2008-10-21 16:11:04

चीनी धार्मिक नेताओं ने शांति के लिए योगदान करने की इच्छा व्यक्त की

27 अक्तूबर को उद्घाटित एशिया धर्म व शांति सभा का सातवां सम्मेलन 21 तारीख को फिलिपीन्स की राजधानी मनिला में समाप्त हुआ, चीनी धार्मिक नेताओं ने सम्मेलन के बाद संवाददाताओं से कहा कि वे शांति व कल्याण के विकास में धर्म की भूमिका को विकसित करने और एशिया की शांति कायम करने और सामंजस्यपूर्ण दुनिया का लक्ष्य पाने के लिए अपना योगदान करेंगे।

मौजूदा एशियाई धर्म व शांति सम्मेलन का मुख्य विषय एशिया की शांति कायम करना है। विश्व के कुल 30 देशों व क्षेत्रों के 300 से अधिक प्रतिनिधियों ने सम्मेलन में भाग लिया। एशियाई धर्म व शांति संगठन के सदस्य के रूप में चीनी धार्मिक शांति कमेटी ने 28 सदस्यी प्रतिनिधि मंडल भेजा, जो चीन के पांच प्रमुख धर्मों यानी बौद्ध, ताओ, इस्लाम, कैथोलिक और क्रिश्चियन से आए हैं ।

चीनी धार्मिक शांति कमेटी के प्रतिनिधि मंडल के नेता, चीनी कैथोलिक देशभक्ति सोसाइटी के स्थाई उपाध्यक्ष ल्यू पोनान ने कहा कि चीनी धार्मिक जगत बाहर आकर एशिया की शांति के लिए सुझाव देने में सक्रिय रहा है , जो चीनी धार्मिक शांति कमेटी के मूल सिद्धांत से मेल खाता है। उन्हों ने कहाः

चीन में विभिन्न धर्मों का स्थान समान होता है और वे मेलमिलाप के साथ रहते हैं और उन के बीच कभी मुठभेड़ नहीं हुई है। चीन के पांचों मुख्य धर्मों के व्यक्तियों से गठित धार्मिक शांति कमेटी हमेशा मैत्री , शांति , विकास व सहयोग के सिद्धांत पर कायम रहती है और चीनी धार्मिक जगत की देशभक्ति, धर्म से प्यार और शांति के समर्थन की श्रेष्ठ परंपरा बनाए रखे हुए है और सक्रिय रूपसे विश्व व क्षेत्रीय व विभिन्न देशों के धार्मिक शांति संगठनों के साथ आदान प्रदान व सहयोग करता है तथा देश के एकीकरण की रक्षा करता है एवं विश्व शांति व समान विकास को बढ़ावा देता है।

चीन में अनेक धर्म चलते हैं, जिस में बौद्ध, ताओ, इस्लाम , कैथोलिक और क्रिश्चियन प्रमुख है । चीन में धार्मिक विश्वास की स्वतंत्रता की नीति लागू है । अपूर्ण आंकड़ों के अनुसार चीन में धार्मिक अनुयायियों की कुल संख्या दस करोड़ अधिक है। धार्मिक स्थलों की संख्या 85 हजार । चीन की वर्तमान धार्मिक स्थिति की चर्चा में चीनी क्रिश्चियन संघ के उपाध्यक्ष सुश्री काओ इंग ने कहाः

चीन में धार्मिक अनुयायी धार्मिक विश्वास की स्वतंत्रता के सब से ऊंचे स्तर उपभोग करते हैं । विभिन्न धर्मों के बीच मेलमिलाप बना रहता है और हम एशिया में धार्मिक मेलमिलाप के विकास के लिए योगदान कर सकते हैं।

चीनी धार्मिक अनुयायी सभी शांति व दया में आस्था रखते हैं और दोस्ती के साथ रहते हैं। वे समाज के सामंजस्यपूर्ण विकास के लिए अपनी शक्ति अर्पित करते हैं । चीनी ताओ धर्म संघ के अध्यक्ष रेन फारून ने कहा कि यदि धर्म शांति का समर्थन नहीं करता, तो उस के अस्तित्व का कोई महत्व नहीं रहेगा। उन्हों ने कहाः

धर्मों के बीच प्रथा और सिद्धांत अलग अलग होते हैं, लेकिन उन का मुख्य मत समान होता है यानी सभी शांति का पक्ष लेते हैं, यदि कोई शांति का पक्ष नहीं लेता, तो उस धर्म का कोई महत्व नही रहेगा।

लेकिन विश्व में शांति व विकास की मुख्य धारा से अलग कुछ अप्रिय समस्याएं लम्बे अरसे से मौजूद हैं, यानी युद्ध, आतंक, हिंसा, अमीरी व गरीबी की खाई , पर्यावरण की बर्बादी तथा देशों, धर्मों व जातियों के बीत मुठभेड़ों ने शांति को चुनौति दी है । इस पर चीनी इस्लाम संघ के अध्यक्ष छन क्वांगयुन ने कहाः

धर्मों के बीच आपसी समझ और संपर्क बढ़ाना विभिन्न प्रकार के मुठभेड़ों को दूर करने के लिए महत्वपूर्ण है । मुठभेड़ से बचने का एक अहम रास्ता वार्तालाप करना है , जिस के जरिए गलतफहमियों को मिटाया जा सकता है और आपसी समझ प्राप्त हो सकती है तथा शांति कायम हो सकती है ।

चीनी बौद्ध धर्म संघ के उपाध्यक्ष आचार्य श्वेछङ ने कहा कि एशियाई धर्म व शांति सभा के सातवें सम्मेलन ने एशिया में शांति कायम करने को मुख्य विषय बनाया है ,जिस का बड़ा महत्व होता है । चीनी धार्मिक जगत एशिया व विश्व की शांति के लिए मनिला में आया है ।