लादे सलामाबाद से पाकिस्तान नियंत्रित मुज्जफाराबाद की ओर रवाना हो गयी।

पाकिस्तान पक्ष की तैयारियों के अपर्याप्त होने के कारण सीमा व्यापार के समय को 22 तारीख तक स्थगित करना पड़ा। भारतीय व्यापारियों ने फिर भी 21 तारीख को सब्जी व फल आदि सामग्रियों को पाक के नियंत्रित सीमा तक पहुंचा दिया। भारतीय वाणिज्य व औद्योगिक संघ के अध्यक्ष राम सहाए ने कहा कि आज की सामग्रियां व्यपारिक माल नहीं थे, वे पाक दोस्तों को दिए गयी हमारी दोस्ती की भेंट ही थी।

संबंधित योजना के अनुसार, इन दो रास्तों की सीमा के व्यापारिक वाहन एक दूसरे के नियंत्रित क्षेत्रों के 20 किलोमीटर अन्दर तक के व्यापारिक केन्द्र में अपना माल उतार सकती है, इस के बाद वहां के वाहन उसे गंतव्य स्थानों में पहुंचा देगी। हरेक व्यापारिक कार्यवाही से पहले, सीमापार वाहन के ड्राइवरों को वास्तविक सीमा रेखा को पार करने के लिए व्यक्तिगत अनुमति कार्ड लेने की जरूरत है । हालांकि इस से सुविधा घट जाती है तो भी स्थानीय व्यापारी इस पर काफी संतोषजनक हैं। उन्होने हमें बताया कि यह एक अच्छी शुरूआत है, आशा है कि इस व्यापारिक रास्ते के खोले जाने के बाद कश्मीर क्षेत्र में फिर से समृद्धि की किरणें देखी जा सकेगीं।

विश्लेषकों का मानना है कि कश्मीर क्षेत्र में फिर से सीमा व्यापार शुरू होने से न केवल भारत-पाक व्यापारिक संबंध सुदढ़ होगें, आपसी समझ बढ़ेगी, स्थानीय लोगों को खुशहाली मिलेगी , बल्कि इस से कहीं अधिक दोनों देशों में शान्ति आएगी और तनावपूर्ण संबंध को हल्का कर भारत-पाक शान्ति प्रक्रिया को फिर से आगे बढ़ाया जा सकेगा।

भारत और पाकिस्तान के बीच 2004 से शान्ति बातचीत प्रक्रिया शुरू करने के बाद से अब तक पांच दौर की वार्ताए हो चुकी हैं। वार्ताओं के दौरान, भारत और पाकिस्तान ने कश्मीर समेत अनेक द्विपक्षीय सवालों पर नियमित बातचीत जारी रखी है, लेकिन अब तक मतभेदों के समाधान का कोई चारा नहीं निकाला जा सका है। 2005 में दोनों देशों ने कश्मीर क्षेत्र की वास्तविक नियंत्रित रेखा में बस सेवा शुरू की। वर्ष 2006 में कश्मीर क्षेत्र में सीमा पार रेलवे खोली गयी, इस से दोनों देशों के संबंध व लोगों के आवाजाही को भारी प्रेरणा हासिल हुई।

फिलहाल दोनों देशों के व्यापारिक रास्तों के फिर से खोले जाने से इस शान्ति प्रक्रिया को एक नया उज्जवल भविष्य देखने को मिल रहा है। जैसे कि कुछ विशलेषकों ने कहा है कि व्यापारिक मार्गों के फिर से खोलने से हालांकि इतनी जल्दी स्थानीय अर्थतंत्र को तुरन्त लाभ तो नहीं पहुंच सकेगा और पूरी तरह कश्मीर विवाद को भी हल नहीं किया जा सकता है, तो भी इस से साबित होता है कि दोनों देश शान्ति प्रयास के वचनों को निभाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जबकि यह कश्मीरी जनता की हार्दिक आशा है।