2008-10-17 10:29:16

अमरीका में राष्ट्रपति चुनाव निर्णायक दौर में आया

अमरीका में राष्ट्रपति चुनाव के लिए अंतिम बहस सथानीय समय के अनुसार 15 तारीख की रात समाप्त हुई । इस तरह अमरीकी राष्ट्रपति चुनाव निर्णायक दौर में प्रवेश कर गया । शेष दर्जनों दिनों में रिब्पलिकन उम्मीदवार श्री जोहन. मक्कैन और डेमोक्रेटिक उम्मीदवार बाराक ओबामा के लिए मतदाताओं के सामने अपने अपने नीतिगत विचारों का प्रचार प्रसार करने की नौबत नहीं होगी । अब तक मीडिया की राय के मुताबिक रिप्बलिकन उम्मीदवार मक्कैन को चुनाव में हार खानी पड़ेगी, उन के लिए सिर्फ यह उम्मीद बनी हुई है कि उन्हें किसी भी तरह अभी तक निश्चित रूख नहीं तय कर सकने वाले स्टेटों का समर्थन पाने की कोशिश करनी चाहिए।

अमरीकी राष्ट्रपति चुनाव में दोनों उम्मीदवारों के बीच अंतिम बहस की हालत पहले हुई दो बहसों से अलग है। पहले की दो बहसों में ओबामा और मक्कैन की समर्थन दर लगभग बराबर थी, बहस से दोनों की जीत हार निश्चित नहीं हो पायी । लेकिन मौजूदा अंतिम बहस से पहले अमरीका में आए वित्तीय संकट ने ओबामा को सब से अधिक लाभ पहुंचाया और चुनाव के लिए मक्कैन की सफलता को कमजोर कर दिया। अमरीकी कोलंबिया ब्रोडकास्टिंग कंपनी और न्यूयार्क टाइम्स के ताजा जनमत संग्रहों से जाहिर है कि ओबामा को मक्कैन से 14 पॉइंट अधिक प्राप्त हुआ , इस तरह ओबामा को चुनाव का विजेता माने जाने की आवाज ऊंची गूंज उठी। यह निश्चित है कि अंतिम बहस मक्कैन के लिए अपनी श्रेष्ठता प्रदर्शित करने का अंतिम मौका है । बहस से पहले श्री मक्कैन ने दो टूक कहा था कि अमरीका को इस समय एक लड़ाके की आवश्यकता है, मीडिया ने मुझे चुनाव में हार हुआ माना है, लेकिन वे भूल गए हैं कि अंतिम निर्णय मतदाताओं के हाथ में है। उधर ओबामा को अपनी जीत पर पूर्ण विश्वास है, बहस से पहले उन्हों ने मतदाताओं से कहा कि चुनाव के दिन तक अभी 19 दिन रह गये, ये 19 दिन समाप्त होने का संकेत नहीं है, वह शुरूआत का संकेत है, अगले सत्र के राष्ट्रपति का मिशन भारी और दीर्घकालिक है ।

अंतिम बहस पर मीडिया में तरह तरह समीक्षाएं हुईं, कोई कहता है कि मक्कैन ने विजय जीती है, लेकिन वह उन की हार को बचाने के लिए काफी नहीं है। कोई कहता है कि मक्कैन बहुत बेरंग आये थे , अंतिम कोशिश के कारण उन की आक्रामक शक्ति हद से ज्यादा हो गयी। जबकि ओबामा के धीरज ने उन्हें मतदाताओं का विश्वास दिलाया है । आम माना जाता है कि तीन बार की बहसों के बाद ओबामा के बढ़त होने की स्थिति निश्चित हो गयी । शेष समय भी मक्कैन के लिए अपने को पीछे रहने की स्थिति से उधारने के लिए पर्याप्त नहीं है ।

फिलहाल, ऐसा कोई आसार नहीं है कि मक्कैन के पास हार को जीत में बदलने वाला कोई हथियार है। क्योंकि मक्कैन के लिए अत्यन्त प्रतिकूल वित्तीय संकट की स्थिति अल्पसमय में सुधर जाने का करिश्मा नहीं हो सकेगा । उन की बहुचर्चित राष्ट्रीय सुरक्षा का सवाल भी तुरंत बदलने की संभावना नहीं है । दूसरी बात है कि इधर के समय में मक्कैन खेमा ने ओबामा की पृष्ठभूमि को लेकर जोरदार प्रहार कर उन की योग्यता पर प्रश्न चिंह लगाया । इस का जवाब देते हुए ओबामा खेमा ने मक्कैन खेमा पर ध्यान की दिशा बदलने का आरोप लगाया। मक्कैन खेमा की तीसरी कमजोरी है कि टीवी पर चुनाव प्रचार के लिए उन के पास पर्याप्त वित्तीय शक्ति नहीं है। मक्कैन खेमा को मानना पड़ा कि उस पर दबाव बहुत भारी है ।

ऐसी स्थिति में विश्लेषकों का मानना है कि अब मक्कैन महज अपनी स्थिति बनाए रखने की कोशिश कर सकते हैं और ओबामा के साथ रिब्पलिकन पार्टी के ज्यादा समर्थन पा सकने वाले स्टेटों में स्पर्धा करेंगे । किन्तु ओबामा खेमा को अब तक बीच वाले कुछ स्टेटों का समर्थन प्राप्त हो चुका है, वह रिब्पलिकन पार्टी के परम्परागत गढ़ों पर विजय पाने की कोशिश भी करने जा रहा है । 17 तारीख को ओबामा खेमा विर्गिनिया, मिस्सोरी और नार्थ कैरोलिना आदि स्टेटों के मतदाताओं का समर्थन जीतने के लिए जाएगा। ये स्टेट रिब्पलिकन के गढ़ माने जाते हैं। उन्हों ने 2004 में बुश की विजय के लिए पुख्ता आधार बनाया था। लेकिन हालिया जनमत संग्रह के नतीजे से जाहिर है कि वित्तीय संकट के कारण ये स्टेट डेमोक्रेटिक खेमे के निकट आ रहे हैं । फिर भी मक्कैन खेमा ने विश्वास जताते हुए कहा कि इन बड़े स्टेटों में रिब्पलिकन की बड़ी निहित स्पर्धा शक्ति है ।

अब मक्कैन के सामने यह उपाय भी है कि वे जनमत संग्रह की विश्वसनीयता को बेरंग बनाने की कोशिश करे और मतदाताओं को जनमत संग्रह के परिणाम पर विश्वास उठा ले जाने का काम करे । क्योंकि ऐसा लोकमत भी है कि न्यूयार्क टाइम्स और कोलंबिया ब्रोडकास्टिंग कंपनी द्वारा किए गए जनमत संग्रह की विश्वसनीयता पर शंका है । पर जो भी हो , इस समय मक्कैन के लिए अपनी पिछड़ी हुई स्थिति बदलने का काम बहुत कठिन है ।